ब्लॉग एक डायरी हैं फिर कमेंट्स पाकर इतनी खुशी क्यूँ होत्ती हैं ?? क्या आप को ऐसा नहीं लगता कि किसी कि डायरी को पढ़ कर अगर हम कमेन्ट करते हैं तो हम उसकी निजता को भंग कर रहे हैं । या क्या ब्लॉग लेखन बना ही कमेंट्स करने के लिये हैं ।
इस पोस्ट क्या आपकी टिप्पणी पोस्ट पर होती हैं या आप कि टिप्पणी नाम और उससे जुडे परसेप्शन पर होती हैं
को पढ़ कर दो प्रबुद्ध पाठको ने बात को अपने ब्लॉग पर ले जाकर पोस्ट बनाई और उसको आगे बढाया । व्यक्तिगत रूप से मुझे ये तरीका ही सही लगता हैं हैं कि अगर कमेन्ट करना हैं तो उसको पोस्ट मे अपने ब्लॉग पर डाला जाए और बात को आगे बढाया जाए बिना किसी कि निजता पर प्रहार किये .
अपना ब्लॉग भी सक्रिये रहेगा और बात भी आगे बढ़ती रहेगी क्युकी हर ब्लॉग का एक विशेष पाठक वर्ग जरुर हैं जो अगर मुझे नहीं पढता हैं तो उन दो पाठको कि प्सोत को तो जरुर पढेगा जिसका वो विशेष वर्ग हैं ।
पहली पोस्ट का लिंक
दूसरी पोस्ट का लिंक
अगर ब्लोगिंग मे मेरा निज का कोई उद्देश्य हैं यानी किसी मुद्दे पर बात करना तो उस उद्देश्य को ज्यादा से ज्यादा लोग तक इसी विधि से पहुचाया जा सकता हैं । फिर बहस नहीं होगी बल्कि एक सार्थक बातचित होगी अपने अपने मतों के साथ अपने अपने ब्लॉग पर । ना जाने कितने सामाजिक मुद्दे होते हैं जिन पर हम बात करके अपने ही मन कि ग्रंथियों को खोलना चाहते हैं पर वक्त कि कमी के कारण एक दूसरे से मिलना नहीं होता । ब्लोगिंग से देश , समाज , जाती और लिंग कि सीमाए ख़तम हो गयी हैं ।
आज चर्चा मे भी इसी पोस्ट का जिक्र देखा बात आगे बढ़ी और बढाए।
सच बोलना जितना मुश्किल है , सच को स्वीकारना उस से भी ज्यादा मुश्किल है . लेकिन सच ही शाश्वत है और रहेगा मुझे अपने सच पर उतना ही अभिमान है जितना किसी को अपने झूठ से होने वाले फायदे पर होता हैं
मेरे ब्लॉग के किसी भी लेख को कहीं भी इस्तमाल करने से पहले मुझ से पूछना जरुरी हैं
मेरे ब्लॉग के किसी भी लेख को कहीं भी इस्तमाल करने से पहले मुझ से पूछना जरुरी हैं
March 31, 2009
क्या ब्लोग्वानी और चिट्ठाजगत को merge कर दिया जाए ।
हम सब वहाँ होगे और इस बार एक बहुत इस महत्वपूर्ण विषय पर चर्चा होगी की क्या ब्लोग्वानी और चिट्ठाजगत को merge कर दिया जाए । आलोक , विपुल , सिरिल और मैथिलि जी इस विषय पर ओपन dialogue चाहते हैं ताकि हिन्दी ब्लोगिंग को आगे ले जाया जाए । आज तक के सबसे बडे हिंदी ब्लोगर सम्मेलन मे आने के लिये इस ब्लॉग पर जा कर मान चित्र ले ले । आना जरुरी हैं । आप को उस दिन एक अवसर हैं उन सब ब्लोगर को से मिलने का जिनसे आप नहीं मिले हैं । इस के अलावा हिन्दी ब्लॉग्गिंग जगत के टिप्पणी सम्राट समीर जी ने सूचित किया हैं की वो विडियो के द्वारा अपना कविता पाठ भी भेजेगे जिसे सुनीता शानू अपने LAPTOP par डाउन लोड करके लाएगी ।
आना ना भूले
आना ना भूले
March 30, 2009
ज़रा बताये तो
हिन्दी ब्लोगिंग मे आप क्या खोजते हैं ? आप किसको पढ़ना चाहते हैं और क्या पढ़ना चाहते हैं ? किस तरेह के ब्लोग्स पर आप जरुर जाते हैं और किस तरह के ब्लोग्स पर आप बिल्कुल नहीं जाते ?
