मेरे ब्लॉग के किसी भी लेख को कहीं भी इस्तमाल करने से पहले मुझ से पूछना जरुरी हैं

मेरे ब्लॉग के किसी भी लेख को कहीं भी इस्तमाल करने से पहले मुझ से पूछना जरुरी हैं

July 31, 2011

कितना सच कितना झूठ पता नहीं

आज अखबार में पढ़ा हैं जो लोग सोशल नेट्वोर्किंग साइट्स पर ज्यादा सक्रियाए हैं उनमे पर्सनैलिटी डिस आर्डर की संभावनाए दिख रही हैं ।
वो बार बार अपनी पोस्ट की गयी बातो पर जा कर देखते हैं की लोगो ने क्या जवाब दिया , जवाब ना मिलने की दशा में ऐसी व्यक्ति के अन्दर क्रोध का बढ़ना देखा गया हैं । इस के अलावा उनके कितने मित्र हैं और दूसरे के कितने मित्र ये जानकारी उस व्यक्ति को डिप्रेशन की और ले जाती देखी गयी हैं

सोशल नेट्वोर्किंग से लोगो ने अपने सम्बन्धियों और रीयल दुनिया के मित्रो से अपने दूर कर लिया हैं ऐसा भी पाया गया हैं ।

कितना सच कितना झूठ पता नहीं

July 29, 2011

इमोशनल सेल्फ से ज्यादा बेहतर होती हैं रैशनल सेल्फ

हमारी दो "सेल्फ " होती हैं
"इमोशनल सेल्फ "
और
" रैशनल सेल्फ "
निर्णय लेते समय अगर आप की इमोशनल सेल्फ हावी हैं तो आप का निर्णय आप के लिये नुकसानदेह होता हैं
जिनकी रैशनल सेल्फ हावी होती हैं वो ना केवल सही निर्णय पे पाते हैं अपितु उस निर्णय के दूरगामी परिणाम भी सोच / देख पाते हैं ।
जो लोग बार बार अपना निर्णय बदलते हैं या किसी दूसरे के निर्णय की वजह से अपना निर्णय बनाते और लेते हैं उनकी इमोशनल सेल्फ बहुत बलवान होती हैं

इमोशनल सेल्फ से ज्यादा बेहतर होती हैं रैशनल सेल्फ

July 28, 2011

विवाद

एक दिन एक ईमेल मिली
ईमेल में एक लिंक मिला
लिंक के साथ एक आमन्त्रण मिला
हमारे ब्लॉग पर आये
हमने सोचा चलो हो आये

हम पहुचे
लेख पढ़ा
पढ़ कर सोचा
बुलाया हैं तो
खाली पढने के लिये तो
नहीं ही बुलाया होगा
टिपण्णी भी चाही होगी

सो बिना लाग लपेट के
टिपण्णी दे आये
और सबिस्क्राइब भी कर आये

लौटी ईमेल से सूचना आयी
आप विवाद कर रही हैं
आप समस्या का निदान नहीं चाहती
आप समाज का भला नहीं चाहती
आप का कमेन्ट हटाया जा रहा हैं


मै गयी मैने अपना कमेन्ट खुद ही हटा दिया
फिर ईमेल आई
आप ने कैसे हटा दिया अपनी टिपण्णी को
जिस का जवाब दिया जा चुका था
अब आप की क़ोई टिपण्णी
यहाँ नहीं छपेगी

दिन बदला
मैने फिर इमेल खोली
और फिर
ईमेल मिली
ईमेल में एक लिंक मिला
लिंक के साथ एक आमन्त्रण मिला
हमारे ब्लॉग पर आये


अब बार बार बुलाते हैं
विवाद खुद बनाते है
और ठीकरा
मेरे सिर पर फोड़ते हैं

July 27, 2011

हाथ में गिलास लेकर मदिरा का महिमा मंडन करने वाले जब नयी पीढ़ी पर तंज कसते हैं तो गलती कहां हुई दिखता हैं ।

Delhi Belly अमीर खान की इस फिल्म की बड़ी आलोचना चल रही हैं । मैने नहीं देखी क्युकी में पहले हफ्ते का रिव्यू अखबार में पढ़ कर ही मन और समय हो तो क़ोई फिल्म देखती हूँ ।

आलोचना का सबसे बड़ा मुद्दा हैं उस फिल्म में दी गयी गलियाँ , अपशब्द । ब्लॉग जगत में में भी कई पोस्ट इस फिल्म को ले कर आयी हैं । सब में आलोचना का मुद्दा एक ही हैं की " ये मान भी लिया जाये की गलिया और अपशब्द आम जिन्दगी का हिस्सा हैं और फिल्म में दिये गए अपशब्द और गलियाँ सदियों से बोली जा रही हैं और आज के बच्चे खुले आम इस असांस्कृतिक भाषा का प्रयोग कर रहे हैं तब भी ये सब दिखना क्या जरुरी हैं

फिल्म बनाना एक क्रीएटिव काम हैं जैसे किताब लिखना , पेंटिंग करना इत्यादि । अगर हमे किसी की क्रेयेतिविटी नहीं पसंद हैं तो हम उसको प्रतिबंधित करने की मांग करते हैं पर जब अपनी बारी आती हैं तो हम
सब भूल जाते हैं ।

कुछ दिन पहले अजीत गुप्ता ने अपने ब्लॉग पर एक सवाल उठाया था की जब भी २-४ ब्लोगर कहीं मिलते हैं और साथ बैठ कर मदिरा का सेवन करते हैं तो उसके चित्रों को ब्लॉग पर क्यूँ डालते हैं । उस समय बहुत से ब्लोगर ने उस पोस्ट पर कहा था हाँ उन्हे ऐसा नहीं करना चाहिये था ।

