कितनी आसान होती ये ज़िन्दगी
पर जीतेन्द्र चौधरी जी ने पहली बार मई २००७ मै हिन्दी ब्लोगिंग की दुनिया से पहला परिचय कराया ।
जाकिर अली 'रजनीश' जी ने प्यार रिश्तो का मुहताज नही होता पर पहला कमेंट दिया
उसके बाद ना जाने कितने ब्लॉग बनाए और मिटाए क्युकी वो मकसद नहीं मिला किसके लिये हिन्दी मे ब्लॉग लिखती फिर एक दिन समीर के ब्लॉग पर सुभाष भदोरिया जी ने लिखा नेट की अधिकतर कवियत्रीयों की रचनायें वज़न से खारिज़ होती है।ओढ़ा हुआ दर्द घनश्याम की लीला का वर्णन बहुत गुस्सा आता है
सीधा सीधा लिंग भेद का मामला था और फिर ऐसे ना जाने कितनो के कमेन्ट कितने ही ब्लॉग पर देखे । हर बार आपत्ति दर्ज कराई । लोग नाम पर आक्षेप करने लगे , माँ पिता तक के लिये अपशब्द कहे गए और अनाम बन कर । फिर अपना अनाम ब्लॉग बनाया और हर उस कमेन्ट को जो किसी भी महिला के ख़िलाफ़ लगा उसको डाला । सुभाष भदोरिया जी की एक निहायत ही बकवास कविता को मेरे आपत्ति करने पर हिन्दी ब्लोग्गर्स ने मिलकर नेट से हटवाया , याहू पर संपर्क करके । उसी दोरान कमलेश मदान से संपर्क हुआ जो आज भी माँ कह कर ही मन को सुख देते हैं ।
फिर नारी ब्लॉग बनाया और उसके बाद हिन्दी ब्लोगिंग मे कुछ ना कुछ उथल पटल होती ही रही मेरे कमेन्ट से क्युकी शायद मेरे कमेन्ट का सीधा और सपाट होना सही नहीं लगा यहाँ ।
सुजाता और अनुराधा ने बहुत प्रभावित किया और घुघूती जी की सुन्दरता पर मन मुग्ध हुआ जब उनसे पहली बार ब्लॉग मीट मे मिली । उनका लेखन पढ़ कर बहुत कुछ सीखा । बाकी बहुत सी ब्लॉगर से संबध ईमेल और चैट के जरिये बने जिसमे ममता ने पहली बार कहा की वो मेरे ब्लोगिंग परिवार का हिस्सा हैं और इस नाते से वो दिल्ली आयी हैं तो फोन कर रही हैं । मीनाक्षी ने कविताओं पर बहुत ही विस्तार से अपनी समीक्षा भेजी ।
समीर भी जब भी इंडिया आए उन्होने जरुर फोन पर संपर्क किया । यतीश , अमित , दुर्गा जो आज सक्रिये नहीं हैं से बहुत ही सौहार्द पूर्ण सम्बन्ध हैं । शास्त्री जी और उनके ब्लॉग ने शुरू मे बहुत ही प्रभावित किया पर फिर उनका लेखन नहीं भाया और तार टूट गए । अफलातून जी से मिल कर अपने पापा की याद आयी क्युकी दोनों की फिलोसफी एक सी लगी ।
स्वपनदर्शी और कवि कुलवंत समय निकल कर घर आये और माँ से मिले , बहुत अच्छा लगा
आज लगता हैं २ साल बीत गए और मकसद भी पूरा होगया । मन मे संतोष हैं की जो मे करना चाहती थी मैने किया । अब आगे क्या ? शायद यहाँ का समय पूरा होगया हैं और किसी रास्ते पर चलना चाहिये । पता नहीं ???
लेकिन आज एक बात मन मे जरुर हैं की वो सब जो मुझे अनाम हो कर अपशब्द लिखते रहे , मेरे निज पर , मेरे कपड़ो पर निरंतर छीटाकशी करते रहे आज क्या वो अपने नाम से इस पोस्ट पर अपना परिचय देगे और मुझे मेरी सारी कमियाँ जो उनकी नज़र मे हैं से अवगत करायेगे ।
आज कोई कमेन्ट मोदेरेशन नहीं होगा ।
सच बोलना जितना मुश्किल है , सच को स्वीकारना उस से भी ज्यादा मुश्किल है . लेकिन सच ही शाश्वत है और रहेगा मुझे अपने सच पर उतना ही अभिमान है जितना किसी को अपने झूठ से होने वाले फायदे पर होता हैं
मेरे ब्लॉग के किसी भी लेख को कहीं भी इस्तमाल करने से पहले मुझ से पूछना जरुरी हैं
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- पहचानिये ये कौन कौन हैं । ब्लॉगर हैं हमारे आपके जै...