क्या आपकी टिप्पणी पोस्ट पर होती हैं या आप कि टिप्पणी नाम और उससे जुडे परसेप्शन पर होती हैं
सबकी अपनी रूचि और पसंद होती हैं और उस ब्लॉगर को हम जरुर पढ़ते हैं जो हमे पसंद होता हैं । लेकिन क्या ब्लॉगर का नाम देखते ही आप को अनुमान हो जाता हैं कि उसने क्या लिखा होगा । यानी नाम पोस्ट पर भारी पड़ता हैं । क्या आपकी टिप्पणी पोस्ट पर होती हैं या आप कि टिप्पणी नाम और उससे जुडे परसेप्शन पर होती हैं
March 29, 2009
पंगेबाज जी से उत्तर की अपेक्षा हैं ।
पंगेबाज जी ने बुधवार को महा ब्लोगर सम्मेलन रखा हैं जिस की सूचना आप को उनके ब्लॉग पर इस लिंक पर मिल जायेगी । आप वहाँ जा कर अपने आने की स्वीकृति दर्ज करा सकते हैं । मुझे व्यक्तिगत रूप से हमेशा ब्लोगर सम्मेलन मे रूचि रहती हैं । सो मैने अपनी टिप्पणी मे अपनी सहमति दर्ज करा दी परन्तु उसको moderate कर दिया गया और मुझे मेल से सूचित किया गया की ब्लोगर सम्मेलन मे महिला ब्लोगर को नहीं बुलाया जा रहा हैं ख़ास कर "नारी" और "चोखेर बाली" सदस्यों को । मुझे समझ नहीं आ रहा हैं ऐसा क्यूँ किया जा रहा हैं ? क्या ये उचित हैं ??
पंगेबाज जी से उत्तर की अपेक्षा हैं ।
इस स्थिति मे नारी और चोखेर बाली के सदस्यों को क्या करना चाहिये । आप राय दे
पंगेबाज जी से उत्तर की अपेक्षा हैं ।
इस स्थिति मे नारी और चोखेर बाली के सदस्यों को क्या करना चाहिये । आप राय दे
March 28, 2009
धरती को वोट दो
शनिवार २८ मार्च २००९
समय शाम के ८.३० बजे से रात के ९.३० बजे
घर मे चलने वाली हर वो चीज़ जो इलेक्ट्रिसिटी से चलती हैं उसको बंद कर दे
अपना वोट दे धरती को ग्लोबल वार्मिंग से बचाने के लिये
पूरी दुनिया मे शनिवार २८ मार्च २००९ समय शाम के ८.३० बजे से रात के ९.३० बजे
ग्लोबल अर्थ आर { GLOBAL EARTH HOUR } मनायेगी और वोट देगी अपनी धरती को ।
इस विषय मे ज्यादा जानकारी यहाँ उपलब्ध हैं ।
२००६ से स्कूल मे फीस का एरियर माँगा जा रहा हैं
फीस सबके बच्चो की बढ़ी पर तनखा केवल सरकारी अफसरों और कर्मचारियों की बढ़ी । प्राइवेट सेक्टर मे सबकी तनखा मे १० % कम हुआ हैं फिर माँ बाप पर इतना बोझ डालने से बच्चो की शिक्षा पर फरक पड़ेगा । २००६ से स्कूल मे फीस का एरियर माँगा जा रहा हैं जिसके कारण तक़रीबन १६०० रुपए महीने की किश्त बन रही हैं । जिनके दो बच्चे पढ़ रहे हैं उनको ३२०० रुपए महिना एरियर का देना हैं । अगर किसी की तनखा २०००० रुपए महिना है तो वो किस प्रकार से इस किश्त को भरेगा ??
