मेरे ब्लॉग के किसी भी लेख को कहीं भी इस्तमाल करने से पहले मुझ से पूछना जरुरी हैं

मेरे ब्लॉग के किसी भी लेख को कहीं भी इस्तमाल करने से पहले मुझ से पूछना जरुरी हैं

March 30, 2009

क्या आपकी टिप्पणी पोस्ट पर होती हैं या आप कि टिप्पणी नाम और उससे जुडे परसेप्शन पर होती हैं

सबकी अपनी रूचि और पसंद होती हैं और उस ब्लॉगर को हम जरुर पढ़ते हैं जो हमे पसंद होता हैं । लेकिन क्या ब्लॉगर का नाम देखते ही आप को अनुमान हो जाता हैं कि उसने क्या लिखा होगा । यानी नाम पोस्ट पर भारी पड़ता हैं । क्या आपकी टिप्पणी पोस्ट पर होती हैं या आप कि टिप्पणी नाम और उससे जुडे परसेप्शन पर होती हैं

22 comments:

  1. टिप्पणियो क़ी दुविधा का इलाज हमारे बड़े बुजुर्ग कर गये है.. उन्होने हमे विरासत में इतने त्योहार दिए है कि हमे ये देखने कि फ़ुर्सत ही नही मिलती कि पोस्ट क्या है और किसने लिखी है..

    क्या कहा आप समझी नही ?

    अब आप ही बताइए अगर निम्नलिखित टिप्पणिया करनी है तो कौन पोस्ट पढ़ने का और ब्लॉगर का नाम देखने का झंझट करे.. सीधे छाप दो..

    नव वर्ष मंगलमय हो
    गणतंत्र दिवस क़ी बधाई
    होली क़ी शुभकामनाए
    महाशिवरात्रि के पावन पर्व पर बधाई
    जन्माष्टमी क़ी बधाई
    रक्षा बंधन क़ी शुभकामनाए
    ईद मिलादुन्नबी मुबारक हो
    स्वतंत्रता दिवस क़ी बधाई
    नवरात्रि के अवसर पर शुभकामनाए
    दिपो के उत्सव दिवाली क़ी बधाई..
    क्रिसमस क़ी बधाई..
    चुनाव क़ी बधाई
    आई पी एल क़ी बधाई
    आज नल में पानी आया इसकी बधाई..
    चाँद निकल आने पर शुभकामनाए..
    सूरज डूबने क़ी बधाई..
    फलाने क़ी शुभकामनाए..
    ढीमकाने क़ी बधाई..
    बधाई क़ी बधाई


    हम्फ..! हम्फ..! थक गया मैं तो.. पर आप चिंता मत करिए और भी बधाई है.. और बम फूट गये तो श्रद्दांजलिया भी है..

    टिप्पणियो के मामले में हिन्दी ब्लॉगर्स दिन दूनी और रात अष्टगुणी तरक्की कर रहे है..:)

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  2. पोस्ट में क्या लिखा है, इस पर आधारित होती है. शब्द चयन ब्लॉगर के हिसाब से बदल सकते है.

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  3. कंटेंट महत्वपूर्ण होता है .लेखक नहीं ...

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  4. ब्लॉग जगत में कई ऐसे लोग हैं जिनका नाम ( जो कि उनके लेखन के कारण ही है ) महत्वपूर्ण हो चला है ,उनकी लेखनी में इतना दम है कि वे चाहे कुछ भी लिखें वही महत्त्वपूर्ण हो जाता है .ऐसे लोंगों की पोस्ट बिना पढ़े मैं तो आगे नहीं बढ़ पाता.

