हमारे एक पडोसी एक दिन बड़े ही उखड़े मूड में सुबह सुबह आगये । मै चाय बना रही थी । अब सुबह ८.१५ तक सब काम हो जाए तो अपने ऑफिस के काम सुचारू रूप से शुरू करवा पाती हूँ।
पडोसी को चाय दे कर पूछ लिया
क्या हुआ इतना क्यूँ मूड उखडा हैं
बोले मेरा लगाया पेड़ काट लिया मेरे बगल में रहने वाले मेरे दोस्त ने ।
मैने कहा आप का पेड़ कोई और कैसे काट सकता हैं । आप के घर में कोई कैसे घुस सकता हैं ।
पडोसी बोले नहीं मैने पेड़ अपने दोस्त के यहाँ लगाया था ।
मैने कहा वो कैसे ,
कहने लगे
मै रोज अपने घर में इकट्ठा कचरा उनके बगीचे में फ़ेंक आता था । उस कचरे में तमाम बीज भी होते थे । वही बीज वहाँ बड़े होने लगे । जब तब उस पेड़ में उसमे घर का गन्दा पानी भी डाल देता था । अब बीज मेरा , पानी मेरा तो पेड़ भी मेरा ही हुआ ना । दोस्त ने कटवा कर बेच दिया ।
पेड़ पर अपने पडोसी के कॉपी राईट का दावा मुझे बड़ा बढ़िया लगा
लेकिन उनकी बात ख़तम नहीं हुई थी । कहने लगे इस पेड़ के कटने में आप का भी हाथ हैं । आप के मकान की boundary wall और मेरे दोस्त के मकान की boundary wall common जो हैं ।
मैने कहा ये कम्प्लेंट तो आप पिछले साल भी लाये थे अब काठ की हांड़ी को कितनी बार चढायेगे
disclaimer
copyright here stands for ownership and not right to copy and copyright !!!!
और किसी भी पेड़ का इस पोस्ट से कोई लेना देना नहीं हैं ना ही मेरा ऐसा कोई पडोसी हैं ।
ये सच्ची घटना पर आधरित हैं जरुर हैं लेकिन किसी भी जीवित या मृत कॉपी राईट के होल्डर का इस से कोई लेना देना नहीं हैं । अगर कोई इस में अपने को खोजता हैं तो जड़ हैं { पेड़ की !!!!}
सच बोलना जितना मुश्किल है , सच को स्वीकारना उस से भी ज्यादा मुश्किल है . लेकिन सच ही शाश्वत है और रहेगा मुझे अपने सच पर उतना ही अभिमान है जितना किसी को अपने झूठ से होने वाले फायदे पर होता हैं
मेरे ब्लॉग के किसी भी लेख को कहीं भी इस्तमाल करने से पहले मुझ से पूछना जरुरी हैं
मेरे ब्लॉग के किसी भी लेख को कहीं भी इस्तमाल करने से पहले मुझ से पूछना जरुरी हैं
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
Blog Archive
-
▼
2011
(126)
-
▼
July
(31)
- कितना सच कितना झूठ पता नहीं
- इमोशनल सेल्फ से ज्यादा बेहतर होती हैं रैशनल सेल्फ
- विवाद
- हाथ में गिलास लेकर मदिरा का महिमा मंडन करने वाले ज...
- जो भी करे सावधानी से करे और कानून के दायरे के अन्द...
- मेरा कमेन्ट
- "बेटा जी " तुम सही हो ।
- गूगल प्लस में कुछ ख़ास नहीं लगा सो अपना प्रोफाइल ड...
- ताकत यानी पॉवर
- मेरा कमेन्ट
- क्या आप पहले ब्लॉगर "अनशन " के लिये तैयार हैं
- कुछ ऐतिहासिक गलतियां
- " आप का जो परिचित हैं उसके आप अ-परिचित हैं" court...
- मेरा कमेन्ट "ये "बुरका अभियान " मासूमियत से चलना ब...
- "आप किस मिटटी की बनी हैं ? "
- प्यार और मौत में बड़ी समानता हैं ,
- जन्मदिन पर शुभकामना
- हिंदी ब्लोगिंग के " काल "
- मेरा कमेन्ट
- मेरा कमेन्ट
- nayaa bloggar dashboard kaese milae ,
- कोई भी जो इस पोस्ट से सम्बंधित जानकारी रखता हो उपल...
- देह दान को लेकर कोई भ्रान्ति मन में ना लाये . खुद ...
- एयर इंडिया डूब कर चलने वाली एयर लाइन
- पूजक सूची जारी
- पेड़ पर अपने पडोसी के कॉपी राईट का दावा मुझे बड़ा ब...
- लगता हैं जिन्दगी एक गोल चक्र हैं जहां से शुरू करो ...
- मेरा कमेन्ट
- हिंदी ब्लोगिंग के काल
- मेरे पसंदीदा के बाद ट्रेंड सेटर
- बिना मठ के मठाधीश मेरे पसंदीदा
-
▼
July
(31)
:))
ReplyDeleteहा-हा-हा
ReplyDeleteप्रतीकात्मक पोस्ट से जवाब
आपका स्टाईल अच्छा है।
प्रणाम
sunder .....
ReplyDeletejai baba banaras.......
बहुत रोचक पोस्ट...इस रोचकता का कापी राईट करवा लीजिये...:-)
ReplyDeleteहा हा हा…………बढिया है।
ReplyDeleteअच्छा हुआ डिस्क्लेमर लगा दिया..
ReplyDelete:)
ReplyDeleteमुझसे केवल सीधी सपाट और साफ साफ शब्दों में कही गई बातों को समझने में ही अक्सर गलतफहमी होती है.समझ गया आपका इशारा.
ReplyDeleteधोखे में भी किया गया एहसान भूले नहीं भूलता है।
ReplyDelete