सच बोलना जितना मुश्किल है , सच को स्वीकारना उस से भी ज्यादा मुश्किल है . लेकिन सच ही शाश्वत है और रहेगा मुझे अपने सच पर उतना ही अभिमान है जितना किसी को अपने झूठ से होने वाले फायदे पर होता हैं
मेरे ब्लॉग के किसी भी लेख को कहीं भी इस्तमाल करने से पहले मुझ से पूछना जरुरी हैं
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बहुत आवश्यक मुद्दा उठाया है आपने। आभार!!
ReplyDeleteरचना जी,
ReplyDeleteआपका ब्लॉग खुलने में काफ़ी टाइम लग रहा है, साथ ही सिस्टम हैंग भी हो रहा है...चेक करा लीजिए...
जय हिंद...