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  5. जब आप बिना पोस्‍ट पढ़े

    आगे बढ़ते नहीं तो
    रखा है क्‍यों नाम

    मा पलायनम।


    अच्‍छा पढ़ने के बाद तो

    करना ही होगा पलायन

    नहीं तो अगली पोस्‍ट

    पहुंचेंगे कैसे नहीं है वायुयान।


    नाम ही महत्‍वपूर्ण होते हैं पोस्‍ट में जिस तरह टिप्‍पणियां एक जैसी होती हैं समय के अनुसार बदल जाती हैं, उसी प्रकार टिप्‍पणियों में वही शब्‍द आते हैं जो शब्‍दकोष में पाए जाते हैं।
    एक दो के अतिरिक्‍त वो भी हजार पांच हजार पोस्‍टों में कोई नया शब्‍द तो मुझे पढ़ाई नहीं देता, सब शब्‍द तो वही होते हैं, बस क्रम बदल जाता है।

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  6. यदि आप लेखन धर्म का पालन करते हुए कुछ लिख रहे हैं , टिपण्णी कर रहे हैं , तभी सही मायने में आप साहित्यकार कहलाने के अधिकारी है, अन्यथा , आप स्वयं ही निर्णय लें.
    - विजय

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  7. बिना पढे कमेण्ट करना हो तो नाम काफ़ी होता है लेकिन अगर पढ कर कमेण्ट कर रहे हो तो फ़िर विषय-वस्तु और लेखन शैली महत्वपूर्ण हो जाती है।वैसे आपका सवाल बहुत सही है।

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  8. रचना जी, आपकी पोस्ट का प्रश्न रुचिकर था। इस पर टिप्पणी लिखी, उत्तर स्वरूप। टिप्पणी बड़ी हो गयी तब इसे एक पोस्ट के रूप में लिखने का लोभ और औचित्य लगा सो इसे अपने चिट्ठे पर विस्तार से, आपकी पोस्ट के संदर्भ सहित लिख दिया
    टिप्पणी पर पोस्ट या पोस्ट पर टिप्पणी

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  9. लेखन महत्वपूर्ण होता है ना कि लेखक ...अगर फिर भी कुछ लोग नाम पर टिपण्णी करते हैं तो ये उनकी समस्या है ...ऐसे पाठकों कि क्या गिनती

    मेरी कलम - मेरी अभिव्यक्ति

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  10. कुछ लोग हैं जो की विषय वस्तू के अनुसार टिप्पडी करते हैं ! लेकिन ब्लॉग जगत में कुछ लोग अपना व्यक्तिगत करिश्मा और प्रभाव बना लेते हैं और उस कारण से कभी कभार उनके साधारण लेखो पर भी उतना ही टिप्पडी मिलती है| इसमे किसी का दोष नहीं है! बल्कि वो अपना इतना प्रभाव बना चुके होते हैं की लोग उंके पोष्ट का इंतजार करते हैं ! कुछ ब्लॉगर तो ऐसे हैं जो की अगर अपने ब्लॉग पर छींक भी देते हैं तो ३०-४० टिप्पडी तो गिर ही जाती है !

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  11. रचना हम तो पोस्ट पढ़कर ही टिप्पणी करते है ।

    पर जैसा kush ने कहा उस मे न तो नाम और न ही पोस्ट पढने की जरुरत होती है । :)
    बस टिप्पणी कर दो । :)

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  12. हम तो भई पोस्ट पढ़कर ही टिप्पणी करते है ।अगर किन्हीं कारणों से पोस्ट नहीं पढ़ पाते तो टिप्पणी करते ही नहीं और कभी-२ तो बस एक ही ब्लॉग देख पाते हैं क्योंकि उसकी बिना पढ़ी पोस्ट को जो पढ़ने लग जाते हैं चाहे वो १ महीने पुरानी ही क्यों ना हो अच्छी लगती है तो १ महीने बाद भी टिप्पणी करने में शर्माते नहीं अच्छी नहीं लगती तो चुप चले आते हैं क्योंकि किसी तरह का भी वाद-विवाद में पड़ना हमारी आदत नहीं है... :)

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  13. आपका यह प्रश्न बहुत अच्छा लगा। वैसे हमारी टिप्पणियों को कई पहलू प्रभावित करते हैं। विस्तृत विवरण यहां है।

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  14. अगर पढ़ने के बाद कुछ कहने की इक्षा हुई तो टिप्पणी कर दी अन्यथा वहाँ से चलते बनते है . हाँ लेखक का नाम पढ़ कर एक बार देख जरूर लेते है की क्या लिखा है .

