सच बोलना जितना मुश्किल है , सच को स्वीकारना उस से भी ज्यादा मुश्किल है . लेकिन सच ही शाश्वत है और रहेगा मुझे अपने सच पर उतना ही अभिमान है जितना किसी को अपने झूठ से होने वाले फायदे पर होता हैं
मेरे ब्लॉग के किसी भी लेख को कहीं भी इस्तमाल करने से पहले मुझ से पूछना जरुरी हैं
April 30, 2009
सभी अनाम टिप्पणीकारो को सादर नेह निमंत्रण हैं इस पोस्ट पर कमेन्ट करने का ।
आभार होगा और हो सके तो ब्लोगिंग के ग्रुप पर भी चर्चा हो जाए ।
आज मोदेरेशन सक्षम हैं । क्युकी अनाम होकर आप राय बहुत आसानी से दे सकते हैं सो आज दे दे । कमेन्ट कल पब्लिश होगी । सभी अनाम टिप्पणीकारो को सादर नेह निमंत्रण हैं इस पोस्ट पर कमेन्ट करने का ।
April 29, 2009
कभी कभी
तेरी जुल्फों की घनी छाँव मे गुजरने पाती
तो शायद ब्लॉग्गिंग हो भी सकती थी
मगर ये हो ना सका और
अब ये आलम हैं
तू नहीं तेरी टिप्पणी भी नहीं
गुजर रही हैं ब्लोगिंग कुछ इस तरह
जैसे इसे किसी
अग्रीगेटर की जरुरत भी नहीं
April 28, 2009
ब्लॉग पोस्ट कितनी लम्बी हो क्या ज्यादा से ज्यादा कितने शब्दों की हो ??
April 27, 2009
आप टिप्पणी क्यूँ देते हैं ?
April 25, 2009
आप को ब्लॉगर से साहित्यकार बना दिया गया हैं -- तालियाँ .......
क्या ब्लॉग लेखन करना एक कमतर कार्य हैं और ब्लॉगर कहलाने से बेहतर हैं साहित्यकार कहलाना ??
अगर आप को ब्लॉग लेखन से प्रसिद्दि मिल रही हैं तो आप को तुष्टि साहित्यकार कह लाने से ही क्यों मिलती हैं ??
आप बडे हैं , आप बेहतर हिन्दी के ज्ञाता हैं ये किसी को आप कैसे बता सकते हैं या आप साहित्यकार हैं और ब्लॉगर से ऊँचे पायदान पर खडे हैं , इस बात को कैसे स्थापित कर सकते हैं ?
बहुत आसान हैं ,
किसी की भी पोस्ट मे या कमेन्ट मे वर्तनी की त्रुटियां खोज ले और उसकी पोस्ट के नीचे लिख दे , लीजिये आप का वर्चस्व स्थापित होगया । तालियाँ .......
April 24, 2009
आप उत्तर दे सके तो भी अच्छा हैं अन्यथा आप के मन मे जो सवाल हो उन्हे यहाँ बांटे ।
- क्या स्कूल सच मे जिम्मेदार हैं अगर किसी बच्चे की मृत्यु { किसी लम्बी या ला इलाज बिमारी के कारण } स्कूलमे हो जाती हैं ?
- क्या किसी भी स्कूल के लिये ये सम्भव हैं की वो हर बीमारी से सम्बंधित प्राथमिक उपचार की सुविधा स्कूल के मेडिकल रूम मे उपलब्ध रखे ??
- माता पिता या अभिभावक कितना जिम्मेदार हैं अपने बीमार बच्चो को स्कूल भेजने के लिये ?