अपनी धरती के लिये वोट करे
शनिवार २८ मार्च २००९
समय शाम के ८.३० बजे से रात के ९.३० बजे
घर मे चलने वाली हर वो चीज़ जो इलेक्ट्रिसिटी से चलती हैं उसको बंद कर दे
अपना वोट दे धरती को ग्लोबल वार्मिंग से बचाने के लिये
पूरी दुनिया मे शनिवार २८ मार्च २००९ समय शाम के ८.३० बजे से रात के ९.३० बजे
ग्लोबल अर्थ आर { GLOBAL EARTH HOUR } मनायेगी और वोट देगी अपनी धरती को ।
इस विषय मे ज्यादा जानकारी यहाँ उपलब्ध हैं ।
समय शाम के ८.३० बजे से रात के ९.३० बजे
घर मे चलने वाली हर वो चीज़ जो इलेक्ट्रिसिटी से चलती हैं उसको बंद कर दे
अपना वोट दे धरती को ग्लोबल वार्मिंग से बचाने के लिये
पूरी दुनिया मे शनिवार २८ मार्च २००९ समय शाम के ८.३० बजे से रात के ९.३० बजे
ग्लोबल अर्थ आर { GLOBAL EARTH HOUR } मनायेगी और वोट देगी अपनी धरती को ।
इस विषय मे ज्यादा जानकारी यहाँ उपलब्ध हैं ।
March 26, 2009
उम्र , अनुभव और स्वीकृति
किसी कि हर बात केवल और केवल इस लिये मान लेनी चाहिये क्युकी उसकी कि उम्र ज्यादा हैं और उसका का अनुभव भी ज्यादा हैं ।
क्या आप भी यही मानते हैं ?
क्या उम्र मे जो कम हैं उनको बहस और संवाद का अधिकार नहीं होना चाहिये ?
क्या अनुभव ना होने पर संवाद और बहस का अधिकार किसी को नहीं हैं ?
क्या आप भी यही मानते हैं ?
क्या उम्र मे जो कम हैं उनको बहस और संवाद का अधिकार नहीं होना चाहिये ?
क्या अनुभव ना होने पर संवाद और बहस का अधिकार किसी को नहीं हैं ?
March 24, 2009
आप ना जाने कितने ब्लॉग पढ़ते हैं पर आप कितने प्रोफाइल पढ़ते हैं ?
जब आप किसी ब्लॉगर को दीदी , आंटी , माँ , अंकल इत्यादि नामो से संबोधित करते हैं तो क्या आप पहले ये पता कर करलेते हैं कि उस ब्लॉगर कि उम्र और आप कि उम्र मे जो अन्तर हैं वो इस संबोधन कि गरिमा को मान्य हैं । हर संबोधन कि एक गरिमा होती हैं और वो संबोधन आप को और जिसे आप संबोधित कर रहे हैं एक रिश्ते मे बांधता हैं । क्या आप का दिया हुआ संबोधन इस रिश्ते को स्वीकार्य हैं ?
ब्लॉगर कि उम्र पता करना बहुत आसन हैं बस प्रोफाइल पर सब दिया होता हैं आप को प्रोफाइल क्लिक करके देखना होगा । आप ना जाने कितने ब्लॉग पढ़ते हैं पर आप कितने प्रोफाइल पढ़ते हैं ?
ब्लॉगर कि उम्र पता करना बहुत आसन हैं बस प्रोफाइल पर सब दिया होता हैं आप को प्रोफाइल क्लिक करके देखना होगा । आप ना जाने कितने ब्लॉग पढ़ते हैं पर आप कितने प्रोफाइल पढ़ते हैं ?
