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सच बोलना जितना मुश्किल है , सच को स्वीकारना उस से भी ज्यादा मुश्किल है . लेकिन सच ही शाश्वत है और रहेगा मुझे अपने सच पर उतना ही अभिमान है जितना किसी को अपने झूठ से होने वाले फायदे पर होता हैं
मेरे ब्लॉग के किसी भी लेख को कहीं भी इस्तमाल करने से पहले मुझ से पूछना जरुरी हैं
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(25)
ममता जी !!
ReplyDeleteबहुत मुश्किल पहेलियाँ हैं जी! शायद जिसकी तस्वीर है वो खुद भी न पहचान पाये!
ReplyDeleteकुश ठीक ही पहचान गये हैं शायद । ममता जी ही ।
ReplyDeleteकठीन है.
ReplyDeleteside face mamta ji hi hai.
ReplyDeletesab jaante hae photo mamta ji ka hae
ReplyDeletesamay kharab karne ke liye achchha hai.
ReplyDeleteमेरा मत कुश जी के साथ है
ReplyDeleteपहचान लिया
ReplyDeleteमैं नहीं हूं।
ममता जी है
ReplyDeleteरचना तुमने भी ये अच्छा शुरू कर दिया है ।
ReplyDeleteलगता है पहली अप्रैल का नशा अभी उतरा नही है । :)
पिछली वाली पोस्ट मे कौन था और आज ये कौन है । :)
ReplyDeleteकुश का ज़वाब ठीक हो सकता है..
पर.. मेरे संग तो अलग तरह की असमंज़स है..
एक तो यह ब्लागर हैं
और दूसरे यह हिन्दी ब्लागर हैं..
नारी हैं, यह एक बायलोज़िकल घटना है
पैदा होने पर पुकारे जाने की टैगिंग में एक नाम मिला..
समाज़ ने एक उपनाम भी थोपा ही होगा..
नाम तो मैं नहीं बताना चाहता,
कल को कोई चाँद और ए,आर.रहमान सरीखा बदल ही ले तो ?
बहुत सारे लोग हैं, जो प्रचार के अनिच्छुक हैं, या उत्पात मचाने को ही सही.. पर नाम को छुपाये रखना चाहते हैं !
सभी का अपना योगदान ही उसकी पहचान है..
लेखन की शैली और तेवर ही उनका नाम है !
इस प्रकार पाठकों को आकर्षित करने से
मुझे हिन्दी ब्लागिंग में दूरगामी दुष्परिणाम दिख रहे हैं..
अतएव इस असंगत टिप्पणी को वहन करें..
मैं भी तो अमर कुमार नहीं हूँ..
अब बताइये.. का कल्लेंगी ?