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badhaayee aapko...
ReplyDeletearsh
bahut bahut badhaaee .....do warsh pure hone par.....
ReplyDeleteपहले तो बधाई ... बाद में तारीफ़, हमेशा की तरह कम शब्दों में काफी कुछ कह दिया ...
ReplyDeleteजब भी घर आऊँगा आप से जरूर मिलूंगा ...
पहले तो बधाई ... बाद में तारीफ़, हमेशा की तरह कम शब्दों में काफी कुछ कह दिया ...
ReplyDeleteजब भी घर आऊँगा आप से जरूर मिलूंगा ...
बहुत अच्छा जी...ढेर सारी बधाइयाँ
ReplyDeleteआपके व्यक्तिगत ब्लॉग के दो वर्ष पूरा कर लेने पर हार्दिक बधाई
ReplyDeleteबधाई आपको ।
ReplyDeleteदो वर्ष पूरा कर लेने पर हार्दिक बधाई
ReplyDeleteदो वर्ष पूरे होने पर बधाई । सब कुछ कितनी सहजता से कह दिया आपने ।
ReplyDeleteबहुत बहुत बधाई आपको ...
ReplyDeleteरचना जी, बहुत बहुत बधाई! आप ने बहुत महत्वपूर्ण काम किया है। बिना किसी की नाराजगी की परवाह के लिए। आप ने महिलाओं के आत्मसम्मान की लड़ाई को लड़ा और उस में सफलताएँ हासिल कीं। लेकिन यह क्या कह रही हैं....
ReplyDeleteअब आगे क्या ? शायद यहाँ का समय पूरा होगया हैं और किसी रास्ते पर चलना चाहिये । पता नहीं ???
अभी तो आप ने मंजिल की ओर प्रस्थान बिंदु से पहली सीढ़ी चढ़ी है। अभी तो बहुत सीढ़ियाँ शेष हैं। चलते जाइए। कारवाँ जुड़ता चला जाएगा।
दो वर्ष पूरा करने की बधाई
ReplyDeleteरचना जी,
ReplyDeleteआपने इतनी संघर्ष पूर्ण यात्रा की और उसमे सफल रहीं आपको बहुत बहुत ...बधाई ...अगर कुछ खार मिले तो गम न करें ..यही तो आगे बढ़ने की प्रेरणा देते हैं...!!
आज लगता हैं २ साल बीत गए और मकसद भी पूरा होगया । मन मे संतोष हैं की जो मे करना चाहती थी मैने किया । अब आगे क्या ? शायद यहाँ का समय पूरा होगया हैं और किसी रास्ते पर चलना चाहिये । पता नहीं ???
ऐसा क्यों...?? अभी हमें आपसे बहुत कुछ सीखना है....!!
दो वर्ष पूर्ण करने पर रचनाजी को बधाई। हर बार ‘अच्छा है- बहुत खूब’ सुनने से कभी नेगेटिव भी सुनने को मिले तो दिल छॊटा नहीं करें, निरंतर, निर्भीक लिखते रहें। शुभकामनाएँ॥
ReplyDeletebahut bahut badhai ho , abhi to manzil bahut door hai hamraahi,tere saath ke bina hum ek kadam na chal paayenge.
ReplyDeleteरचना,
ReplyDeleteदो वर्ष पूरे करने पर बधाई। शास्त्रीजी के ब्लाग के साथ नारी मुद्दों पर मेरा अनुभव भी तुम्हारे जैसा ही रहा लेकिन फ़िर भी उनके अन्य प्रयास अत्यन्त सराहनीय हैं।
तुम्हारी बहुत सी प्रविष्टियों ने उन बातों पर सोचने को नजबूर किया जिन्हें हम ग्राण्टेड मानकर चलते हैं। उम्मीद है आगे भी आप इस प्रयास को जारी रखेंगी। दिल्ली अभी दूर है।
bahut bahut badhaai
ReplyDelete- vijay
कहते हैं न, "छिपे सियार कभी सामने नहीं आया करते"। इन सब बेनामियों की चिंता छोड़िये, जो आपको सही लगता है, उसके लिये लड़िये।
ReplyDeleteबधाई हो रचना जी। मुझे याद आ रहा है कि जब आपके ब्लाग को एक साल हुए थे तब भी शायद मैं टिप्पणी करने आया था।
ReplyDeleteदो साल पूरा करने पर बधाई। आगे के लिये शुभकामनायें।
ReplyDeleteबधाई , दो साल पूरे होने पर .