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  15. कुश की मज़ेदार टिप्पणी पाने की बधाई!

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  16. ब्लोग लेखक/ लेखिका ने क्या लिखा है उसी पर टीप्पनी करते हैँ जैसे आज भी ..
    - लावण्या

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  17. post mein kya kaha gaya hai,mahtvapoorna hota hai. usi ke anusar tippani ki jati hai. han naye bloggers ko protsahit karne ke liye mai prayah tippani karti hun.yeh veh rin hai jo mujhe chukana hi hai kyonki jub mai nayi thi to bahut se logon ke protsahan ne hi mujhe likhte rahne ko prerit kiya. ab mai yahan apki post par kaise pahunchi?
    aik post kholi to uspar apki is post ka jikra aur link tha. post abhi padhi nahi,link kholkar yahan pahunchi. kyon? kyonki apka lekhan mai padhti hun. kyon? kyonki apke abhi tuk ke lekhan ne apko blogjagat mein aik sthan diya hai.
    us post ko kyon khola? kyonki unki post ke sheershak ne aakrshit kiya. ab yadi unka lekhan baar baar pasand aayega to baar mai unka likha padhne jaungi. yadi sochne ko baadhya karega to tippani bhi karungi.
    naam banaya jata hai, bana banaya nahi mil jata.
    shayad apke prashn ka uttar de saki hun.
    ghar se bahar hun. na comp apna hai, na ghar apna. so atpata lag raha hai aur roman mein tipiya rahi hun.
    ghughutibasuti

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  18. मैं तो जबसे ब्लॉग जगत में आई हूँ ,चाहकर भी बहुत सी टिप्पणिया नहीं दे पाई हूँ,जिसका मुझे काफी अफ़सोस रहता हैं .आजकल तो ब्लॉग पर भी महीने में दो तीन बार से ज्यादा नहीं लिख पाती . कारण वही अत्यधिक वयस्तता .लेकिन कोशिश यही रहती हैं की अच्छे आलेखों पर बहुत अच्छी सी टिप्पणी दू,शायद आने वाले समय में अधिक अधिक पोस्ट पढ़कर और भी अच्छी टिप्पणिया दू.

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  19. ham apnee kahen to ham post par hi kament karate hain poster par nahin.
    poster dekh kar padh bhale len.
    lekin is tarah ke tippak kamment killar blogiyon ke shikaar jyaada hote hain.

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  20. "क्या आपकी टिप्पणी पोस्ट पर होती हैं या आप कि टिप्पणी नाम और उससे जुडे परसेप्शन पर होती हैं"

    मैं टिप्पणी तभी करता हूँ जब किसी पोस्ट को पढ़कर मेरे मन में प्रतिक्रिया स्वरूप कुछ विचार उठते हैं। पर यह भी है कि कुछ लोगों से भावनात्मक रूप से जुड़ जाने के कारण उनके पोस्टों में भी प्रायः टिप्पणी करता हूँ।

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  21. जो श्रीमान अवधियाजी कह रहे हैं...सच तो यही है...कुछ लेखों को पढकर उन पर प्रतिक्रिया अनायास होती है..हाँ पसन्द न आए तो टिप्पणी करने से बच लिया जाता है..किसी का मन दुखाने से क्या लाभ । कुछ ब्लॉगर आपको अकारण ही अच्छे लगने लगते हैं..उनके ब्लॉग को ध्यान से पढना होता है, टिप्पणी से वैचारिक सामंजस्य उत्पन्न होता है । कँटीली बहस में उलझने के लिए यहाँ कई अभिमन्यु हैं ...उनका अभिनय काफी विनोद उत्पन्न कर देता है ।

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