मकान / दूकान / वाहन लीज़ और किराये पर देने/लेने में क्या अंतर हैं .
लीज अग्रीमेंट के कागज़ कहां बनते हैं
किराए के कागज़ कहां बनते हैं
दोनों में बेहतर क्या है
दोनों में कितना ख़तरा हैं यानी लीज़ या किराये पर कितना लम्बा समय मान्य होता हैं जिसके बाद दुबारा अग्रीमेंट करना सही हैं वरना लीज धारक / किरायदार को नहीं हटाया जा सकता
इनकम टैक्स देने वाले के लिये क्या उत्तम हैं लीज पर देना/लेना या किराए पर देना /लेना
कोई भी जो इस पोस्ट से सम्बंधित जानकारी रखता हो उपलब्ध करा दे . आभार होगा
सच बोलना जितना मुश्किल है , सच को स्वीकारना उस से भी ज्यादा मुश्किल है . लेकिन सच ही शाश्वत है और रहेगा मुझे अपने सच पर उतना ही अभिमान है जितना किसी को अपने झूठ से होने वाले फायदे पर होता हैं
मेरे ब्लॉग के किसी भी लेख को कहीं भी इस्तमाल करने से पहले मुझ से पूछना जरुरी हैं
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इस के लिए आप को अपने क्षेत्र के किसी प्रोफेशनल वकील की सेवाएँ प्राप्त करनी चाहिए।
ReplyDeleteआम बोल चाल की भाषा में क्या अंतर हैं जो आम आदमी बिना वकील के परामर्श के समझ सके
ReplyDeleteजरुरी हैं पहले समझना ताकि वकील के पास जाकर आम आदमी बेवकूफ ही बन जाए
इस पोस्ट का मकसद साधरण जानकारी पाना और उपलब्ध कराना हैं