ReplyDeleteदो साल पूरे करने की बधाई। लोगों की बात छोड़िये वे तो कुछ भी कहते रहते हैं। आप लिखती चलिये।
ReplyDeleteदो साल पूरे होने पर बहुत बहुत बधाई...अजी छोड़ कर आप कहाँ जाइएगा... आप तो गुमशुदा लोगों को सक्रिय होने की प्रेरणा देती रहती हैं :)
ReplyDeleteदो साल पूरे करने पर शुभकामनाएं.. यह कारवां यू ही चलता रहे..
ReplyDeleteखट्टे-मीठे अनुभवों को सहेजता है ब्लॉग और आपको इस अहसास के दो साल सहेजने के लिए बधाई।
ReplyDeleteदो साल पूरे होने पर बहुत बहुत बधाई..
ReplyDeleteबहुत बहुत बधाई
ReplyDeleteदो साल पूरे करने पर शुभकामनाएं
ब्लागिंग में दो साल पूरा होने की बधाई स्वीकार करें.
ReplyDeleteलगातार दो साल तक लिखते रहना एक ब्लॉगर के लिए बहुत बड़ी उपलब्धि है. न जाने कितने लोगों ने इस दौरान ब्लागिंग शुरू की होगी और बंद कर दी होगी. हो सकता है उनमें से वे अनामी, बेनामी वगैरह भी रहे होंगे. लेकिन यह ऐसा ही है कि कन्विक्शन के साथ जो अपना काम करते जाते हैं, उन्हें किसी भी जगह को छोड़ने की ज़रुरत नहीं होती. उन्हें अपनी राह बदलने की ज़रुरत नहीं होती.
आने वाले दिनों में बहुत सारे मील के पत्थर देखने हैं. ब्लॉग जगत को भी और आपको भी.
वक़्त कितनी जल्दी गुज़रता है पता ही नहीं चलता.. ऐसा लगता है .. कल ही तो ब्लॉग बनाया था..
ReplyDeleteब्लोगिंग में जो गंभीरता होनी चाहिए वो आपकी पोस्ट ऑर टिप्पणियों में कई बार मिलती है..
बहरहाल बहुत बहुत बधाई..
bahut bahut badhaai Rachana Di
ReplyDeleteबढ़ते रहें यूँ ही कदम ,
ReplyDeleteसफलता चूमें आपके ,
हमारी तरफ से बहुत बहुत बधाई ।
बहुत-बहुत बधाई!
ReplyDeleteराह बहुत लंबी है पर आपका साहस और हिम्मत अवश्य मंजिल पर ले जाएँगे।
शुभकामनाएँ
Wonderful ....heartiest congratulations to you !!
ReplyDelete&
Keep up the good work.
ReplyDeleteरचना जी, आपको बधाई हो !
आपको बाद में जाना.. आप खरी खरी कहने से नहीं चूकतीं, यह अच्छा लगा !
आपमें लड़ने और जूझने का माद्दा है, यह भला लगता है !
त्रस्त हो रिरियाते व्यक्तित्व ने नारी का बड़ा नुकसान किया है ! आपके सरोकार ज़ायज़ हैं, अब एकांगी दृष्टिकोण ्न रखेंगी.. यह अपेक्षा है !
आप लम्बे समय तक हम सब का साथ दें, पर सचेतक के साथ सखा भाव भी समानांतर रहना चाहिये, है कि नहीं ?
सच्चे मन से इतनी तारीफ़ कर दी, अब तो मेरा कहा सुना माफ़ करें..
वरना क्या साफ़ करना पड़ता है, नौबत ही न आये !
शायद यहाँ का समय पूरा होगया हैं और किसी रास्ते पर चलना चाहिये । पता नहीं ???