- क्या स्कूल को अधिकार हैं कि किसी भी बच्चे को अपने स्कूल मे भरती करने से मना करदे जो किसी लम्बी बीमारी से ग्रसित हैं या जिस की बीमारी ला इलाज हैं क्युकी स्कूल के पास उस बिमारी का प्राथमिक उपचार नहीं हैं ।
April 22, 2009
मेरे ब्लॉग पर तिरंगा कैसा दिख रहा हैं ज़रा बताये ताकि अगर सही न दिख रहा रहा हो तो कुछ उपाय सोचा जाये ।
तिरंगे का html कोड दे रही हूँ जो लोग इसको अपने ब्लॉग पर लगाना चाहे लगा ले । और सबसे ऊपर लेआउट मे जा कर इसको जोडे ।
इस कोड को आप टेक्स्ट मे इस पेज पर जा कर देख सकते हैं और उसको कॉपी पेस्ट करके html मे डाल सकते हैं ।
कई बार कुछ ब्लॉग IE मे सही नहीं दिखते और राइट साइड की पूरी पटी नीचे सरक जाती हैं ।
मेरे ब्लॉग पर तिरंगा कैसा दिख रहा हैं ज़रा बताये ताकि अगर सही न दिख रहा रहा हो तो कुछ उपाय सोचा जाए ।
अगर आप ख़ुद html बनाना चाहते हैं तो आप पहले पोस्ट बना ले compose मोड मे । उसमे जो भी तिरंगे का चित्र डालना हो वो डाल ले और नीचे अगर कुछ लिखना हो तो लिख ले । उसके बाद आप पोस्ट के ऊपर दिये गए edit html के बटन को दबा दे तो आप की पोस्ट का html बन जाएगा . फिर आप इसको जहाँ चाहे डाले ।
तिरंगे के प्लेसमेंट को ले कर कई दिन से ब्लॉग पर कुछ विवाद चल रहा हैं , ये कोशिश हैं उसको सार्थक तरह से सुलझाने की और अपने तिरंगे को हर ब्लॉग पर पहुचाने की । दो साल पहले भी मैने एक कोशिश की थी सब हिन्दी ब्लॉगर अपने ब्लॉग पर तिरंगा लगाए पर तब नहीं हो पाया । आज अगर हो जाए तो बहुत ही अच्छा हैं ।
April 19, 2009
जन साधारण ब्लोगर भी प्रसिद्दि पा सकता हैं बस एक प्रविष्टि भर ले
आज चिट्ठाचर्चा पर एक पोस्ट आयी हैं जिस मे ये लिखा हैं
"भारत के अन्य प्रसिद्ध चिट्ठाकारों की एक सम्यक सूची आप यहाँ देख सकते हैं।"
लिंक पर जा कर देखा तो पता चला महज एक ब्लॉग डायरेक्टरी हैं जहाँ कोई भी जा कर अपना ब्लॉग जुडवाने के लिये संपर्क कर सकता हैं । ये कोई ऐसी सूची नहीं हैं जिस पर नाम आने का मतलब है " प्रसिद्ध चिट्ठाकार " का तमगा दे दिया जाये । ये केवल और केवल भ्रम पैदा करने का तरीका हैं
जो ब्लॉगर अपना नाम प्रसिद्ध चिट्ठाकारों !!!! की सूची मे दर्ज देखना चाहते हो वो इस लिंक पर जा कर अपने ब्लॉग का नाम इस सूची मे जोड़ने का प्रयास कर सकते हैं ।
जन साधारण ब्लोगर भी प्रसिद्दि पा सकता हैं बस एक प्रविष्टि भर ले ऊपर दिये गए लिंक पर जा कर ।
और चर्चा के लिंक से वापस आकर यहाँ कमेन्ट मे जरुर बताये क्या महसूस हुआ । और ब्लोग्वानी का पसंद का स्टीकर ऊपर हैं जरुर पसंद करे । मैने तो चर्चा पढ़ कर प्रसिद्दि हथियाने के तरीके सोच लिए हैं । बस आप पसंद पर क्लिक करदे आभार होगा !!
April 17, 2009
आप बताये किसको वोट दूँ ?
आप बताये किसको वोट दूँ ?