March 21, 2009
व्हाट अन आईडिया सर जी
सांझा ब्लॉग पर एक पोस्ट आयी
पोस्ट मे एक टिप्पणी आयी
टिप्पणी मे अपशब्द आये
जो लावण्या को नहीं भाये
अपने लिये होते तो भूल भी जाती
माँ के लिये थे तो भूल ना पायी
तुंरत लावण्या ने एक पोस्ट बनाई
सांझे नहीं निज ब्लॉग पर लगाई
अपनी माँ के प्रति दिये अपशब्दों
पर आपत्ति जतायी
निज का ब्लॉग था , अपनी माँ थी
आपत्ति भी अपनी थी
पर मसिजीवी को नहीं भायी
सो आदत के अनुसार
तुंरत उन्होने एक पोस्ट बनाई
अपने निज के ब्लॉग पर लगाई
और मास्टरों के अंदाज मे
लावण्या को वो समझाया
जो टिप्पणी मे मसिजीवी , ही को समझ आया
ख़ुद को मसिजीवी ने पोलीमिक्स ब्लॉगर
और निलोफर को आउट ऑफ़ बॉक्स ब्लॉगर बताया
कुछ महीने पहले
मोहल्ले पर भी एक टिप्पणी आयी थी
मसिजीवी की पत्नी के खिलाफ वहाँ थे अपशब्द
और तुरत फुरत मसिजीवी ने पोस्ट बनायी थी
अपनी आपत्ति जतायी थी और कहा था कि
मेरा ब्लॉग मोहल्ला नहीं हैं निज का ब्लॉग हैं
निज का दर्द हैं ।
जब मसिजीवी को दर्द हुआ तो निज का दर्द था
ब्लॉग पर झलका क्युकी निज का ब्लॉग था
और जब लावण्या को दर्द हुआ
तो वो समाज का पतन था
उसको निज के ब्लॉग पर डालना अज्ञान था
ये कहा की रीति हैं कि
मसिजीवी लिखे तो
निज का दर्द हैं ,
लावण्या लिखे
तो औसत ब्लॉगर की समस्या हैं
और
ऐसा कोई पहली बार नहीं हुआ हैं
जब मसिजीवी ने स्याही से दूसरो की
निज को काला किया हैं
इस बौछार ने हमे भी भिगोया हैं
हेडिंग मे नाम देने की प्रथा को
हमेशा सबसे ज्यादा मसिजीवी ने भुनाया हैं
और ब्लॉग जगत मे विष भी
सबसे ज्यादा मसिजीवी ने ही फैलाया हैं
इस टिप्पणी प्रति टिप्पणी ने
तो यही बतलाया हैं
तुम्हारी पत्नी का अपमान
अपमान
दूसरे की माँ का अपमान
अज्ञान
हम इंग्लिश के लिये कुछ कहे तो क्यूँ ??
आप इंग्लिश का ब्लॉग लिखो
तो पापी पेट का सवाल हैं
व्हाट अन आईडिया सर जी
सबका निज अपना होता हैं
सबका दर्द भी अपना होता हैं
दर्द ना बाँट सको तो मत बांटो
पीड़ा तो और ना दो
पोस्ट मे एक टिप्पणी आयी
टिप्पणी मे अपशब्द आये
जो लावण्या को नहीं भाये
अपने लिये होते तो भूल भी जाती
माँ के लिये थे तो भूल ना पायी
तुंरत लावण्या ने एक पोस्ट बनाई
सांझे नहीं निज ब्लॉग पर लगाई
अपनी माँ के प्रति दिये अपशब्दों
पर आपत्ति जतायी
निज का ब्लॉग था , अपनी माँ थी
आपत्ति भी अपनी थी
पर मसिजीवी को नहीं भायी
सो आदत के अनुसार
तुंरत उन्होने एक पोस्ट बनाई
अपने निज के ब्लॉग पर लगाई
और मास्टरों के अंदाज मे
लावण्या को वो समझाया
जो टिप्पणी मे मसिजीवी , ही को समझ आया
ख़ुद को मसिजीवी ने पोलीमिक्स ब्लॉगर
और निलोफर को आउट ऑफ़ बॉक्स ब्लॉगर बताया
कुछ महीने पहले
मोहल्ले पर भी एक टिप्पणी आयी थी
मसिजीवी की पत्नी के खिलाफ वहाँ थे अपशब्द
और तुरत फुरत मसिजीवी ने पोस्ट बनायी थी
अपनी आपत्ति जतायी थी और कहा था कि
मेरा ब्लॉग मोहल्ला नहीं हैं निज का ब्लॉग हैं
निज का दर्द हैं ।
जब मसिजीवी को दर्द हुआ तो निज का दर्द था
ब्लॉग पर झलका क्युकी निज का ब्लॉग था
और जब लावण्या को दर्द हुआ
तो वो समाज का पतन था
उसको निज के ब्लॉग पर डालना अज्ञान था
ये कहा की रीति हैं कि
मसिजीवी लिखे तो
निज का दर्द हैं ,
लावण्या लिखे
तो औसत ब्लॉगर की समस्या हैं
और
ऐसा कोई पहली बार नहीं हुआ हैं
जब मसिजीवी ने स्याही से दूसरो की
निज को काला किया हैं
इस बौछार ने हमे भी भिगोया हैं
हेडिंग मे नाम देने की प्रथा को
हमेशा सबसे ज्यादा मसिजीवी ने भुनाया हैं
और ब्लॉग जगत मे विष भी
सबसे ज्यादा मसिजीवी ने ही फैलाया हैं
इस टिप्पणी प्रति टिप्पणी ने
तो यही बतलाया हैं
तुम्हारी पत्नी का अपमान
अपमान
दूसरे की माँ का अपमान
अज्ञान
हम इंग्लिश के लिये कुछ कहे तो क्यूँ ??