लेकिन अब लगता हैं ये फैशन होगया हैं बताना की हम मिले , हमने शराब पी और हमने एन्जॉय किया

यानी आप को अधिकार हैं मदिरा सेवन करने का और उसको सचित्र और नाम के साथ सीना ठोक कर ब्लॉग पर डालने का क्युकी आप को अभिव्यक्ति की स्वंत्रता का अधिकार हैं । आप बालिग हैं और कानून शराब पी सकते हैं और ब्लॉग एक डायरी हैं उस पर आप अपने मन का लिख भी सकते हैं ।
तब भी ये सब दिखना क्या जरुरी हैं

आज भी सुसंस्कृत भारतीये परिवारों में घर में शराब नहीं पी जाती ऐसा बहुत जगह पढने को मिल जाता हैं लेकिन बाहर जा कर मदिरा का सेवन करने वाले और उसका विवरण सचित्र करने वाले ब्लॉग पर जब अमीर खान की फिल्म को , अमीर खान की सोच को वाहियात कहते हैं तो सोचने पर मजबूर होना ही पड़ता हैं ।

हाथ में गिलास लेकर मदिरा का महिमा मंडन करने वाले जब नयी पीढ़ी पर तंज कसते हैं तो गलती कहां हुई दिखता हैं ।

July 26, 2011

जो भी करे सावधानी से करे और कानून के दायरे के अन्दर करने की कोशिश करे

क़ोई भी लड़ाई छोटी नहीं होती
ट्रेन में सफ़र करते समय अगर आप अपने सह यात्री को शराब पीते देखते हैं तो
टी टी से कहे
आपस में सब लोग मिल कर तुरंत हल्ला मचा कर कहे
तब भी ना सुने तो शिकायत पुस्तिका में अपनी शिकायत दर्ज करे और उस सीट का नंबर अवश्य दे क्युकी बहुत बात टी टी की मिली भगत से ये सब होता हैं और वो सह यात्री रेलवे विभाग के किसी कर्मचारी का रिश्तेदार होता हैं
इस पर कुछ ना हो तो चैन खीच कर गाडी रुकवा दे और टी टी से कहे की अगले स्टेशन के स्टेशन मास्टर को फ़ोन करे ताकि रेलवे पुलिस वहाँ आकर उस व्यक्ति को गिरफ्तार कर सके

और अगर ये सब ना हो सके तो एक डिब्बे में कम से कम ५० यात्री होते ही हैं वो सब उस व्यक्ति की पिटाई करके किसी भी शौचालाए में उसको बंद कर दे और सारे रास्ते वही बंद रहने दे

आखरी पढाव पर उत्तर कर उसको रेलवे पुलिस को सौप दे और शिकायत उसके खिलाफ नहीं टी टी के खिलाफ दर्ज करवा दे

आप की छोटी सी लड़ाई कहीं ना कहीं क़ोई बदलाव लाती जरुर हैं लेकिन आप का कुछ न करना और केवल ये कहना सिस्टम गलत हैं क़ोई बदलाव नहीं ला सकता

हा जो भी करे सावधानी से करे और कानून के दायरे के अन्दर करने की कोशिश करे

July 25, 2011

मेरा कमेन्ट

मेरा कमेन्ट


गौतम जी ,
अगर स्पष्टवादिता और मुंहदेखी बात न करना विनम्रता का दामन छोड़ना है तो है मुझे यह आरोप जो कोई नया नहीं है बार बार स्वीकार है ,एक ख़ास तरह की मानसिकता वाले यह आरोपण मेरे ऊपर करते रहते हैं -ताज्जुव है कई दोस्तों की शहादत के बाद भी आपकी खून सर्द है जुबान लकवा मार गयी है -एक सीमा प्रहरी यह बोल रहा है! और अलगाववादियों की खुलकर तरफदारी कर रहा है -यहाँ कोई क्षद्म देशभक्ति नहीं बल्कि आप मुट्ठी भर लोग जो कर रहे हैं वह क्षद्म निरपेक्षता से भी बढ़ कर देश की अखंडता और संप्रुभता के साथ कम्प्रोमायिज है ....आश्चर्य है देश के प्रहरी अब ऐसा सोचने लगे हैं जिनके पीछे करोड़ों लोगों के अरमान और आकांक्षायें गिरवी रखी होती हैं ..निश्चय ही ऐसे विचार आपके अपने निजी हैं भारतीय सेना की नुमायन्दगी नहीं करते होंगें ...
हमारा आक्रोश कोई व्यर्थ का आक्रोश नहीं है मान्यवर -यह क्या रंग खाएगा यह आपको कश्मीर में रहते ही पता चल जाएगा ..डरिये मत मेजर साहब .....हम आप जैसो की कमी भी पूरी करेगें ....आज नहीं तो तिरंगा वहां फहरेगा ही ....
और हम वहां शापिंग करने आयेगें तो अब आप जैसे दुभाषियों के बुलावे पर तो नहीं ही आयेंगे ---
हमें अब अपने बीच के ही परायों की पहचान करना आ गया है ....


jab aap ne yae sab apnae blog par likhaa thaa to mujhe lagaa thaa ki samay padnae par aap apni bahaduri sae kuchh logo ko sabak to seekha hi daege par

afsos aap to us samay chhaddar taan kar so gayae

kyaa yae chillam chilli bas blog tak hi simit haen

kyaa aap ne station par utarnae kae baad TT kae khilaaf aaptti darj karaaii ???