April 16, 2009
गूगल टूल बार मे जीमेल का बटन लगाए
इंक ब्लोगिंग मेरी माँ की हस्तलिपि मे विनम्र श्रद्धांजलि --- श्री विष्णु प्रभाकर
इस आलेख को इंक ब्लोगिंग के द्वारा लिखा गया हैं । प्रष्ट बड़ा करने के लिये क्लिक करे । कुछ अनछुए पहलु हैं।ऊपर दिया गया लिंक क्लिक करे और पढे ।
April 14, 2009
आप सबके ईमेल ब्लॉगवाणी और चिट्ठाजगत पर दिख रहे हैं ।
ज़रा ध्यान दे
आज तकनीक की समस्या आ रही हैं या तो गूगल ने कुछ बदलाव किया हैं या फिर कहीं उनके सर्वर पर कुछ समस्या हैं । मै अभी बता नहीं सकती पर आप सबके ईमेल ब्लॉगवाणी और चिट्ठाजगत पर दिख रहे हैं ।
ध्यान दे और सम्भव हो तो बिना log in किये हुए कमेन्ट करे ।
पाश्चात्य सभ्यता अगर इतनी खुली हैं तो जनसँख्या हमारी क्यूँ ज्यादा हैं ?? जरुर बताये
खुला पन क्या होता हैं ? इसकी कोई परिभाषा नहीं मिली कहीं भी बस जहाँ तहां { ब्लोग्स पर } यही पढ़ने को मिला की पाश्चात्य सभ्यता मे सेक्स को ज्यादा महत्व दिया गया हैं ।
जनसँख्या सम्बंधित कुछ आकडे प्रस्तुत करे रही हूँ जो शायद आप को रुचिकर लगे अब जनसँख्या की बढोतरी सेक्स आधारित हैं या नहीं , इस पर जरुर चर्चा हो !!!!!!
India — Population: 1,147,995,904
United States — Population: 303,824,640
"Paris" — Population: 2,167,994
United Kingdom — Population: 60,943,912
पाश्चात्य सभ्यता अगर इतनी खुली हैं तो जनसँख्या हमारी क्यूँ ज्यादा हैं ?? जरुर बताये
April 10, 2009
हिन्दी ब्लोगिंग मे दो साल पूरे
पर जीतेन्द्र चौधरी जी ने पहली बार मई २००७ मै हिन्दी ब्लोगिंग की दुनिया से पहला परिचय कराया ।
जाकिर अली 'रजनीश' जी ने प्यार रिश्तो का मुहताज नही होता पर पहला कमेंट दिया
उसके बाद ना जाने कितने ब्लॉग बनाए और मिटाए क्युकी वो मकसद नहीं मिला किसके लिये हिन्दी मे ब्लॉग लिखती फिर एक दिन समीर के ब्लॉग पर सुभाष भदोरिया जी ने लिखा नेट की अधिकतर कवियत्रीयों की रचनायें वज़न से खारिज़ होती है।ओढ़ा हुआ दर्द घनश्याम की लीला का वर्णन बहुत गुस्सा आता है
सीधा सीधा लिंग भेद का मामला था और फिर ऐसे ना जाने कितनो के कमेन्ट कितने ही ब्लॉग पर देखे । हर बार आपत्ति दर्ज कराई । लोग नाम पर आक्षेप करने लगे , माँ पिता तक के लिये अपशब्द कहे गए और अनाम बन कर । फिर अपना अनाम ब्लॉग बनाया और हर उस कमेन्ट को जो किसी भी महिला के ख़िलाफ़ लगा उसको डाला । सुभाष भदोरिया जी की एक निहायत ही बकवास कविता को मेरे आपत्ति करने पर हिन्दी ब्लोग्गर्स ने मिलकर नेट से हटवाया , याहू पर संपर्क करके । उसी दोरान कमलेश मदान से संपर्क हुआ जो आज भी माँ कह कर ही मन को सुख देते हैं ।
फिर नारी ब्लॉग बनाया और उसके बाद हिन्दी ब्लोगिंग मे कुछ ना कुछ उथल पटल होती ही रही मेरे कमेन्ट से क्युकी शायद मेरे कमेन्ट का सीधा और सपाट होना सही नहीं लगा यहाँ ।
