सच बोलना जितना मुश्किल है , सच को स्वीकारना उस से भी ज्यादा मुश्किल है . लेकिन सच ही शाश्वत है और रहेगा मुझे अपने सच पर उतना ही अभिमान है जितना किसी को अपने झूठ से होने वाले फायदे पर होता हैं
मेरे ब्लॉग के किसी भी लेख को कहीं भी इस्तमाल करने से पहले मुझ से पूछना जरुरी हैं
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हाँ,मै ईश्वर को मानती हूँ । लेकिन ,
ReplyDeleteमेरा ईश्वर कौन है,ये सिर्फ़ मै ही जानती हूँ ।
आप नाम जो भी दे दें ... ईश्वर या खुदा , गौड या रब ... या फिर प्रकृति ही कह लें ... एक शक्ति अवश्य है ... जो सारी दुनिया को संचालित करती है ... और बहुत सही ढंग से ... मैं उस शक्ति के आगे हमेशा नतमस्तक हूं और रहूंगी।
ReplyDeletearchana ji ne to mere muh ki baat chin li.
ReplyDeleteMein bhi saakar ko nahimanta hoon,
haan magar nirakar mein meri pakki astha hai agar apni swarachit kavita ke madhyam se kehna chaoon to:
मैं अन्दर सूष्म प्रकाश के,मैं बाहर अनंत आकाश के.
मेरा नहीं कोई त्रिनेत्र,परन्तु वृहद् मेरा क्षेत्र .
नहीं केवल मैं रक्षक सीता का,परम ज्ञान मुझमें गीता का.
तेत्तिस करोड़ केवल भ्रम हैं ,तू और मैं केवल हम हैं .
बुद्धि ज्ञान तर्क से ,इहलोक उहलोक नरक से ....
नहीं मेरा कोई सम्बन्ध ,ह्रदय से मेरा अनुबंध.....
waah archana , kyaa baat kahii haen . kaash sab isko samjh paatey . intezaar haen aur logo ki opinion kaa
ReplyDeleteमैं आज तक इसी बात में अटका रहता हूँ कि इश्वर है कि नहीं ..........
ReplyDeleteमेरी कलम - मेरी अभिव्यक्ति
मैं इश्वर जैसी किसी अवधारना को नही मानती. हाँ प्रकृति के आगे मैं नतमस्तक हूँ
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