सांझा ब्लॉग पर एक पोस्ट आयी
पोस्ट मे एक टिप्पणी आयी
टिप्पणी मे अपशब्द आये
जो लावण्या को नहीं भाये
अपने लिये होते तो भूल भी जाती
माँ के लिये थे तो भूल ना पायी
तुंरत लावण्या ने एक पोस्ट बनाई
सांझे नहीं निज ब्लॉग पर लगाई
अपनी माँ के प्रति दिये अपशब्दों
पर आपत्ति जतायी
निज का ब्लॉग था , अपनी माँ थी
आपत्ति भी अपनी थी
पर मसिजीवी को नहीं भायी
सो आदत के अनुसार
तुंरत उन्होने एक पोस्ट बनाई
अपने निज के ब्लॉग पर लगाई
और मास्टरों के अंदाज मे
लावण्या को वो समझाया
जो टिप्पणी मे मसिजीवी , ही को समझ आया
ख़ुद को मसिजीवी ने पोलीमिक्स ब्लॉगर
और निलोफर को आउट ऑफ़ बॉक्स ब्लॉगर बताया
कुछ महीने पहले
मोहल्ले पर भी एक टिप्पणी आयी थी
मसिजीवी की पत्नी के खिलाफ वहाँ थे अपशब्द
और तुरत फुरत मसिजीवी ने पोस्ट बनायी थी
अपनी आपत्ति जतायी थी और कहा था कि
मेरा ब्लॉग मोहल्ला नहीं हैं निज का ब्लॉग हैं
निज का दर्द हैं ।
जब मसिजीवी को दर्द हुआ तो निज का दर्द था
ब्लॉग पर झलका क्युकी निज का ब्लॉग था
और जब लावण्या को दर्द हुआ
तो वो समाज का पतन था
उसको निज के ब्लॉग पर डालना अज्ञान था
ये कहा की रीति हैं कि
मसिजीवी लिखे तो
निज का दर्द हैं ,
लावण्या लिखे
तो औसत ब्लॉगर की समस्या हैं
और
ऐसा कोई पहली बार नहीं हुआ हैं
जब मसिजीवी ने स्याही से दूसरो की
निज को काला किया हैं
इस बौछार ने हमे भी भिगोया हैं
हेडिंग मे नाम देने की प्रथा को
हमेशा सबसे ज्यादा मसिजीवी ने भुनाया हैं
और ब्लॉग जगत मे विष भी
सबसे ज्यादा मसिजीवी ने ही फैलाया हैं
इस टिप्पणी प्रति टिप्पणी ने
तो यही बतलाया हैं
तुम्हारी पत्नी का अपमान
अपमान
दूसरे की माँ का अपमान
अज्ञान
हम इंग्लिश के लिये कुछ कहे तो क्यूँ ??
आप इंग्लिश का ब्लॉग लिखो
तो पापी पेट का सवाल हैं
व्हाट अन आईडिया सर जी
सबका निज अपना होता हैं
सबका दर्द भी अपना होता हैं
दर्द ना बाँट सको तो मत बांटो
पीड़ा तो और ना दो
सच बोलना जितना मुश्किल है , सच को स्वीकारना उस से भी ज्यादा मुश्किल है . लेकिन सच ही शाश्वत है और रहेगा मुझे अपने सच पर उतना ही अभिमान है जितना किसी को अपने झूठ से होने वाले फायदे पर होता हैं
मेरे ब्लॉग के किसी भी लेख को कहीं भी इस्तमाल करने से पहले मुझ से पूछना जरुरी हैं
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अरे नहीं ये तो खूब याद किया
ReplyDeleteआपने याद किया तो मैंने भी याद किया
तब था शायद अविनाश
उसने कहा था नीलीमा जी को माता जी
तो जी हो गया हंगामा जी
पिच के एक एन्ड पे मसिजीवी
और दूसरे एन्ड पे नीलीमा जी
दोनों ने मिल के छक्के चौके उडा दिये
अविनाश का मिचला गया जी
सही बात ढूढी है आपने
माताजी है बेज्जिती
और जातीसूचक गाली है इज्जती
मसिजीवी जी वाह जी वाह जी
देखे आपके रंग जी
देखे आपके ढंग जी
वाह जी
वाह जी
लिखते रहिये शाह जी
bahut sundar..