सुजाता और अनुराधा ने बहुत प्रभावित किया और घुघूती जी की सुन्दरता पर मन मुग्ध हुआ जब उनसे पहली बार ब्लॉग मीट मे मिली । उनका लेखन पढ़ कर बहुत कुछ सीखा । बाकी बहुत सी ब्लॉगर से संबध ईमेल और चैट के जरिये बने जिसमे ममता ने पहली बार कहा की वो मेरे ब्लोगिंग परिवार का हिस्सा हैं और इस नाते से वो दिल्ली आयी हैं तो फोन कर रही हैं । मीनाक्षी ने कविताओं पर बहुत ही विस्तार से अपनी समीक्षा भेजी ।
समीर भी जब भी इंडिया आए उन्होने जरुर फोन पर संपर्क किया । यतीश , अमित , दुर्गा जो आज सक्रिये नहीं हैं से बहुत ही सौहार्द पूर्ण सम्बन्ध हैं । शास्त्री जी और उनके ब्लॉग ने शुरू मे बहुत ही प्रभावित किया पर फिर उनका लेखन नहीं भाया और तार टूट गए । अफलातून जी से मिल कर अपने पापा की याद आयी क्युकी दोनों की फिलोसफी एक सी लगी ।
स्वपनदर्शी और कवि कुलवंत समय निकल कर घर आये और माँ से मिले , बहुत अच्छा लगा
आज लगता हैं २ साल बीत गए और मकसद भी पूरा होगया । मन मे संतोष हैं की जो मे करना चाहती थी मैने किया । अब आगे क्या ? शायद यहाँ का समय पूरा होगया हैं और किसी रास्ते पर चलना चाहिये । पता नहीं ???
लेकिन आज एक बात मन मे जरुर हैं की वो सब जो मुझे अनाम हो कर अपशब्द लिखते रहे , मेरे निज पर , मेरे कपड़ो पर निरंतर छीटाकशी करते रहे आज क्या वो अपने नाम से इस पोस्ट पर अपना परिचय देगे और मुझे मेरी सारी कमियाँ जो उनकी नज़र मे हैं से अवगत करायेगे ।
आज कोई कमेन्ट मोदेरेशन नहीं होगा ।
April 08, 2009
वोयारिस्म एक भयंकर बीमारी हैं पढिये और देखिये कही आप इससे ग्रसित तो नहीं हैं ।
वोयेरिज्म पर कुछ और जानकारी दे रेही हूँ शायद कामआजाए । वैसे कामिल बुल्के और ऑक्सफोर्ड इत्यादि मे बहुत से अर्थ हैं लेकिन किसी भी शब्द का अर्थ उसके वाक्य मे और सन्दर्भ मे उसके प्रयोग से होता हैं । जब कुछ शब्दों को adult ह्यूमर के तहत प्रयोग किया जाता हैं पर उनपर आये कमेंट्स को adult ह्यूमर की तरह क्यों नहीं लिया जाता ?? ख़ैर अभी तो हिन्दी ब्लोगिंग ही बाल्यकाल मे हैं तो हिन्दी ब्लॉगर को व्यसक मानना ही गलती हैं ।
किस्सा हैं एक ब्लॉगर ने एक पोस्ट मे एक फ़िल्म की समीक्षा की और कहा की उसको फ़िल्म पसंद आयी तुंरत कमेन्ट आया " पोर्नो को भीमात करते हैं !" अब बताओ क्या जरुरी हैं की जो तुमको पॉर्न लगता हो जिसने समीक्षा की उसे भी लगे ।
यानी पहले परिभाषाये और अर्थ सही करे फिर समीक्षा हो या अपनी अपनी समझ से लिखे और तैयार रहे कमेन्ट के लिये क्युकी आप की समझ आप की हैं और पढ़ने वाली की सोच और समझ उसकी हैं । लेकिन मजोरिटी को जो सही लगे और आज के सन्दर्भ मे जो सही हैं वही सही माना जाता हैं पर मजोरिटी अगर झूठ और फरेब मे जीने चाहे और अपनी ग़लत सोच को आगे बढाए तो किसी ना किसी को तो पहल करनी ही होगी सो आगे आलेख पढे
Voyeurism
Definition
Voyeurism is a psychosexual disorder in which a person derives sexual pleasure and gratification from looking at the naked bodies and genital organs or observing the sexual acts of others. The voyeur is usually hidden from view of others. Voyeurism is a form of paraphilia.
