मेरे ब्लॉग के किसी भी लेख को कहीं भी इस्तमाल करने से पहले मुझ से पूछना जरुरी हैं

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March 19, 2009

ब्लॉग पर नोस्टेलजिया रोमांस

ब्लॉग पर नोस्टेलजिया रोमांस
बिन बारिश के पहली बारिश मे
कवि के मन को जिंदा रखने की साजिश

सब सही था पर चाय की बात आते ही
पकोड़ी की याद आयी
सारा नोस्टेलजिया रोमांस
भाप बन कर उड़ गया

अब ब्लॉग का ज़माना हैं
फिर भी चाय बनाना
पुरानी का काम हैं
और
पकोड़ी बनाना नयी का काम हैं

काफ़ी पी पिला लेते
ये चाय पर क्यों
शाम और सहर हुई

गुरु और चेले काश
माइक्रोवेव का
जुगाड़ कर लेते
क्युकी
ताडने वाले कयामत की
नज़र रखते हैं




इस कविता का कोई उदेश्य नहीं हैं बैठे ठाले बे मौसम की बारिश मे मजा लिया हैं
जवाब कविता मे ही आये यही इल्तिजा है

11 comments:

  1. जब सूरज मॉर्निंग वॉक करता हुआ
    खिड़की तक आ जाए
    तब हम उनके लिए
    एक चाय बनाकर लाते है
    उनकी अंगड़ाईया और चाय
    कि गर्माहट.. दिन की शुरुआत
    बड़ी रोमॅंटिक होती है..

    और जब सूरज बगीचे की बेल
    को पकड़ कर छुप जाता है बालकनी के पीछे
    तब शाम को दोनो पहुँचते है घर
    और वो साड़ी के पल्लू को
    कमर में फँसा के
    सारा प्यार बेसन में घोल
    देती है.. उनकी ये पकोडिया
    चाय का जायका बदल देती है..


    जब चाय के प्यालो से उठते धुँए से
    झाँक कर देखता हू उसको..
    तो सोचता हू अरसा बीत चुका है फिर भी
    वो मुझे नयी ही क्यो लगती..


    गर में माइक्रो वेव ले आया घर
    तो बेसन के घोल से भरे
    हाथो को वो मेरे गालो
    पर कैसे लगाएगी..


    चाय और पकोडिया तो बस बहाना है
    रूमानियत तो उनकी आमद से है..

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  2. कविता का जन्म यूँ भी होता है :) रूमानियत के लिए सिर्फ अच्छे प्यारे माहोल की जरुरत है ....सुविधाएं भी हम खुद ही जुटाते हैं ..पर यह ख्याल दिल में रहे की एक दूजे का साथ किस तरह अधिक अधिक छोटी बातो से पाया जा सकता है तो रिश्ता यूँ ही महकता रहता है ..कुश आपका जवाब मुझे तो बहुत पसंद आया ...यही सोच आगे भविष्य में भी बनाए रखे :)

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  3. गुरु और चेले काश
    माइक्रोवेव का
    जुगाड़ कर लेते

    और फिर
    बिजली के
    इन्तजार में
    धुन सर लेते!!!

    सारी रुमानियत
    धरी की धरी रह जाती..
    चाय की चाहत
    कहीं सहमी सिकुड़ी
    खड़ी रह जाती!!!

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  4. यहाँ हो क्या रहा है? ..रचना जी कविता में भी दिमाग लगा दिया तो हो गई कविता ...हा हा हा :-)

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  5. आसमान भी अजीब शै है जब ख्वाहिश करे तब बरसता नहीं ओर .. किसी रोज अचानक खिड़की पे बूंदे फेंक जगा देता है ..बेवफाई उसका शगल है ...ओर मौसम से बगावत उसका मिजाज़ ...दिल मुआ इन रोजमर्रा के मसलो में उलझा रोज कई लफ्जों के पीछे धेकेलता है ...कब तक सहेगे वे भी .किसी रोज आसमान से साजिश करके वे भी बरस पड़ते है ...
    कभी कभी इस बात का मुगालता भी फायदेमंद रहता है की मुआ ये शायरना इल्म का वायरस हमारी रगों में अब तक मौजूद है ...जिंदगी की धकापेल में मरा नहीं....
    कविता तो नहीं एक त्रिवेणी भेज रहा हूँ...नोश फरमाए ....



    मुद्दत हुई उससे मिले, जुदा हुए ज़माना गुज़रा
    कल किसी किताब के सफहे मे मिली मुझको .........

    कुछ तो अपना ठिकाना बता मुझको ज़िंदगी



    वो गाना है देव डी का....साली ख़ुशी ...बस समझ लो ब्लॉग का नोस्तेल्ज्जिया वैसा ही है .....

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  6. सब सही था पर
    रोमांस , रोमांस मेँ
    भाप बन कर जुड गया


    ये चाय पर क्योँ
    शाम और सहर हुई
    नहीँ था कोई क्योँ
    काम और बहर हुई

    ब्लोग के गुरु और चेले
    नेट और वेब का
    जुगाड कर लेते
    क्युंकि
    कयामत पर,ताडने वाले
    ही नज़र रखते हैँ

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  7. अब इस ब्लॉग पर
    कविता दिल की बात नहीं हैं
    लवली रानी
    ना कुछ मेरी कलम से की
    हैं यहाँ कविता कहानी

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  8. ये रात कैसी आयी
    खाली हाथ
    न कोई ख्वाब
    न ख्याल
    पलकों की झालर पर जो तैरता था
    वो चांद आज गायब है
    आरजुओं की पेहरन पर जो तारे थे
    वे भी मद्धम हैं
    थमा हुआ है नीला आसमान
    न जाने किसके इंतजार में

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  9. itne logon ki jadugari dekhi ....to roomani sa ho gaya

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  10. रूप-राशि मादक सम्मोहन जुल्फें ज्यों अलमस्त घटा।
    विरहिन सखी को दिखा रही संकेतों से कमनीय छटा।।
    हरियाली की छटा सलोनी मन को नहीं डिगा पायी।
    अपलक मौन प्रतीक्षा किसकी इन नयनों में है छायी।।
    तरू की ओट लिए लख सुषमा मस्त हो गयी अपने में।
    किसकी मौन साधना करती खोयी खोयी अपने में।।

    सादर
    श्यामल सुमन
    09955373288
    मुश्किलों से भागने की अपनी फितरत है नहीं।
    कोशिशें गर दिल से हो तो जल उठेगी खुद शमां।।
    www.manoramsuman.blogspot.com
    shyamalsuman@gmail.com

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  11. हम किसी और की कविता यहां चेप दें तो चलेगा क्या? अभी बस यहां लिखी कवितायें पढ़ने का ही समय है.. अपनी कविता लिखने का समय नहीं है.. :)
    इस तरह हम भी कविता चोरों में अपना नाम शुमार कर लेंगे.. :D

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