dusro ko kehna jitna aasan hotaa haen blog par ki yae mukdmaa kar daegae wo kar dagae , yahaan daekh laegae wahaa daeklaegae

utna hi aasan hotaa haen chaadar odh kar sonaa

koi aur hotaa to aap kehtey bisleri par bhi ek tanch to aap kaa ban hi jaataa !!!!!!!!!!!!!!!!!!!

likhtey rahiyae ham jo pehlae likhaa haen wo padhtey hi nahii yaad bhi rakhtey haen

July 24, 2011

"बेटा जी " तुम सही हो ।

नारी ब्लॉग पर लिखना बंद कर दिया हैं और आज कल उसको रीवैम्प कर रही हूँ

revamp का अर्थ होता हैं किसी भी चीज़ को नया करना और वही vamp का अर्थ होता हैं कुटिल महिला पात्र । यानी जो भी महिला पुराने को नया स्वरुप दे वो कुटिल हुई !!!! ये इंग्लिश हिंदी का अर्थ अनर्थ हैं ।


नारी ब्लॉग जब शुरू किया था तब की परिस्थिति और
आज की परिस्थिति में अंतर हैं । बहुत से ब्लॉग दोस्तों के साथ ये शुरू हुआ था जिसमे मीनाक्षी , रेवा स्मृति और ममता का सहयोग सब से ज्यादा था । फिर धीरे धीरे और महिला ब्लोगर को न्योता दे दे कर जोड़ा । समय का साथ नये लोग आये और उन्होने खुद जुडने की इच्छा रखी । फिर कुछ ऐसे भी मिले जिन्होने अपने को यहाँ केवल इस लिये जोड़ा ताकि लोग उनको जान सके और उसके बाद उन्होने ना केवल नारी ब्लॉग के ऊपर अपितु मेरे ऊपर भी जगह लांछन लगाये की यहाँ ये होना चाहिये , ये नहीं लेकिन उनमे से किसी को भी सूत्रधार बन कर इसको चलाने के लिये कहा तो सबके पास समय का नितान्त अभाव था ।
जो सदस्य हैं उनमे से बहुत से लोगो ने २ साल से क़ोई पोस्ट नहीं दिया हैं उनकी और जो लोग अन्य जगहों पर नारी ब्लॉग या मेरी व्यक्तिगत बुराई करते हैं उनकी सदस्यता समाप्त कर रही हूँ
हर ब्लॉग का एक मकसद होता हैं और सदस्यों का योगदान अगर उस मकसद से विपरीत हो तो एक साथ खड़े नहीं हुआ जा सकता

आज से दो साल पहले उम्र में मुझ से बहुत कम ब्लोगर मित्र ने कहा था की रचना जी लोग इस मंच का इस्तमाल कर रहे हैं वो आप को सीढ़ी बनाकर ब्लॉग जगत में अपने को स्थापित कर रहे हैंमैने तब उसको कह था "बेटा जी { ये मै उसी के लिये इस्तमाल करती हूँ और वो समझ भी जाएगा } तुम गलत हो ये सब नहीं सोचोनारी मंच सबका हैं मेरा नहीं और उस पर सबका अधिकार हैंलेकिन आज वो कहता तो मै कहती "बेटा जी " तुम सही हो

नारी ब्लॉग पर रीवैम्प जारी हैं
रचना ये हैं वो हैं
कहने वाली बहुत सी सदस्या आज जब मुझे कहती हैं की वो नया नारी मंच बनाएगी तो मुझे बड़ी ख़ुशी होती हैं पहली इस लिये की एक और जगह बात होगी नारी पर , दूसरी इस लिये की वो कहीं ना कहीं वही करना चाहती हैं जो मैने किया और तीसरी इस लिये क्युकी ये सुगम रास्ता बनाने में मेरा भी योगदान रहा हैं
दुनिया बदल रहे हैं ब्लॉग पर भी बदलाव है सो नारी ब्लॉग पर बदलाव होना निश्चित हैं

नारी ब्लॉग पर क़ोई ऐसी पोस्ट दिखा दे जहां मैने महिला हो कर महिला पर टंच कसा हो और नाम लेकर उसको लांछित किया होवो महिला जो मेरे ऊपर नाम लेकर पोस्ट बना रही हैं जब कभी बैठ कर सोचेगी उनको खुद अपनी गलती दिखेगी और समझ आयेगा वो कितना सही और कितना गलत हैं

बस मुझे एक बात नहीं समझ आती जो लोग नारी ब्लॉग को "बेकार " और मुझे तानाशाह कहते हैं वो "absolutist " का मतलब जान ले तो कितना अच्छा होता !! वो सदस्यता समाप्त होते ही क्यूँ इतना बिलबिलाते हैं की तुरंत फुरंत पोस्ट लिख कर और उसकी सूचना मुझे ईमेल से प्रेषित करते हैं
कभी कभी लगता हैं शायद वो इंतज़ार कर रही थी की कब सदस्यता समाप्त हो और वो एक पोस्ट बनाए
जब आप को उस ब्लॉग में कुछ लगता ही नहीं , जब आप को मुझ में कुछ दिखता ही नहीं तो आप को तो ख़ुशी होनी चाहिये की पीछा छूटा

July 23, 2011

गूगल प्लस में कुछ ख़ास नहीं लगा सो अपना प्रोफाइल डिलीट कर दिया हैं ।

गूगल प्लस में कुछ ख़ास नहीं लगा सो अपना प्रोफाइल डिलीट कर दिया हैं । प्रोफाइल डिलीट करना बड़ा आसान हैं । गूगल २-३ दिन का समय लेगा प्रोफाइल हटाने में ।