A variant form of voyeurism involves listening to erotic conversations. This is commonly referred to as telephone sex, although it is usually considered voyeurism primarily in the instance of listening to unsuspecting persons.
Description
The object of voyeurism is to observe unsuspecting individuals who are naked, in the process of undressing or engaging in sexual acts. The person being observed is usually a stranger to the observer. The act of looking or peeping is undertaken for the purpose of achieving sexual excitement. The observer generally does not seek to have sexual contact or activity with the person being observed.
If orgasm is sought, it is usually achieved through masturbation. This may occur during the act of observation or later, relying on the memory of the act that was observed.
Frequently, a voyeur may have a fantasy of engaging in sexual activity with the person being observed. In reality, this fantasy is rarely consummated.
A number of states have statutes that render voyeurism a crime. Such statutes vary widely regarding definitions of voyeurism. Most states specifically prohibit anyone from photographing or videotaping another person, without consent, while observing that person in the privacy of his home or some other private place.
Causes and symptoms
Causes
There is no scientific consensus concerning the basis for voyeurism. Most experts attribute the behavior to an initially random or accidental observation of an unsuspecting person who is naked, in the process of disrobing, or engaging in sexual activity. Successive repetitions of the act tend to reinforce and perpetuate the voyeuristic behavior.
Symptoms
The act of voyeurism is the observation of an unsuspecting person who is naked, in the process of disrobing, or engaging in sexual activity that provides sexual arousal. To be clinically diagnosed, the symptoms must include the following elements:
recurrent, intense or sexually arousing fantasies, sexual urges, or behaviors
fantasies, urges, or behaviors that cause significant distress to an individual or are disruptive of his or her everyday functioning.
Demographics
Voyeurism is apparently more common in men, but does occasionally occur in women. However, the prevalence of voyeurism is not known. Contemporary U.S. society is increasingly voyeuristic (as in the example of "real" television); however diagnosis is made only when this is a preferred or exclusive means of sexual gratification.
The onset of voyeuristic activity is usually prior to the age of 15 years. There are no reliable statistics pertaining to the incidence of voyeurism in adulthood.
Diagnosis
According to the mental health professional's handbook, Diagnostic and Statistical Manual of Mental Disorders, two criteria are required to make a diagnosis of voyeurism:
Over a period of at least six months, an individual must experience recurrent, intense, sexually arousing fantasies, sexual urges, or behaviors that involve the act of observing an unsuspecting person who is naked, in the process of disrobing, or engaging in sexual activity.
The fantasies, sexual urges, or behaviors must cause clinically significant distress or impairment in social, occupational, or other important areas of functioning.
In order for a condition to be labeled "voyeurism," the fantasies, urges, or behaviors to watch other persons must cause significant distress in the individual or be disruptive to his or her everyday functioning.
Treatments
For treatment to be successful, a voyeur must want to modify existing patterns of behavior. This initial step is difficult for most voyeurs to admit and then take. Most must be compelled to accept treatment. This may often be the result of a court order.
Behavioral therapy is commonly used to try to treat voyeurism. The voyeur must learn to control the impulse to watch non-consenting victims, and just as importanly to acquire more acceptable means of sexual gratification. Outcomes of behavioral therapy are not known. There are no direct drug treatments for voyeurism.
Voyeurism is a criminal act in many jurisdictions. It is usually classified as a misdemeanor. As a result, legal penalties are often minor. The possibility of exposure and embarrassment may deter some voyeurs. It is also not easy to prosecute voyeurs as intent to watch is difficult to prove. In their defense statements, they usually claim that the observation was accidental.
