एक बार कबीर से मिलने क़ोई उनके घर आया
कबीर नहीं थे
कहां मिलेगे
एक संत ने कहा कबीर , किसी की मृत्यु के बाद , शमशान घाट गए हैं वहाँ चले जाओ
मिलने वाले ने पूछा मै उन्हे पह्चानुगा कैसे
संत ने कहा कबीर के सिर पर एक लौ जलती दिखेगी
मिलने आने वाला शमशान घाट गया और लौट आया
संत ने पूछा मिल आये
उसने कहा नहीं पहचान पाया , वहाँ सबके सिर पर लौ जल रही थी
संत ने कहा दुबारा जाओ और अबकी बार शमशान घाट के बाहर खड़े रहना और इंतज़ार करना
मिलने वाला दुबारा गया शमशान घाट के दरवाजे पर खडा होगया
लोग बाहर आने लगे
वो अंत में कबीर को पहचान गया
कैसे
कबीर के सिर की लौ शमशान घाट से बाहर आने के बाद भी जलती हुई दिख रही थी और बाकी सब की शमशान के दरवाजे तक ही जलती थी
सच बोलना जितना मुश्किल है , सच को स्वीकारना उस से भी ज्यादा मुश्किल है . लेकिन सच ही शाश्वत है और रहेगा मुझे अपने सच पर उतना ही अभिमान है जितना किसी को अपने झूठ से होने वाले फायदे पर होता हैं
मेरे ब्लॉग के किसी भी लेख को कहीं भी इस्तमाल करने से पहले मुझ से पूछना जरुरी हैं
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Kitni gahri baat kar di aapne eshare se bilkul Kabeer ki hi tarah. Bahut sundar.
ReplyDeleteMy Blog: Life is Just A Life
.
यही है सबकी ज़िन्दगी का सच्…………अगर उसके बाद भी लौ जलानी है तो खुद को उससे जोड ले फिर लौ जलती रहेगी।
ReplyDeleteसच कहा गया है की कबीर के लिए प्रश्न अहर्निश जगे रहते थे, किसी काल विशेष तक सीमित नहीं ! सुन्दर सोच लिए हुई पंक्तियाँ !
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