आप इंग्लिश का ब्लॉग लिखो
तो पापी पेट का सवाल हैं
व्हाट अन आईडिया सर जी
सबका निज अपना होता हैं
सबका दर्द भी अपना होता हैं
दर्द ना बाँट सको तो मत बांटो
पीड़ा तो और ना दो
चना , मछली और सेब
एक अकेला चना
भाड़ नहीं फोड़ सकता
पर कर सकती हैं
एक ही मछली
पूरे तालाब को गन्दा
और
वन ओटन रोटन एप्पल
स्पोइल्स द व्होल बैरल
भाड़ नहीं फोड़ सकता
पर कर सकती हैं
एक ही मछली
पूरे तालाब को गन्दा
और
वन ओटन रोटन एप्पल
स्पोइल्स द व्होल बैरल
March 19, 2009
ब्लॉग पर नोस्टेलजिया रोमांस
ब्लॉग पर नोस्टेलजिया रोमांस
बिन बारिश के पहली बारिश मे
कवि के मन को जिंदा रखने की साजिश
सब सही था पर चाय की बात आते ही
पकोड़ी की याद आयी
सारा नोस्टेलजिया रोमांस
भाप बन कर उड़ गया
अब ब्लॉग का ज़माना हैं
फिर भी चाय बनाना
पुरानी का काम हैं
और
पकोड़ी बनाना नयी का काम हैं
काफ़ी पी पिला लेते
ये चाय पर क्यों
शाम और सहर हुई
गुरु और चेले काश
माइक्रोवेव का
जुगाड़ कर लेते
क्युकी
ताडने वाले कयामत की
नज़र रखते हैं
इस कविता का कोई उदेश्य नहीं हैं बैठे ठाले बे मौसम की बारिश मे मजा लिया हैं
जवाब कविता मे ही आये यही इल्तिजा है
बिन बारिश के पहली बारिश मे
कवि के मन को जिंदा रखने की साजिश
सब सही था पर चाय की बात आते ही
पकोड़ी की याद आयी
सारा नोस्टेलजिया रोमांस
भाप बन कर उड़ गया
अब ब्लॉग का ज़माना हैं
फिर भी चाय बनाना
पुरानी का काम हैं
और
पकोड़ी बनाना नयी का काम हैं
काफ़ी पी पिला लेते
ये चाय पर क्यों
शाम और सहर हुई
गुरु और चेले काश
माइक्रोवेव का
जुगाड़ कर लेते
क्युकी
ताडने वाले कयामत की
नज़र रखते हैं
इस कविता का कोई उदेश्य नहीं हैं बैठे ठाले बे मौसम की बारिश मे मजा लिया हैं
जवाब कविता मे ही आये यही इल्तिजा है
March 17, 2009
March 16, 2009
आज एक पहली यहाँ भी
वरिष्ठ ब्लॉगर ??? पहला नाम जो जहन मे आता हैं लिखे केवल एक नाम दे
उफ़ अभी और कितने भांगो मे बटेगा , बेचारा हिन्दी ब्लॉगर
पुरूष ब्लॉगर , स्त्री ब्लॉगर ,
कनिष्ठ ब्लॉगर , वरिष्ठ ब्लॉगर
हिंदू ब्लॉगर , मुस्लिम ब्लॉगर
शर्मा ब्लॉगर , वर्मा ब्लॉगर ,
मिश्रा ब्लॉगर , श्रीवास्तव ब्लॉगर ,
शुक्ल ब्लॉगर , शाह ब्लॉगर
चमार ब्लॉगर , कहार ब्लॉगर
पोलीमिक्स ब्लॉगर , आउट ऑफ़ बॉक्स ब्लॉगर
बुद्धिजीवी ब्लॉगर , अनपढ़ ब्लॉगर
नारीवादी ब्लॉगर ,पुरुषवादी ब्लॉगर
प्रगतिशील ब्लॉगर , रुढिवादी ब्लॉगर
उफ़ अभी और कितने भांगो मे बटेगा
बेचारा हिन्दी ब्लॉगर
बांटो बांटो ,
देश बांटा
समाज बांटा
यही कमी रह गयी थी
अब अभिव्यक्ति के माध्यम
को भी बांटो
कनिष्ठ ब्लॉगर , वरिष्ठ ब्लॉगर
