मेरे ब्लॉग के किसी भी लेख को कहीं भी इस्तमाल करने से पहले मुझ से पूछना जरुरी हैं

मेरे ब्लॉग के किसी भी लेख को कहीं भी इस्तमाल करने से पहले मुझ से पूछना जरुरी हैं

July 03, 2011

मेरा कमेन्ट

अनूप जी ने चर्चा करदी सो जवाब तो बनता हैं
नारी ब्लॉग यानी ब्लॉग जगत के सो कोल्ड "पुरुष" के खिलाफ मोरल पोलिसिंग . तीन साल में ही दम निकल गया पुरुष समाज का मोरल पोलिसिंग से और मेरे देश की बेटियाँ , बहुये , माँ सदियों से इस मोरल पोलिसिंग को बर्दाश्त कर रही हैं . सोचिये , अपने अन्दर झांकिये कैसा लगता हैं उन सब को जब उन्हे ये समझाया जाता हैं , ये ये मत करो क्युकी तुम नारी हो . ये मत पहनो ये पहनो क्युकी ये भारतीये संस्कृति हैं . उनकी सहनशीलता को उनकी कमजोरी मान लेना क्या पौरुष हैं ????
उल्ट दिया मैने वो यहाँ और देखती रही की किस प्रकार से मुझे संबोधन दिये जाते रहे . सोचिये ना जाने कितने ऐसे ही संबोधन आप के घरो में मौजूद आपकी बेटियाँ , पत्निया और माँ आप को "मन " से अपने "मन " में देती हैं . कहीं पढ़ा था अगर हर स्त्री एक दम सच बोलने लगे तो ये दुनिया पुरुषो के लिये नरक हो जाए .
अब आते हैं अरविन्द मिश्र की किताब के प्रकरण पर . उन्होने मेरे ऊपर एक ब्लॉग पर वाहियात कमेन्ट किया मैने उनको जवाब दिया . दोनों का साक्ष्य इस पोस्ट पर अनूप ने उपलब्ध कर दिया . उनकी किताब नहीं छपी उनकी प्रॉब्लम हैं लेकिन इसके लिये मेरे ऊपर लांछन लगाना उनकी आदत . ऐसे बहुत से लिंक पडे हैं इसी ब्लॉग जगत में जहां उन्होने ग्रुप बना कर मुझ पर व्यक्तिगत कमेन्ट किये "क्युकी मुझे वो समझना चाहते थे " जैसा वो यहाँ अपने कमेन्ट मै कह रहे हैं की मै उन्हे मिस्ट्री लगती हूँ . नहीं समझा तो सोचा मुझे "समझा दे" . उनकी किताब का न छापना उनकी अपनी योग्यता भी हो सकती हैं ये समझ लेते तो शायद दूसरी किताब जैसा वो यहाँ कह रहे हैं उनके नाम से छपती . ब्लॉग जगत में योग्यता दिखाना बड़ा आसान है . और ब्लॉग जगत के बहाने उनलोग से रसूख बढ़ाना जो आप को ग्रां दिलवा सकते हैं !!!!!!!!
जिन लोगो ने १०० कमेन्ट दिये हैं मेरे खिलाफ इनके ब्लॉग पर अपने अन्दर जरुर झाँक ले क्युकी आज उनको वास्तविकता पता चल गयी हैं . आप अगर किसी के दोस्त हैं तो दूसरे के दुश्मन नहीं हो और दूसरे का पक्ष तो पूछा जा सकता हैं . लेकिन हिंदी ब्लोगिंग तो महज सोशल नेटवर्क हैं इन सब के लिये .

मै कभी किसी पर वार नहीं करती . मै वार का जवाब आंसू बहा कर नहीं रुला कर देती हूँ क्युकी अन्याय सहने वाला , अन्याय करने वाले से ज्यादा दोषी हैं . अब अनूप इस के लिये मुझे खतरा ब्लोग्गर कहले मुझे कोई आपत्ति नहीं हैं .
नारी ब्लॉग पर मेरी अंतिम पोस्ट आ चुकी हैं चर्चा मंच पर ये मेरा आखरी कमेन्ट हैं
सभी को सादर सप्रेम नमस्ते आशा हैं आप सब वो कर सकेगे जो करना चाहते हैं ।


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