Prognosis
Once voyeuristic activity is undertaken, it commonly does not stop. Over time, it may become the main form of sexual gratification for the voyeur. Its course tends to be chronic.
The prognosis for eliminating voyeurism is poor because most voyeurs have no desire to change their pattern of behavior. Since voyeurism involves non-consenting partners and is against the law in many jurisdictions, the possibility of embarrassment may deter some individuals.
Prevention
Most experts agree that providing guidance regarding behavior that is culturally acceptable will prevent the development of a paraphilia such as voyeurism. The origin of some instances of voyeurism may be accidental observation with subsequent sexual gratification. There is no way to predict when such an event and association will occur.
Members of society at large can reduce the incidence of voyeurism by drawing curtains, dropping blinds or closing window curtains. Reducing opportunities for voyeurism may reduce the practice.
See also ; Exhibitionism
Resources
BOOKS
American Psychiatric Association. Diagnostic and Statistical Manual of Mental Disorders.Fourth edition, text revised. Washington DC: American Psychiatric Association, 2000.
Gelder, Michael, Richard Mayou, and Philip Cowen. Shorter Oxford Textbook of Psychiatry.4th ed. New York: Oxford University Press, 2001.
Kohut, John J., Roland Sweet. Real Sex: Titillating but True Tales of Bizarre Fetishes, Strange Compulsions, and Just Plain Weird Stuff.New York: Plume, 2000.
Wilson, Josephine F. Biological Foundations of Human Behavior.New York: Harcourt, 2002.
PERIODICALS
Abouesh, A., and A. Clayton. "Compulsive voyeurism and exhibitionism: a clinical response to paroxetine." Archives of Sexual Behavior28, no. 1 (1999): 23–30.
Furnham, A., and E. Haraldsen. "Lay theories of etiology and 'cure' for four types of paraphilia: fetishism; pedophilia; sexual sadism; and voyeurism." Journal of Clinical Psychology54, no. 5 (1998): 689–700.
Rosler, A., and E. Witztum. "Pharmacotherapy of paraphilias in the next millennium." Behavioral Science Law18, no. 1 (2000): 43–56.
Simon, R. I. "Video voyeurs and the covert videotaping of unsuspecting victims: psychological and legal consequences." Journal of Forensic Science42, no. 5 (1997): 884-889.
ORGANIZATIONS
American Medical Association. 515 N. State Street, Chicago, IL 60610. Telephone: (312) 464-5000. Web site: .
American Psychiatric Association. 1400 K Street NW, Washington, DC 20005. Telephone: (888) 357-7924. Fax:(202) 682-6850. Web site: .
American Psychological Association. 750 First Street NW, Washington, DC, 20002-4242. Telephone: (800) 374-2721 or (202) 336-5500. Web site: .
L. Fleming Fallon, Jr., M.D., Dr.P.H.
User Contributions:
The following comments are not guaranteed to be that of a trained medical professional। Please consult your physician for advice.
