मिल कर उन्होने फैसला किया की उन्हे कुछ करना हैं .
क्या करना हैं इसको समझने के लिये चाय , नाश्ता , खाना और मदिरा सब का सेवन किया . लेकिन एक दिन में नहीं किया क्युकी कुछ भी एक दिन में करना संभव कहां होता हैं .
महीने महीने के अंतराल से किया और फिर एक निर्णय ले ही लिया गया .
निर्णय था
हिंदी ब्लोगिंग को आगे ले जाने का निर्णय .
हिंदी के लिये कुछ करने का निर्णय .
हिंदी की सेवा करने का निर्णय .
सबसे पहले एक जुट हो कर फैसला लिया गया की रोमन को हिंदी नहीं मानेगे , हिंदी मतलब देवनागरी ही माना जाएगा .
फिर फैसला लिया सब लोग देवनागरी लिपि में लिखेगे और जो नहीं लिखेगा उसके खिलाफ आवाज उठायेगे जैसे अग्रेजो के खिलाफ उठाई थी बापू ने . सब विदेशी वस्त्रो को जलाया था बापू ने हम रोमन और इंग्लिश लिखने वालो के खिलाफ मुहीम चलाएगे .
फिर फैसला लिया की हिंदी ब्लोगिंग को आगे लेजाने की मुहीम पर काम शुरू हुआ .
सब से पहले फैसला हुआ की ब्लॉगवाणी नामक अग्रीगेटर को बंद करवाना होगा .
क्यूँ क्युकी वहाँ भेद भाव होता हैं .
किसी की पोस्ट ऊपर नहीं आती किसी की हमेशा रहती हैं . ये न्याय संगत नहीं हैं .
इसके अलावा ब्लॉग वाणी धर्म निरपेक्ष नहीं हैं वो हिन्दू धर्म को ज्यादा मानती हैं सो ये बिलकुल बर्दाश्त नहीं किया जा सकता { कमाल हैं ना जो लोग अग्रेजी के खिलाफ मुहीम चला रहे थे वो हिन्दू धरम के खिलाफ भी मुहीम चला रहे थे } .
ब्लॉगवाणी की सबसे भयंकर गलती थी की वो हर उस पोस्ट को हटा देती थी जिसमे किसी के खिलाफ कुछ लिखा होता था व्यक्तिगत इस लिये ब्लॉगवाणी को बंद करवाना जरुरी हैं तभी हिंदी ब्लोगिंग अपने सच्चे स्वरुप में ऊभर कर सामने आयेगी .
सारे फैसले ले लिये गए .
आपस में फ़ोन नंबर बदल लिये गये ताकि कोई भी जो इस बात को ना माने हिंदी ब्लोगिंग में उस पर ग्रुप बना कर टिपण्णी कर के उसको आईना दिखाया जाये की हमने आन्दोलन चला रखा हैं .
हिंदी की रक्षा केवल देवनागरी में लिख कर ही हो सकती हैं
हिंदी ब्लोगिंग ऊपर केवल ग्रुप बना कर और ब्लॉग वाणी को बंद करा कर ही आ सकती हैं
समय बिता एक साल बीता
पता चला हिंदी ब्लोगिंग विलीन होने की कगार पर हैं .
कुछ लोग डोमेन बेच कर अपना हिंदी ब्लोगर को अपनी वेबसाइट बनाने का आमंत्रण दे रहे हैं लेकिन उस डोमेन का पास वर्ड अपने पास ही रखे हैं !!!
वेबसाइट और ब्लॉग का अंतर ख़तम हो जायेगा कम से गूगल का नहीं डोमेन बेचने वालो का फायदा होगा { एजेंडा } .
एक सुविधा जो फ्री थी
उसको पैसा देकर बेहतर किया जा सकता हैं . आप जो लिख रहे हैं वो कालजई हैं इस लिये डोमेन हम से ले ले . हिंदी का फायदा जब होगा तब होगा डोमेन तो बिके . ब्लॉगर को समझाया जाता हैं
देखिये कौन करता हैं इस विषय में अपनी थीसिस पूरी
हो गई हिन्दी की सेवा
ReplyDeleteबिना लाग लपेट सच कहा है जी
अच्छी और सच्ची पोस्ट
प्रणाम स्वीकार करें
ब्लॉगवाणी को बन्द करवाने की "उपलब्धि"(?) हासिल करने वालों में से ही कोई एक होगा, जिसे यह Ph.D. मिलेगी… :) :)
ReplyDeleteपता नहीं किसको क्या भाता है,
ReplyDeleteवही लिखें जो लिखना आता है।
आपने तो बहुत सारे रहस्यों पर से पर्दा उठा दिया है। अभे तो लगता है ब्लॉगजगत में हम सच मेम बच्चे हैं।
ReplyDeleteबहुत सारे लोग बड़ी सधी हुई कूटनीतिक चालें चलते हैं।
ब्लागिंग में भी राजनीति घुसी हुई है और कुछ तत्व इसका फायदा भी उठा रहे हैं. अभी तो देखिये आगे -आगे होता है क्या ??
ReplyDeleteआज तो परदे उठ रहे हैं देखें क्या क्या निकलता है।
ReplyDeleteसबसे पहले एक जुट हो कर फैसला लिया गया
ReplyDeleteफिर फैसला लिया
सारे फैसले ले लिये गए .
पता चला हिंदी ब्लोगिंग विलीन होने की कगार पर हैं .
वेबसाइट और ब्लॉग का अंतर ख़तम हो जायेगा कम से गूगल का नहीं डोमेन बेचने वालो का फायदा होगा { एजेंडा } .
ये इतने सारे फ़ैसले .ले ले कर सबने आपको बता दिया ..फ़िर पता क्या चला कि हिंदी ब्लॉगिंग विलीन होने के कगार पर हैं , हैं !!! ऐसा कैसे हो सकता है , एक दर्जन तो हमारे ही ब्लॉग हैं हिंदी के ..एजेंडा बडा धांसू निकला इतने फ़ैसलों के बाद ..
अगले काल का वर्णन भी पढना चाहेंगे , चलिए फ़ुर्सत में हम भी कुछ पन्नों को पलटने की तैयारी करते हैं
Parda kya uthaya
ReplyDeleteRahsya aur gahra gaya
कौन बेच रहा है जी डोमेन? कितने में?
ReplyDeleteलगता है बहुत कुछ पढ़ने से चूक गया हूं.