ताकत यानी पॉवर

जिन चीजों का हम तब विरोध करते हैं जब हम दबे होते हैं उन्ही चीजों को हम खुद करते हैं जब हम दबाये हुए होते हैं ।
हम हमेशा चाहते हैं जो भी कानून हो वो हमारे फायदे के हो ।

हम कानून को हमेशा सामाजिक व्यवस्था से जोड़ कर देखते हैं जबकि कानून निस्पक्ष होने का नाम हैं ।

क़ोई भी व्यक्ति अगर किस "सीट" पर बैठा हैं और उसके हाथ में पॉवर हैं तो उसको उस पॉवर का उपयोग वहाँ के बनाये नियम के हिसाब से करना चाहिये पर ऐसा होता नहीं हैं

मेरा कमेन्ट

what ever purva has written has been written by me on naari blog and i have been thrashed for the same

this is the indian society that a girls view are appreciated only when she writes under the banner of her father

when you had published her first post three years back i had written the same comment that

would these views be appreciated if purva has her own blog

क्या हम ऐसा समाज नहीं बना सकते? जहाँ सब बराबर हों, लड़के और लड़की में कोई फर्क ना हो। माता-पिता जो एक बेटे के लिए करे, वही बेटी के लिए भी करे। जहाँ बेटी को अधिकार हो की शादी के बाद भी वो अपने माता पिता की सहायता कर सके।

this is the truth that i have been advocating and why me anshumala , ghughuti basuti and many more


as long as purva's post come here on your blog its only a appreciation for your daughters view

let her face the world in open that is if she wants to { if she is not interested in blogging then please close comments on all such posts on your blog } because no one can criticize her views as she is

being protected by a lawyer father one can write all such things and be appreciated

this is the indian society where if the woman wants to be protected she should be under some one

किस बात का डर हैं आप को पूर्वा का अलग ब्लॉग बनाने मे आप उसको खुद चला सकते हैं अगर आप को अपनी बेटी की पोस्ट प्रकाशित ही करनी हैं तोक्या आप को लगता हैं इस ब्लॉग समाज में पूर्वा सुरक्षित नहीं हैंआप की बेटी की उपलब्धि जब तक आप के सुरक्षा कवच में हैं तब तक वो हर उस बात के खिलाफ जाती हैं जिस पर आप की बेटी लिख रही हैं यानी चुनने का अधिकारअगर उसका चुनाव ब्लॉग लिखना नहीं हैं तो ये सब आलेख यहाँ क्यूँ हैं और अगर ये सब आप के सुरक्षा के दायरे में ही ठीक हैं तो आप की बेटी को चुनाव का अधिकार अभी भी नहीं हैं
मेरा कमेन्ट

July 22, 2011

क्या आप पहले ब्लॉगर "अनशन " के लिये तैयार हैं

If Blogvani returns as Blogvani Plus
It will make few people Non Plus

Some things are born ahead of Time
Blogvani was one such thing

Today its the Era of Squael
So the Return OF Blogvani
As Blogvani +
Would Enlighten Many

And Its also an Era Of Hunger Strikes
Can We Plan One
Like the Farmers Stir In Noida
And Reclaim Blogvani

July 20, 2011

" आप का जो परिचित हैं उसके आप अ-परिचित हैं" courtsey Google Plus

गूगल प्लस ने कई चक्र बनाए हैं जिनमे एक चक्र का नामकरण  "blocked" किया गया हैं .

यानी चक्र में आप के वो "परिचित" हैं जिन्हे आप अपने लिखे से दूर रखना चाहते हैं और जिन्होने आप को अपने किसी चक्र में जोड़ा हैं .

July 19, 2011

मेरा कमेन्ट "ये "बुरका अभियान " मासूमियत से चलना बंद करिये"

सामाजिक व्यवस्था में सुरक्षा की बात जब भी होती हैं लड़कियों को घर के अन्दर ही रहने के लिये कहा जाता हैं ??? सामाजिक व्यवस्था को सुधारने का विकल्प नहीं लिया जाता हैं
पिछले ३ सालो में ना जाने कितने हिंदी ब्लॉग से महिला की नगन तस्वीरे मैने हटवाई हैं , कभी उनके ऊपर भी लिखते
और ये जो प्रश्न हैं की भारतीये वस्त्र पहने बड़ा ही वाहियात प्रशन हैं क्युकी सबसे ज्यादा चलने वाली साईट सविता भाभी थी जो भारतीये वस्त्रो में सजी महिला पर ही थी .

ये पोर्न साईट का धंधा बंद हो फिर चाहे पुरुषो की तस्वीरो वाली पोर्न साईट हो या स्त्री की तस्वीरो वाली

ये "बुरका अभियान " मासूमियत से चलना बंद करिये

July 18, 2011

"आप किस मिटटी की बनी हैं ? "

quote
"आप किस मिटटी की बनी हैं ? "
unquote

इस का क्या जवाब हो सकता हैं या  दिया  जा  सकता हैं .

July 17, 2011

प्यार और मौत में बड़ी समानता हैं ,

मै रोज न्यूज़ पेपर में obituary जरुर पढ़ती हूँ . सालो से एक आदत हो गयी हैं .