गूगल के पास मेटा टैग भी हैं जो आपकी साईट को दूसरे सर्च इंजन मे आने से भी रोक सकता हैं
गूगल ने इसी बहुत सी सुविधाए दे रक्खी हैं जहाँ आप चाहे तो अपनी पूरी साईट ही गूगल सर्च से हटा सकते हैं ।
इसके अलावा गूगल से अपनी मिटी हुई पोस्ट का cache भी हटाया जा सकता है ये सुविधा गूगल के वेब मास्टर टूल मे उपलब्ध हैं ।
गूगल के पास मेटा टैग भी हैं जो आपकी साईट को दूसरे सर्च इंजन मे आने से भी रोक सकता हैं
ये केवल और केवल एक भ्रम हैं की हम नेट पर से सब कुछ हमेशा के लिये नहीं मिटा सकते हाँ ये सही हैं की हिन्दी अग्रीगाटर के पास कई बार आप की मिति हुई पोस्ट और कमेन्ट मिल जाते हैं क्युकी अभी उनके पास तकनीक पुरानी हैं
इस सब बातो को करके आप अपना व्यावहारिक ज्ञान बढ़ा सकते हैं । कोई तकनीक का जानकर आप की केवल मद्दत कर सकता हैं पर इस को व्यावहारिक रूप से कर के ही आप इस को समझ सकते हैं
April 05, 2009
व्यक्तिगत रूप से मुझे लगता हैं कि मेनका गाँधी ग़लत हैं
मेनका गाँधी का ये कहना कि मायावती माँ नहीं हैं इसलिये माँ का दर्द नहीं समझती किसी भी तरह उचित नहीं है । राजनीती कि बात छोड़ दे और एक आम नागरिक कि तरह बात करे तो मेनका गाँधी कि बात पर मायावती का नाराज होना बिल्कुल उचित हैं ।
हमारे समाज मे हमेशा से विवाहित स्त्री को अविवाहित स्त्री से ऊंचा दर्जा दिया जाता हैं और मेनका गाँधी ने इसी बात का फायदा उठा कर मायावती पर टंच कसा हैं । मेनका गाँधी का विवाहित होना और माँ होना किसी भी तरह से उनकी काबलियत का प्रमाण नहीं हैं ।
मायावती मे हज़ार बुराईयाँ हैं लेकिन उनका अविवाहित और माँ ना होना उनकी बुराईयों मे नहीं हैं । ब्लॉग पर निरंतर पोस्ट आ रही हैं कि मायावती ने ये कहा वो कहा लेकिन अभी तक किसी ने मेनका के लिये कोई प्रश्न क्यूँ नहीं किया कि उन्होने किस बिना पर मायावती पर टंच कसा ।
व्यक्तिगत रूप से मुझे लगता हैं कि मेनका गाँधी ग़लत हैं
April 04, 2009
कभी कभी लगता हैं कि जो ब्लॉगर सबसे ज्यादा विरोध करते हैं पाश्चात्य सभ्यता का वो ही सबसे कम याद रखते हैं अपनी संस्कृति और सभ्यता को ।
जब भी वैलेंटाइन डे { या किसी भी ऐसे दिन } कि बात होती हैं विरोध के मुखर स्वर ब्लॉग पर होते हैं क्युकी उनको लगता हैं कि भारतीये संस्कृति रसातल मे चली गयी । विरोध कराने वाले नाम गिने हुए हैं उँगलियों पर जिनको हमेशा डर रहता हैं कि पाश्चात्य सभ्यता हम पर हावी हैं या हो रही हैं । बार बार ब्लॉग पर आलेख पर आलेख आते हैं , आलेखों को एक ब्लॉग से दूसरे ब्लॉग पर डाला जाता हैं , एक दूसरे को unconditional support दी जाती हैं ।
उस समय एक युद्ध जैसा माहोल तैयार कर दिया जाता हैं ।
लेकिन कल जब राम नवमी थी वो सब ब्लॉगर बिल्कुल चुप थे क्यूँ क्या भारतीये संस्कृति का अर्थ केवल और केवल दुसरो का विरोध करना हैं लेकिन जब बात अपनी संस्कृति के त्योहारों कि हो तो उसको भूल जाना बेहतर होता हैं ।
कभी कभी लगता हैं कि जो ब्लॉगर सबसे ज्यादा विरोध करते हैं पाश्चात्य सभ्यता का वो ही सबसे कम याद रखते हैं अपनी संस्कृति और सभ्यता को ।
April 03, 2009
ज़रा पहचानिये तो
आज आप सब की सुविधा के लिये दो चित्र दिये गये हैं । ब्लॉगर एक ही हैं !!! जल्दी से नाम बताये । मोदेरेशन सक्षम हैं
चित्र देखे आज फिर जवाब के साथ
April 02, 2009
अब देखे इस चित्र को कौन कौन पहचानता हैं ।
कल पूछा था ये कौन हैं पर कोई भी नहीं पहचान पाया ?? लीजिये अब मिलिये
April 01, 2009
पहचानिये ये कौन कौन हैं । ब्लॉगर हैं हमारे आपके जैसे पर कौन हैं क्या बता सकते हैं ?
यहाँ जाए
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