आत्मा क्या हैं , हैं या नहीं हैं इस मुद्दे पर बहस हमेशा "आस्था " से हट कर ही होनी चाहिये .
आत्मा को अजर अमर इस लिये ही शायद माना जाता हैं क्युकी वो पीढ़ी दर पीढ़ी अपने एक ही स्वरुप में रहती हैं जिसे विज्ञान डी ऍन ऐ कह कर भी परिभाषित कर देता हैं .
विज्ञान और आध्यात्म शायद एक ही सिक्के के दो पहलु हैं .
शायद हेड और टेल भी एक दूसरे के पूरक ही हैं
आप का दूसरा जनम हैं आप की आत्मजा में . आप के बुरे कर्म यानी क्रोध को आप अपनी आँख से देख रहे हैं . आप के अच्छे कर्म भी दिख ही रहे होगे . कर्म की परिभाषा बहुत विस्तृत हैं और दूसरे जनम की भी . हर नयी पीढ़ी पुरानी पीढ़ी का नया जनम हैं तो हर नयी पीढ़ी का पिछला जनम उसकी पुरानी पीढ़ी हैं पुनह शायद
आत्मा अजर अमर इसीलिये हैं क्युकी उसका स्वरुप वैसा ही रहता हैं
अब आप डॉ मिश्र को ही ले इनके कर्म में हर न्यूट्रल शब्द का पुल्लिंग स्त्रीलिंग बनाना निहित हैं फिर चाहे वो ब्लोगर हो या आत्मा यानी सोल . हम सब अपने कर्मो से बंधे हैं इस लिये उसको बदलना हमारे हाथ में नहीं होता हैं विज्ञान की दृष्टि से कहे तो जेनिटिक डिफेक्ट हैं या प्रॉब्लम और जींस की समस्या का सुधार विज्ञान में नहीं आध्यत्म में जरुर होता हैं .
आत्म मंथन की प्रक्रिया से परमात्मा का मिलना संभव हैं
अब आप कहेगे जिन लोगो का विवाह नहीं होता या जिनके बच्चे नहीं होते उनकी आत्मा का क्या होता हैं ऐसी आत्माए अपना चक्र पूरा कर लेती हैं और विलीन हो जाती हैं हो सकता हैं वो दुष्ट आत्माए हो जो विलीन हो जाए तो ही अच्छा हैं जैसे जिन्न को बोतल में कैद कर दिया जाता हैं या हो सकता हैं वो पुण्य आत्मा हो जो महज इस लिये विलीन हो गयी क्युकी उसका काम / कर्म ख़तम होगया .
विलीन वही हो सकता हैं जो हर काम निस्वार्थ रूप से करता है , निस्वार्थ यानी जहां आप अपने लिये कोई भी कामना ना रखते हो . न सुख न दुःख , न अच्छा ना बुरा .
प्रवीन
एक बात बताये
आप महज एक व्यक्ति को यहाँ देव कह रहे हैं क्या इसलिये की वो औरो से क्षेष्ठ हैं या इसलिये की आप उसको ये कहना चाहते हैं की क्षेष्ठ बनो ??
और आप चक्रव्यूह से बाहर आ गए या नहीं ???
मेरा कमेन्ट यहाँ
सच बोलना जितना मुश्किल है , सच को स्वीकारना उस से भी ज्यादा मुश्किल है . लेकिन सच ही शाश्वत है और रहेगा मुझे अपने सच पर उतना ही अभिमान है जितना किसी को अपने झूठ से होने वाले फायदे पर होता हैं
मेरे ब्लॉग के किसी भी लेख को कहीं भी इस्तमाल करने से पहले मुझ से पूछना जरुरी हैं
मेरे ब्लॉग के किसी भी लेख को कहीं भी इस्तमाल करने से पहले मुझ से पूछना जरुरी हैं
July 14, 2011
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
Blog Archive
-
▼
2011
(126)
-
▼
July
(31)
- कितना सच कितना झूठ पता नहीं
- इमोशनल सेल्फ से ज्यादा बेहतर होती हैं रैशनल सेल्फ
- विवाद
- हाथ में गिलास लेकर मदिरा का महिमा मंडन करने वाले ज...
- जो भी करे सावधानी से करे और कानून के दायरे के अन्द...
- मेरा कमेन्ट
- "बेटा जी " तुम सही हो ।
- गूगल प्लस में कुछ ख़ास नहीं लगा सो अपना प्रोफाइल ड...
- ताकत यानी पॉवर
- मेरा कमेन्ट
- क्या आप पहले ब्लॉगर "अनशन " के लिये तैयार हैं
- कुछ ऐतिहासिक गलतियां
- " आप का जो परिचित हैं उसके आप अ-परिचित हैं" court...
- मेरा कमेन्ट "ये "बुरका अभियान " मासूमियत से चलना ब...
- "आप किस मिटटी की बनी हैं ? "
- प्यार और मौत में बड़ी समानता हैं ,
- जन्मदिन पर शुभकामना
- हिंदी ब्लोगिंग के " काल "
- मेरा कमेन्ट
- मेरा कमेन्ट
- nayaa bloggar dashboard kaese milae ,
- कोई भी जो इस पोस्ट से सम्बंधित जानकारी रखता हो उपल...
- देह दान को लेकर कोई भ्रान्ति मन में ना लाये . खुद ...
- एयर इंडिया डूब कर चलने वाली एयर लाइन
- पूजक सूची जारी
- पेड़ पर अपने पडोसी के कॉपी राईट का दावा मुझे बड़ा ब...
- लगता हैं जिन्दगी एक गोल चक्र हैं जहां से शुरू करो ...
- मेरा कमेन्ट
- हिंदी ब्लोगिंग के काल
- मेरे पसंदीदा के बाद ट्रेंड सेटर
- बिना मठ के मठाधीश मेरे पसंदीदा
-
▼
July
(31)
इस विषय को छोडिये और विषयों पर आप अच्छा लिखती हैं -कविता भी !
ReplyDelete