कई obituary सन्देश साल दर साल छपते हैं जैसे उपहार काण्ड १३ जून . क्यूँ देखती हूँ , बहुत से लोग जिन्दगी में मिलते हैं स्कूल के सफ़र से लेकर आज तक . वही लोग रास्तो में बिना सन्देश दिये खो जाते हैं या आगे बढ़ जाते हैं . कभी कभी बहुत से परिचितों के अभिभावकों के निधन के समाचार भी पढने को मिल जाते हैं . फ़ोन नंबर उपलब्ध होता हैं तो बात की जा सकती हैं या अगर मन में उनको अंतिम प्रणाम कहना हो तो जाया जा सकता हैं या मन में ही प्रणाम किया जा सकता हैं .
इसी आदत के चलते आज का न्यूज़ पेपर खोला तो एक obituary पर नज़र गयी
सन्देश ऐसा था की बरबस सोचने पर मजबूर हो गयी
"There is a striking similarity between love and death , one takes your heart and the other takes the beat "
हिंदी में कहूँ तो
" प्यार और मौत में बड़ी समानता हैं , एक आप का दिल ले जाता हैं और दूसरा धड़कन "

July 15, 2011

जन्मदिन पर शुभकामना

मेरे जन्मदिन पर शुभकामना मिलती हैं
मै खुश होती हूँ
शुभकामना से कौन खुश ना होगा
फिर पता चलता हैं
वो शुभकामना कहीं पब्लिश कर दी गयी
और मेरी ही नहीं बहुतो की
शुभकामना दे कर
किसी ने विज्ञापनों के जरिये
अपने लिये कमाई का साधन खोल लिया
कितना अजीब हैं ये संसार
जहां हिंदी प्रचार प्रसार के बहाने
जन्म दिन की शुभ कामना को भी
साधन कमाई का बनाया  जाता हैं
और मुझे
नकारात्मक
सकारात्मक 
हिंदी
इंग्लिश
का महत्व समझाया जाता हैं
काश निस्वार्थ और निर्लिप्त का
मतलब कोई उनको समझता
और ये सब किसी तरह बंद करवाता

हिंदी ब्लोगिंग के " काल "

एक साल पहले कुछ लोग एक जगह मिले .
मिल कर उन्होने फैसला किया की उन्हे कुछ करना हैं .

July 14, 2011

मेरा कमेन्ट

आत्मा क्या हैं , हैं या नहीं हैं इस मुद्दे पर बहस हमेशा "आस्था " से हट कर ही होनी चाहिये .
आत्मा को अजर अमर इस लिये ही शायद माना जाता हैं क्युकी वो पीढ़ी दर पीढ़ी अपने एक ही स्वरुप में रहती हैं जिसे विज्ञान डी ऍन ऐ कह कर भी परिभाषित कर देता हैं .
विज्ञान और आध्यात्म शायद एक ही सिक्के के दो पहलु हैं .
शायद हेड और टेल भी एक दूसरे के पूरक ही हैं


आप का दूसरा जनम हैं आप की आत्मजा में . आप के बुरे कर्म यानी क्रोध को आप अपनी आँख से देख रहे हैं . आप के अच्छे कर्म भी दिख ही रहे होगे . कर्म की परिभाषा बहुत विस्तृत हैं और दूसरे जनम की भी . हर नयी पीढ़ी पुरानी पीढ़ी का नया जनम हैं तो हर नयी पीढ़ी का पिछला जनम उसकी पुरानी पीढ़ी हैं पुनह शायद

आत्मा अजर अमर इसीलिये हैं क्युकी उसका स्वरुप वैसा ही रहता हैं
अब आप डॉ मिश्र को ही ले इनके कर्म में हर न्यूट्रल शब्द का पुल्लिंग स्त्रीलिंग बनाना निहित हैं फिर चाहे वो ब्लोगर हो या आत्मा यानी सोल . हम सब अपने कर्मो से बंधे हैं इस लिये उसको बदलना हमारे हाथ में नहीं होता हैं विज्ञान की दृष्टि से कहे तो जेनिटिक डिफेक्ट हैं या प्रॉब्लम और जींस की समस्या का सुधार विज्ञान में नहीं आध्यत्म में जरुर होता हैं .

आत्म मंथन की प्रक्रिया से परमात्मा का मिलना संभव हैं

अब आप कहेगे जिन लोगो का विवाह नहीं होता या जिनके बच्चे नहीं होते उनकी आत्मा का क्या होता हैं ऐसी आत्माए अपना चक्र पूरा कर लेती हैं और विलीन हो जाती हैं हो सकता हैं वो दुष्ट आत्माए हो जो विलीन हो जाए तो ही अच्छा हैं जैसे जिन्न को बोतल में कैद कर दिया जाता हैं या हो सकता हैं वो पुण्य आत्मा हो जो महज इस लिये विलीन हो गयी क्युकी उसका काम / कर्म ख़तम होगया .

विलीन वही हो सकता हैं जो हर काम निस्वार्थ रूप से करता है , निस्वार्थ यानी जहां आप अपने लिये कोई भी कामना ना रखते हो . न सुख न दुःख , न अच्छा ना बुरा .

प्रवीन
एक बात बताये
आप महज एक व्यक्ति को यहाँ देव कह रहे हैं क्या इसलिये की वो औरो से क्षेष्ठ हैं या इसलिये की आप उसको ये कहना चाहते हैं की क्षेष्ठ बनो ??
और आप चक्रव्यूह से बाहर आ गए या नहीं ???