हिंदू ब्लॉगर , मुस्लिम ब्लॉगर
शर्मा ब्लॉगर , वर्मा ब्लॉगर ,
मिश्रा ब्लॉगर , श्रीवास्तव ब्लॉगर ,
शुक्ल ब्लॉगर , शाह ब्लॉगर
चमार ब्लॉगर , कहार ब्लॉगर
पोलीमिक्स ब्लॉगर , आउट ऑफ़ बॉक्स ब्लॉगर
बुद्धिजीवी ब्लॉगर , अनपढ़ ब्लॉगर
नारीवादी ब्लॉगर ,पुरुषवादी ब्लॉगर
प्रगतिशील ब्लॉगर , रुढिवादी ब्लॉगर
उफ़ अभी और कितने भांगो मे बटेगा
बेचारा हिन्दी ब्लॉगर
बांटो बांटो ,
देश बांटा
समाज बांटा
यही कमी रह गयी थी
अब अभिव्यक्ति के माध्यम
को भी बांटो
March 15, 2009
क्या आप इश्वर को मानते हैं ?
क्या आप इश्वर को मानते हैं ?
March 14, 2009
IPL क्यों होना चाहिये ?? नहीं होना चाहिये .
मुझे लगता हैं IPL नहीं होना चाहिये . बहुत पैसा और समय लोगो का नष्ट होता हैं . सारा सारा दिन टीवी के आगे लोग समय व्यर्थ करते हैं और बिजली का खर्चा भी बहुत होता हैं एक तरफ़ हम बिजली संकट की बात करते हैं और दूसरी तरफ़ इस तरह का अप्वय करते हैं । और आश्चर्य हैं की क्रिकेट को इतना ज्यादा महत्व दिया जा रहा है और इस समय जब बाकी देश दुसरे देशो के लोगो को नौकरी से हटा कर अपने देश के लोगो को नौकरी पर रख रहे हैं । हमारे देश मे लाखो कड़ोड़ो रुपया दुसरे देश के खिलाड़ियों को दिया जा रहा हैं ।
March 09, 2009
जितना समागम होगा सभ्यताओं का उतना मनुष्यता बढेगी ।
कोई भी दिवस मनाया जाता हैं तो हर तरफ़ भारत मे विरोध होता हैं की भारतीये संस्कृति का पतन हो गया हैं । चाहे बालिका दिवस हो , वैलेंटाइन डे गप्पे , फ्रेंडशिप डे हो , वुमंस डे हो , या Fathers Day , Mothers day हो । बस किसी ने कोई दिन मनाया नहीं की हिंदू संस्कृत डूब जाती हैं । पहली बात तो यही नहीं समझ आती की क्या हमारी संस्कृति इतनी छेद वाली एक नाव हैं जो डूब जायेगी । लोग किसी भी दिन को मनाये जाने का विरोध करते हैं और कहते हैं की पाश्चात्य सभ्यता का अनुकरण हो रहा हैं ।
इन दिनों को मनाने का रिवाज पाश्चात्य सभयता मे क्यूँ हैं ?? क्युकी पाश्चात्य सभ्यता मे लोग रोज के कामो मे इतना व्यस्त होते हैं की उनको काम के अलावा कुछ याद नहीं रहता । हमारे देश की तरह वहाँ हर समय गप्पे मारने का समय नहीं होता हैं किसी के पास । सुबह से शाम तक लोग रोटी पानी के जुगाड़ मे व्यस्त होते हैं और फिर "दिवस " मना कर एक दिन उन लोगो को धन्यवाद कहते हैं जिनको वो प्यार करते हैं । चाहे वो माँ हो या पिता या बॉस या बेटी ।
अब भारत मे भी स्त्री पुरूष दोनों नौकरी पेशा हो रहे हैं सो समय का अभाव यहाँ भी बढ़ रहा हैं और उसकी के चलते इन दिवसों को मनाने की परम्परा पड़ रही हैं । और विदेशो मे होली , दिवाली मनाई जाने लगी हैं ।
