माँ बनाने के लिये माँ होना जरुरी नहीं हैं । मायावती के ये शब्द मुझे बिल्कुल सही लगे । और मायावती ने जो मदर टेरसा का उदहारण दिया हैं वो भी सही हैं क्युकी मदर टेरसा जैसी माँ शायद ही कोई दूसरी हो । मायावती ने कही भी ये नहीं कहा कि मै मदर टेरसा जैसी हूँ ।
मेनका गाँधी का ये कहना कि मायावती माँ नहीं हैं इसलिये माँ का दर्द नहीं समझती किसी भी तरह उचित नहीं है । राजनीती कि बात छोड़ दे और एक आम नागरिक कि तरह बात करे तो मेनका गाँधी कि बात पर मायावती का नाराज होना बिल्कुल उचित हैं ।
हमारे समाज मे हमेशा से विवाहित स्त्री को अविवाहित स्त्री से ऊंचा दर्जा दिया जाता हैं और मेनका गाँधी ने इसी बात का फायदा उठा कर मायावती पर टंच कसा हैं । मेनका गाँधी का विवाहित होना और माँ होना किसी भी तरह से उनकी काबलियत का प्रमाण नहीं हैं ।
मायावती मे हज़ार बुराईयाँ हैं लेकिन उनका अविवाहित और माँ ना होना उनकी बुराईयों मे नहीं हैं । ब्लॉग पर निरंतर पोस्ट आ रही हैं कि मायावती ने ये कहा वो कहा लेकिन अभी तक किसी ने मेनका के लिये कोई प्रश्न क्यूँ नहीं किया कि उन्होने किस बिना पर मायावती पर टंच कसा ।
व्यक्तिगत रूप से मुझे लगता हैं कि मेनका गाँधी ग़लत हैं
सच बोलना जितना मुश्किल है , सच को स्वीकारना उस से भी ज्यादा मुश्किल है . लेकिन सच ही शाश्वत है और रहेगा मुझे अपने सच पर उतना ही अभिमान है जितना किसी को अपने झूठ से होने वाले फायदे पर होता हैं
मेरे ब्लॉग के किसी भी लेख को कहीं भी इस्तमाल करने से पहले मुझ से पूछना जरुरी हैं
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आप बिलकुल सही हैं, लेकिन राजनीति इतनी मैली हो चुकी है कि वहाँ निजी और राजनैतिक लाभ के लिए हर भावना और भेद का इस्तेमाल किया जाता है।
ReplyDeleteसंवेदना और अन्तर्स्थित भाव किसी परम्परा अथवा नियम की चारदीवारी से बाहर होते हैं । विवाहित होना काबिलियत की सूचना है, ऐसा नहीं ।
ReplyDeleteराजनीति में कब कौन सा सवाल उठेगा ये कहना कठिन है ,कौन सही है -कौन गलत ,आज यह भी राजनीती की रपटीली राहें ही तय कर रहीं हैं .
ReplyDeleteमनेका गाँधी माँ पर भी राजनीती कर रही है . जय हो
ReplyDeleteआप बिलकुल सही हैं
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