मेरा कमेन्ट यहाँ

मेरा कमेन्ट

आत्मा क्या हैं , हैं या नहीं हैं इस मुद्दे पर बहस हमेशा "आस्था " से हट कर ही होनी चाहिये .
आत्मा को अजर अमर इस लिये ही शायद माना जाता हैं क्युकी वो पीढ़ी दर पीढ़ी अपने एक ही स्वरुप में रहती हैं जिसे विज्ञान डी ऍन ऐ कह कर भी परिभाषित कर देता हैं .
विज्ञान और आध्यात्म शायद एक ही सिक्के के दो पहलु हैं .
शायद हेड और टेल भी एक दूसरे के पूरक ही हैं


आप का दूसरा जनम हैं आप की आत्मजा में . आप के बुरे कर्म यानी क्रोध को आप अपनी आँख से देख रहे हैं . आप के अच्छे कर्म भी दिख ही रहे होगे . कर्म की परिभाषा बहुत विस्तृत हैं और दूसरे जनम की भी . हर नयी पीढ़ी पुरानी पीढ़ी का नया जनम हैं तो हर नयी पीढ़ी का पिछला जनम उसकी पुरानी पीढ़ी हैं पुनह शायद

आत्मा अजर अमर इसीलिये हैं क्युकी उसका स्वरुप वैसा ही रहता हैं
अब आप डॉ मिश्र को ही ले इनके कर्म में हर न्यूट्रल शब्द का पुल्लिंग स्त्रीलिंग बनाना निहित हैं फिर चाहे वो ब्लोगर हो या आत्मा यानी सोल . हम सब अपने कर्मो से बंधे हैं इस लिये उसको बदलना हमारे हाथ में नहीं होता हैं विज्ञान की दृष्टि से कहे तो जेनिटिक डिफेक्ट हैं या प्रॉब्लम और जींस की समस्या का सुधार विज्ञान में नहीं आध्यत्म में जरुर होता हैं .

आत्म मंथन की प्रक्रिया से परमात्मा का मिलना संभव हैं

अब आप कहेगे जिन लोगो का विवाह नहीं होता या जिनके बच्चे नहीं होते उनकी आत्मा का क्या होता हैं ऐसी आत्माए अपना चक्र पूरा कर लेती हैं और विलीन हो जाती हैं हो सकता हैं वो दुष्ट आत्माए हो जो विलीन हो जाए तो ही अच्छा हैं जैसे जिन्न को बोतल में कैद कर दिया जाता हैं या हो सकता हैं वो पुण्य आत्मा हो जो महज इस लिये विलीन हो गयी क्युकी उसका काम / कर्म ख़तम होगया .

विलीन वही हो सकता हैं जो हर काम निस्वार्थ रूप से करता है , निस्वार्थ यानी जहां आप अपने लिये कोई भी कामना ना रखते हो . न सुख न दुःख , न अच्छा ना बुरा .

प्रवीन
एक बात बताये
आप महज एक व्यक्ति को यहाँ देव कह रहे हैं क्या इसलिये की वो औरो से क्षेष्ठ हैं या इसलिये की आप उसको ये कहना चाहते हैं की क्षेष्ठ बनो ??
और आप चक्रव्यूह से बाहर आ गए या नहीं ???


मेरा कमेन्ट यहाँ

July 09, 2011

nayaa bloggar dashboard kaese milae ,

those who want to migrate to new blogspot dashboard please log in to http://draft.blogger.com/home
hope this helps
i am unable to find / configure the transliteration button , probably its not working as of now
translate is there but that is not helpful
when i went to known issues http://knownissues.blogspot.com/
i could see

Thursday, July 07, 2011

We've temporarily disabled the transliteration feature until we sort out a few issues with the feature. Engineers are looking into this and hope to have the feature re-enabled shortly.

Thanks for your patience.





कोई भी जो इस पोस्ट से सम्बंधित जानकारी रखता हो उपलब्ध करा दे . आभार होगा

मकान / दूकान / वाहन लीज़ और किराये पर देने/लेने में क्या अंतर हैं .
लीज अग्रीमेंट के कागज़ कहां बनते हैं
किराए के कागज़ कहां बनते हैं
दोनों में बेहतर क्या है
दोनों में कितना ख़तरा हैं यानी लीज़ या किराये पर कितना लम्बा समय मान्य होता हैं जिसके बाद दुबारा अग्रीमेंट करना सही हैं वरना लीज धारक / किरायदार को नहीं हटाया जा सकता
इनकम टैक्स देने वाले के लिये क्या उत्तम हैं लीज पर देना/लेना या किराए पर देना /लेना

कोई भी जो इस पोस्ट से सम्बंधित जानकारी रखता हो उपलब्ध करा दे . आभार होगा

July 08, 2011

देह दान को लेकर कोई भ्रान्ति मन में ना लाये . खुद भी जागरूक हो दूसरो को भी करे

देह दान को लेकर कुछ भ्रान्ति
यहाँ गयी तो यहाँ भेजा गया दोनो जगह कमेन्ट भी दे दिया
देह दान करने से बहुत से मेडिकल की पढाई करने वाले छात्र छात्रा को स्किन को समझने के लिये ह्युमन बॉडी की आवश्यकता होती हैं . dermatology को पढने के लिये मानव चमड़ी का अध्यन भी जरुरी हैं .
मृत्यु के बाद इस शरीर के हर हिस्से का कोई ना कोई उपयोग हो ही सकता हैं . नेत्र , दिल और शायद किडनी भी मृत्यु के बाद किसी और के काम आ सकती हैं बाकी हिस्से किसी मेडिकल कॉलेज को भेज दिये जाते हैं , जहां हड्डी इत्यादि पर शोध होती हैं .
बहुत से लोग कुछ ही हिस्से दान करते हैं जैसे नेत्र बाकी उनके परिवार जन उनका संस्कार कर देते हैं लेकिन जो पूरा शरीर दान कर देते हैं वो सहज ही दूसरो से अलग हो जाते हैं