जितना समागम होगा सभ्यताओं का उतना मनुष्यता बढेगी ।
इन दिनों को मनाने का रिवाज पाश्चात्य सभयता मे क्यूँ हैं ?? क्युकी पाश्चात्य सभ्यता मे लोग रोज के कामो मे इतना व्यस्त होते हैं की उनको काम के अलावा कुछ याद नहीं रहता । हमारे देश की तरह वहाँ हर समय गप्पे मारने का समय नहीं होता हैं किसी के पास । सुबह से शाम तक लोग रोटी पानी के जुगाड़ मे व्यस्त होते हैं और फिर "दिवस " मना कर एक दिन उन लोगो को धन्यवाद कहते हैं जिनको वो प्यार करते हैं । चाहे वो माँ हो या पिता या बॉस या बेटी ।
अब भारत मे भी स्त्री पुरूष दोनों नौकरी पेशा हो रहे हैं सो समय का अभाव यहाँ भी बढ़ रहा हैं और उसकी के चलते इन दिवसों को मनाने की परम्परा पड़ रही हैं । और विदेशो मे होली , दिवाली मनाई जाने लगी हैं ।
जितना समागम होगा सभ्यताओं का उतना मनुष्यता बढेगी ।
Subscribe to:
Posts (Atom)
Blog Archive
-
▼
2009
(166)
-
▼
March
(19)
- फिर बहस नहीं होगी बल्कि एक सार्थक बातचित होगी अपने...
- क्या ब्लोग्वानी और चिट्ठाजगत को merge कर दिया ज...
- ज़रा बताये तो
- क्या आपकी टिप्पणी पोस्ट पर होती हैं या आप कि टिप्प...
- पंगेबाज जी से उत्तर की अपेक्षा हैं ।
- धरती को वोट दो
- २००६ से स्कूल मे फीस का एरियर माँगा जा रहा हैं
- अपनी धरती के लिये वोट करे
- उम्र , अनुभव और स्वीकृति
- आप ना जाने कितने ब्लॉग पढ़ते हैं पर आप कितने प्रोफ...
- व्हाट अन आईडिया सर जी
- चना , मछली और सेब
- ब्लॉग पर नोस्टेलजिया रोमांस
- कल की पहेली " वरिष्ठ ब्लॉगर ??? पहला नाम जो जहन म...
- आज एक पहली यहाँ भी
- उफ़ अभी और कितने भांगो मे बटेगा , बेचारा हिन्दी ब...
- क्या आप इश्वर को मानते हैं ?
- IPL क्यों होना चाहिये ?? नहीं होना चाहिये .
- जितना समागम होगा सभ्यताओं का उतना मनुष्यता बढेगी ।
-
▼
March
(19)
are rachana ji ...kyo ladwaane ka kaam kar diya .....jiska n likha wahi naraaj ho jaega....
भाई समीर लाल "उड़नतश्तरी"
श्री रविंद्र श्रीवस्तव ( रवि रतलामी जी)
आलोक
ravi ratlami
आपने ये तो बताया ही नहीं कि अनुभव में वरिष्ठ या कि आयु वाले वरिष्ठ...)
I am agree with Pt. D.K Shrma. lakin phir phi...apne Shastri
j philps ji
वेब दुनिया के अंतर्जाल के लेखक और कुछ लेख
आलोक तोमर
बहुत मुश्किल है ...
'Mansik Hulchul' (I don't want to be diplomatic....)
कोई नारी तो नहीं ही है तो फिर आप द्वारा यह सवाल ही क्यों ?
वैधानिक चेतावनी: ज़्यादा सवाल पूछना ब्लॉगिंग के लिए हानिकारक है..