सच बोलना जितना मुश्किल है , सच को स्वीकारना उस से भी ज्यादा मुश्किल है . लेकिन सच ही शाश्वत है और रहेगा मुझे अपने सच पर उतना ही अभिमान है जितना किसी को अपने झूठ से होने वाले फायदे पर होता हैं
मेरे ब्लॉग के किसी भी लेख को कहीं भी इस्तमाल करने से पहले मुझ से पूछना जरुरी हैं
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April 28, 2009
ब्लॉग पोस्ट कितनी लम्बी हो क्या ज्यादा से ज्यादा कितने शब्दों की हो ??
ब्लॉग पोस्ट कितनी लम्बी हो क्या ज्यादा से ज्यादा कितने शब्दों की हो ?? आप कैसी पोस्ट पढ़ना पसंद करते हैं ? क्या बहुत लम्बी पोस्ट को देख कर आप को भी मेरी तरह लगता हैं "टाइम कम हैं एक इतनी लम्बी पोस्ट पढ़ने से बेहतर हैं तीन चार पोस्ट पढ़ लूँ " । ज़रा बताये ।
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ज्यादा लम्बी प्रविष्टियाँ थोड़ी असुविधा तो पैदा करती ही हैं ।
ReplyDeleteहर विषय पर केन्द्रित प्रविष्टियाँ पढ़ना चाहता हूँ ।
मैं किसी भी पोस्ट को उसकी लम्बाई देखकर नहीं पढ़ता ।
धन्यवाद ।
अगर पोस्ट का विषय अच्छा हो और शुरुआत अच्छी हो तो उसे पूरा पढ़ा जा सकता है ...लेकिन लोग ऐसा कम ही करते हैं ...वैसे मेरी पोस्ट तो ज्यादातर लम्बी ही होती हैं ...तभी शायद एपी बहुत कम पढ़ती हैं :) :)
ReplyDeleteये विषयवस्तु पर निर्भर करता है.
ReplyDeleteरामराम.
आप अपनी बात जितने कम शब्दों में कह सकें.
ReplyDeleteवैसे यह विषयवस्तु पर निर्भर है ..पर अधिक लम्बी पोस्ट को मैं अक्सर २-३ भागों में विभक्त कर देती हूँ. मुझमे इतनी छमता नही की लम्बी पोस्ट के अंत तक पाठकों को बांध कर रख सकूँ ,जो कर सकतें हैं उनके लिए अच्छा है.
ReplyDeleteपत्रकारिता में सिखाया जाता है कि अच्छी रिपोर्ट स्कर्ट की तरह है.. सभी आवश्यक बातों को सन्निहित भी कर ले और रोचक भी लगे.. शायद ब्लॉग पोस्ट के विषय में भी यही उचित है..
ReplyDeleteसिर्फ कंटेंट महत्वपूर्ण होता है पोस्ट की लम्बाई नहीं ,लापुझुन्ना ,नीरा जी ,शायदा जी ,विधु जी ....डॉ अमर कुमार ,अनूप शुक्ल जी ,प्रत्यक्षा जी ,चोखेर बाली के कुछ लेख कितने ही लम्बे क्यों ना हो...... ओर इससे इतर भी ऐसे कितने लोग है जिनका नाम अभी नहीं लिख प् रहा हूँ ...पर उनके लिखे में इमानदारी होती है ..पढने में मजा आता है..
ReplyDeleteब्लॉग्गिंग करते है,तारीफ पसंद है पर गलियां सुनना पसंद नहीं..क्यों हिन्दुस्तान का दर्द पर एक सच्चाई दर्शाने वाली पोस्ट पढें
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