देह दान को लेकर कोई भ्रान्ति मन में ना लाये . खुद भी जागरूक हो दूसरो को भी करे

किसी भी चीज़ को लेकर अगर कहीं प्रशासन से कोई गलती हुई हैं तो उस के लिये देहदान की जरुरत को ही कटघरे में नहीं खडा करना चाहिये
disclaimer
included links are only for continuity purpose with no malice to the writer

July 07, 2011

एयर इंडिया डूब कर चलने वाली एयर लाइन

एयर इंडिया पर कर्जा रूपए २०७६३ करोड़ जिस पर सालाना बायज रूपए २४०० करोड़ तक़रीबन ४०००० करोड़
तेल कम्पनियों का बकाया Rs 3,३२० करोड़
सरकारी अनुदान की आवश्यकता ताकि कंपनी चल सके

अब दूसरा रुख
सरकार का कर्जा एयर इंडिया पर
रूपए ८०० करोड़ प्रधान मंत्री और राष्ट्रपति के ऊपर आने जाने का खर्च
रुपये १२२२ करोड़ वी वी आईपी के लिये की गयी ट्रिप और ५ बोईंग जहाज जो इस के लिये अलग रखे गए हैं उनका खर्चा

कमाल हैं ना
सरकार अपना खर्चा भी नहीं उठा सकती और डूबती कम्पनी को उठाने की बात करती हैं

क्या हो रहा हैं

शायाद इसी लिये कहते हैं दुनिया गोल हैं

अब कैबिनेट में मंजूरी मांगी जायेगी ताकि सरकार अपना कर्जा कुछ तो उतार सके


आम आदमी का पैसा कैसे बर्बाद होता हैं !!! किया जाता है

July 06, 2011

पूजक सूची जारी

घुघूती -रचना
समीर - ताऊ
राज - अंतर
अरविन्द - रंजना
बी एस - अजय
अनूप - विवेक
अमर - कुश
अरविन्द - सतीश
समीर - सतीश
सतीश - इंदु
समीर - सुनीता
सतीश - खुशदीप
अदा - महफूज़
महफूज़ - खुशदीप
बी एस - इंदु
दिव्या - अर्थ
अजीत - महफूज
अलबेला - अरविन्द
अलबेला - मयंक
ज्ञान - शिव
अदा -वाणी
जाकिर - सलीम
अरविन्द -जाकिर
बी एस - अनीता
ललित - नीरज



दिस्क्लैमेर
नाम ब्रांड नेम नहीं होता । नाम को लेकर आप किसी पर कुछ भी लिख सकते ।
इस सूची का किसी हिंदी ब्लोगर से कोई लेन देन नहीं हैं ।
कमेन्ट आप अपने रिस्क पर दे ।
this list is mere figment of imagination and has nothing to do with any blogger . if you find any resemblance to your self then please understand you are in the first case accepting the list and any rejection also means passive acceptance

July 05, 2011

पेड़ पर अपने पडोसी के कॉपी राईट का दावा मुझे बड़ा बढ़िया लगा ।

हमारे एक पडोसी एक दिन बड़े ही उखड़े मूड में सुबह सुबह आगये । मै चाय बना रही थी । अब सुबह ८.१५ तक सब काम हो जाए तो अपने ऑफिस के काम सुचारू रूप से शुरू करवा पाती हूँ।
पडोसी को चाय दे कर पूछ लिया

क्या हुआ इतना क्यूँ मूड उखडा हैं

बोले मेरा लगाया पेड़ काट लिया मेरे बगल में रहने वाले मेरे दोस्त ने ।

मैने कहा आप का पेड़ कोई और कैसे काट सकता हैं । आप के घर में कोई कैसे घुस सकता हैं ।

पडोसी बोले नहीं मैने पेड़ अपने दोस्त के यहाँ लगाया था ।

मैने कहा वो कैसे ,

कहने लगे

मै रोज अपने घर में इकट्ठा कचरा उनके बगीचे में फ़ेंक आता था । उस कचरे में तमाम बीज भी होते थे । वही बीज वहाँ बड़े होने लगे । जब तब उस पेड़ में उसमे घर का गन्दा पानी भी डाल देता था । अब बीज मेरा , पानी मेरा तो पेड़ भी मेरा ही हुआ ना । दोस्त ने कटवा कर बेच दिया ।


पेड़ पर अपने पडोसी के कॉपी राईट का दावा मुझे बड़ा बढ़िया लगा


लेकिन उनकी बात ख़तम नहीं हुई थी । कहने लगे इस पेड़ के कटने में आप का भी हाथ हैं । आप के मकान की boundary wall और मेरे दोस्त के मकान की boundary wall common जो हैं ।

मैने कहा ये कम्प्लेंट तो आप पिछले साल भी लाये थे अब काठ की हांड़ी को कितनी बार चढायेगे



disclaimer
copyright here stands for ownership and not right to copy and copyright !!!!