ReplyDeleteअरे हमने आपकी किसी पोस्ट पर टिप्पणी नहीं की तो इसका यह मतलब तो नहीं कि आप किसी और रास्ते पर चल पड़ो! चलिए अब से हम टिपियाने का ख्याल रखेंगे, लेकिन कोई दूसरा रास्ता मत पकड़ लीजियेगा।
वैसे अमर जी ने मेरे विचार को सही शब्दों में ढ़ालते हुए ठीक ही लिखा है कि अब एकांगी दृष्टिकोण न रखेंगी.. यह अपेक्षा है ! आप लम्बे समय तक हम सब का साथ दें, पर सचेतक के साथ सखा भाव भी समानांतर रहना चाहिये।
रचना जी आप चोखेरवाली की सबसे सम्माननीय और स्त्री हित की बेहद सजग ब्लॉगर हैं. मैंने बहुत से लेख और तिप्प्निया पढी है जिनसे आपके बारे मैं मेरी तय है कि आप अपने विचार मे बहुत संतुलित हैं. जिन्होंने आपको भला बुरा कहा गालिया दी वो रस्ते के पत्थर भी नहीं कंकड़ सामान होंगे. किसी को भी गाली देना हमारे शब्द ज्ञान की कमजोरी को ही दर्शाता है. हाँ विरोध हो सकता है और हम इसके चलते असहमत होने के लिए सहमत हो सकते हैं. मैं आपके दीर्घ ब्लॉग जीवन की कामना और आपसे अनुरोध करता हूँ कि इसे चलने दे और नए आयाम भी ढूढे. हरि ( ०९८२८०१८५८६ )
ReplyDeleteरचना जी आप चोखेरवाली की सबसे सम्माननीय और स्त्री हित की बेहद सजग ब्लॉगर हैं. मैंने बहुत से लेख और तिप्प्निया पढी है जिनसे आपके बारे मैं मेरी राय है कि आप अपने विचार मे बहुत संतुलित हैं. जिन्होंने आपको भला बुरा कहा गालिया दी वो रस्ते के पत्थर भी नहीं कंकड़ सामान होंगे. किसी को भी गाली देना हमारे शब्द ज्ञान की कमजोरी को ही दर्शाता है. हाँ विरोध हो सकता है और हम इसके चलते असहमत होने के लिए सहमत हो सकते हैं. मैं आपके दीर्घ ब्लॉग जीवन की कामना और आपसे अनुरोध करता हूँ कि इसे चलने दे और नए आयाम भी ढूढे. हरि ( ०९८२८०१८५८६ )
ReplyDeleteरचना पहले तो दो साल पूरे होने की बधाई ।
ReplyDeleteऔर ये क्या क्या कह रही हो की.... शायद यहाँ का समय पूरा होगया हैं और किसी रास्ते पर चलना चाहिये ।
अभी तो हम मिले भी नही और आप कहाँ जाने की बात कर रही है ।
काहे झटका दे रही हो । :)
आदरणीया रचना जी,
ReplyDeleteसर्वप्रथम दो साल पूरा करने पर हार्दिक बधाई ग्रहण करें।
आपने जिस मिशन पर काम किया है उसका प्रभाव बहुत दूरगामी होने वाला है। इसे बीच रास्ते में छोड़ देने की बात सोचिए भी मत।
आपकी एक या दो बातों से असहमत होने वाले भी अपने मन के भीतर जरूर सोचते होंगे कि स्त्री जाति के साथ कुछ गड़बड़ तो हुई है जो इस प्रकार की तीखी बातों के रूप में निकल कर आ रही है। इस विचार का प्रभाव उनके व्यवहार और सोच पर पड़े बिना नहीं रह सकता। यही आपकी सफलता का मापदण्ड है।
यह तो सभी मानेंगे कि रचना जी के बिना हिन्दी ब्लॉगिंग की दुनिया ऐसी नहीं रहती जैसी अभी है।
इसलिए अपना अभियान जारी रखिए। हम यहाँ आते ही रहेंगे। बौद्धिक असहमति अपनी जगह है लेकिन बौद्धिक चर्या की महत्ता अपनी जगह अक्षुण्ण है। पुनः बधाई।
ब्लॉगिंग में दो वर्ष तक डटे रहने पर बधाई स्वीकारें। लेखनी जारी रखें, ब्लॉग पर भी, ऐसी आपको भविष्य के लिए शुभकामनाएँ। :)
ReplyDeleteदो साल पूरे होने पर बधाई। अभी जाने की मत सोचिए। हिन्दी चिट्ठाकारी को अभी सबके योगदान की जरूरत है। कुछ वर्षों में पता चलेगा कि यह किस दिशा में जा रही है।
ReplyDeleteघुघूती बासूती