एयर इंडिया पर कर्जा रूपए २०७६३ करोड़ जिस पर सालाना बायज रूपए २४०० करोड़ तक़रीबन ४०००० करोड़
तेल कम्पनियों का बकाया Rs 3,३२० करोड़
सरकारी अनुदान की आवश्यकता ताकि कंपनी चल सके
अब दूसरा रुख
सरकार का कर्जा एयर इंडिया पर
रूपए ८०० करोड़ प्रधान मंत्री और राष्ट्रपति के ऊपर आने जाने का खर्च
रुपये १२२२ करोड़ वी वी आईपी के लिये की गयी ट्रिप और ५ बोईंग जहाज जो इस के लिये अलग रखे गए हैं उनका खर्चा
कमाल हैं ना
सरकार अपना खर्चा भी नहीं उठा सकती और डूबती कम्पनी को उठाने की बात करती हैं
क्या हो रहा हैं
शायाद इसी लिये कहते हैं दुनिया गोल हैं
अब कैबिनेट में मंजूरी मांगी जायेगी ताकि सरकार अपना कर्जा कुछ तो उतार सके
आम आदमी का पैसा कैसे बर्बाद होता हैं !!! किया जाता है
सच बोलना जितना मुश्किल है , सच को स्वीकारना उस से भी ज्यादा मुश्किल है . लेकिन सच ही शाश्वत है और रहेगा मुझे अपने सच पर उतना ही अभिमान है जितना किसी को अपने झूठ से होने वाले फायदे पर होता हैं
मेरे ब्लॉग के किसी भी लेख को कहीं भी इस्तमाल करने से पहले मुझ से पूछना जरुरी हैं
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तेल कंपनियों का भी यही हाल है सरकार कहती है की हम सब्सिडी देते है जबकि केंद और राज्य सरकारे जितना टैक्स लेती है उतनी सब्सिडी नहीं देती | फिर ये भी समझ नहीं आता की जितना तेल आम लोग प्रयोग करते है उससे कही ज्यादा तेल तो सरकारे खुद खर्च करती है | सेना, रेल, सरकारी विभाग, सरकारी बसे, नेता मंत्री की गाड़ी है मुझे तो लगता है की जितना तेल देखा में आता है उसका ३०% ही आम आदमी प्रयोग करता है बाकि तो सरकारे खुद प्रयोग करती है खुद टैक्स भी लगती है और खुद सब्सिडी देने की बात भी करती है और खुद ही खर्च भी करती है |
ReplyDeleteएक छोटे इंडिया के बजाए बडे भारत को महत्तव दिया जाना चाहिये.लेकिन सरकार को किसीकी फिक्र नहीं है.
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