सच बोलना जितना मुश्किल है , सच को स्वीकारना उस से भी ज्यादा मुश्किल है . लेकिन सच ही शाश्वत है और रहेगा मुझे अपने सच पर उतना ही अभिमान है जितना किसी को अपने झूठ से होने वाले फायदे पर होता हैं
मेरे ब्लॉग के किसी भी लेख को कहीं भी इस्तमाल करने से पहले मुझ से पूछना जरुरी हैं
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ये तो बहुत गलत बात है...एक यही तो अड्डा बचा था आपसे संवाद कायम करने का..:-(
ReplyDeleteअभी वो शायद प्रायोगिक चरण में ही है.वैसे सबसे अच्छा प्लेटफॉर्म तो ब्लॉगर ही है.फेसबुक और ऑरकुट पर मेरे प्रोफाईल है लेकिन कभी किसीसे दोस्ती ही नहीं की यहाँ तक कि चैटिंग भी मैंने एक दो बार ही की थी वो भी अपने ममेरे भाई और बहन के साथ.क्योंकि ये सभी काम मुझे बहुत पकाऊ लगते है.अपन तो यहीं खुश है.देखते हैं गूगल कब तक मेहरबान रहता है.
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