ReplyDeletewhat an idea madam ji..
किसी का दिल ना दुखे
ReplyDeleteऐसा ही बोलो, लिखो या कहो
मेरा तो यही मत है -
किसी से सँवाद तथी स्थापित
होता है
जब आप अपना विरोध भी,
सँयम बरत कर करेँ
" एक तरीका होता है "
- जैसे अनूप शुक्ला जी ने भी कहा
आशा है,
लोग इस पर ध्यान देँगेँ ..
- लावण्या
bahut khoob
ReplyDeletesabki bakhiya udhed di...
बहूत खूब !
ReplyDeleteलेकिन बहनजी, ये ना भूले कि
बदनाम होगा तो क्या नाम न होगा!
लगता है आपके दिल, दिमाग और सोच (अगर है तो) सिर्फ और सिर्फ मसिजीवी ही छाए हूए हैं। मसिजीवी का इतना गुन गान करने से तो बेहतर है कि आप उनसे यह सीखे की किसी एक व्यक्ति के ऊपर एक पोस्ट बरबाद करने की बजाये कोई विचारोत्तेजक पोसट लिखे जो कि आपने शायद बहूत अरसे नही लिखी
दर्द सबको अपना ही महसूस होता है
ReplyDeleteदूसरे का दर्द दर्द कहां होता है जी।
मसिजीवी कोई औउसत पाठक नक्को जी. उने...औउसत पाठक ब्लॉगर भी नक्को. ईसे में वो जो भी लिक्खेंगे मियां, वो भी औउसत नक्को होगा न....मालूम या नहीं...मसिजीवी ने तोताचान पढ़ रक्खी है....और वो नीलोफर ने भी तोताचान पढ़ रक्खी है मियां...कितना बड़ा को-इन्सिडेन्स है...या खुदा...आउट ऑफ़ बॉक्स ब्लॉगर लोग से क्या-क्या लिखवाता है तू?
ReplyDeleteलिंक्स बड़े शानदार दिये हैं पोस्ट पढ़ कर मजा आया
ReplyDeleteमेरा मानना है कि किसी का सार्वजनिक तौर पर विरोध करने का मतलब है कि उस को बढ़ावा देना यदि आप उसका विरोध बिना प्रचार के करे तो अच्छा रहता है । क्यों कि वह व्यक्ति बिना कुछ किये ही प्रसिद्धि पा जाता है ।
ReplyDeleteमुझे तो पोस्ट पढ़कर बहुत आनन्द आया। आखिर अपने विचारों को व्यक्त करने का सबको अधिकार है।
ReplyDeletefine. good. exe. I am not part of this.....
ReplyDeleteमुझे जितनी अपनी इज्जत की फ़िक्र है उतनी ही सामने वाले की इज्जत की भी, क्योकि अगर इज्जत करवानी है तो इज्जत करना सीखॊ...
ReplyDeleteआप की कविता शिकायत के रुप मै बहुत अच्छी लगी, ओर इ कविता मै शिकायात भी उचित है, मां तो सब की एक समान है जिस ने भी लावण्या जी की मां की बेज्जती कि उस ने अपनी मां हम सब की मां की बेज्जती की है, यहां हम सब एक दुसरे को भी सभ्या हो कर शिकायत करे, यही उचित है, ओर एक दुसरे की बात सहनी सीखॆ.
धन्यवाद
व्हाट अन आईडिया सर जी
ReplyDeleteसरजी को कोई फरक नहीं पड़ता हिंदी ब्लोगिंग मे वो जब से लिख रहे हैं यही होता हैं ना जाने कितने ब्लॉग हैं उनके
What he is? uxorious or henpecked? or just acting foolish?
ReplyDeleteआपने अच्छा और करारा जवाब लिखा है । यदि आपकी इस पोस्ट का पता होता तो इसका संदर्भ भी देती। मसिजीवी ने अपनी भूल के लिए चलते-चलाते खेद प्रकट किया है। अपना घर पर देख लें। उम्मीद करती हूँ कि लावन्या जी ने उन्हे माफ कर देंगी।
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