और किसी भी पेड़ का इस पोस्ट से कोई लेना देना नहीं हैं ना ही मेरा ऐसा कोई पडोसी हैं ।
ये सच्ची घटना पर आधरित हैं जरुर हैं लेकिन किसी भी जीवित या मृत कॉपी राईट के होल्डर का इस से कोई लेना देना नहीं हैं । अगर कोई इस में अपने को खोजता हैं तो जड़ हैं { पेड़ की !!!!}

July 04, 2011

लगता हैं जिन्दगी एक गोल चक्र हैं जहां से शुरू करो और जहा तक भी चल लो हमेशा यही लगता हैं हम वही खड़े हैं ।


कुछ दिन पहले पढ़ा था की हम सब १९३२ के "इकोनोमिक रिसेशन " की तरफ बढ़ रहे है ।

आज सुबह सुबह अखबार पढ़ा की इटली , आयरलैंड , पोलैंड , ग्रीस समेत कुछ देश की सरकारों पर इतना कर्जा हैं की सरकारी संस्थानों को बेच कर ये कर्जा उतारने की बात की जा रही हैं

कुछ देर बाद फोन की घंटी बजी और पता चला की कालोनी में माँ की एक दोस्त के बेटे जो ५५ साल के थे उन्होने आत्म ह्त्या कर ली , सुबह उनका पार्थिव शरीर रेलवे लाइन पर मिला । तकरीबन ३ साल से आर्थिक तंगी से परेशान थे और भयंकर डिप्रेशन में थे । विवाहित हैं परिवार में बेटी और पत्नी भी हैं , बेटी इंजीनियर हैं ।

रिसेशन और डिप्रेशन दोनों का गहरा सम्बन्ध हैं ।

भारत के सरकारी संस्थान जैसे एयर इंडिया के खाजने खाली हैं और सूना हैं ६०० करोड़ का कर्जा हैं ।

क्या फिर दुनिया privatization की तरफ बढ़ रही हैं । क्या अमीर जो पुश्तैनी अमीर हैं वो फिर ये सब खरीद लेगे ।

मंदिरों में खजाने जो मिलते हैं वो कहा जाते हैं कौन हैं उनका वारिस ??? कल से ये प्रशन भी दिमाग में चल ही रहा हैं

जिन्दगी कभी कभी प्रश्नों से भरी होती हैं जैसे ये जानते हुए भी की देहली बेली एक वाहियात प्रोनोग्रफिक फिल्म हैं लोग देखने जा रहे हैं ? क्यूँ ?? और जो खुद देख कर आ रहे हैं दूसरो को माना कर रहे हैं ।

लगता हैं जिन्दगी एक गोल चक्र हैं जहां से शुरू करो और जहा तक भी चल लो हमेशा यही लगता हैं हम वही खड़े हैं ।

जुलाई के पहले सोमवार की बधाई
८३३ साल बाद ये संयोग आया हैं की जुलाई में ५ शुक्रवार , ५ इतवार और ५ शनिवार होगे ।

July 03, 2011

मेरा कमेन्ट

अनूप जी ने चर्चा करदी सो जवाब तो बनता हैं
नारी ब्लॉग यानी ब्लॉग जगत के सो कोल्ड "पुरुष" के खिलाफ मोरल पोलिसिंग . तीन साल में ही दम निकल गया पुरुष समाज का मोरल पोलिसिंग से और मेरे देश की बेटियाँ , बहुये , माँ सदियों से इस मोरल पोलिसिंग को बर्दाश्त कर रही हैं . सोचिये , अपने अन्दर झांकिये कैसा लगता हैं उन सब को जब उन्हे ये समझाया जाता हैं , ये ये मत करो क्युकी तुम नारी हो . ये मत पहनो ये पहनो क्युकी ये भारतीये संस्कृति हैं . उनकी सहनशीलता को उनकी कमजोरी मान लेना क्या पौरुष हैं ????
उल्ट दिया मैने वो यहाँ और देखती रही की किस प्रकार से मुझे संबोधन दिये जाते रहे . सोचिये ना जाने कितने ऐसे ही संबोधन आप के घरो में मौजूद आपकी बेटियाँ , पत्निया और माँ आप को "मन " से अपने "मन " में देती हैं . कहीं पढ़ा था अगर हर स्त्री एक दम सच बोलने लगे तो ये दुनिया पुरुषो के लिये नरक हो जाए .
अब आते हैं अरविन्द मिश्र की किताब के प्रकरण पर . उन्होने मेरे ऊपर एक ब्लॉग पर वाहियात कमेन्ट किया मैने उनको जवाब दिया . दोनों का साक्ष्य इस पोस्ट पर अनूप ने उपलब्ध कर दिया . उनकी किताब नहीं छपी उनकी प्रॉब्लम हैं लेकिन इसके लिये मेरे ऊपर लांछन लगाना उनकी आदत . ऐसे बहुत से लिंक पडे हैं इसी ब्लॉग जगत में जहां उन्होने ग्रुप बना कर मुझ पर व्यक्तिगत कमेन्ट किये "क्युकी मुझे वो समझना चाहते थे " जैसा वो यहाँ अपने कमेन्ट मै कह रहे हैं की मै उन्हे मिस्ट्री लगती हूँ . नहीं समझा तो सोचा मुझे "समझा दे" . उनकी किताब का न छापना उनकी अपनी योग्यता भी हो सकती हैं ये समझ लेते तो शायद दूसरी किताब जैसा वो यहाँ कह रहे हैं उनके नाम से छपती . ब्लॉग जगत में योग्यता दिखाना बड़ा आसान है . और ब्लॉग जगत के बहाने उनलोग से रसूख बढ़ाना जो आप को ग्रां दिलवा सकते हैं !!!!!!!!
जिन लोगो ने १०० कमेन्ट दिये हैं मेरे खिलाफ इनके ब्लॉग पर अपने अन्दर जरुर झाँक ले क्युकी आज उनको वास्तविकता पता चल गयी हैं . आप अगर किसी के दोस्त हैं तो दूसरे के दुश्मन नहीं हो और दूसरे का पक्ष तो पूछा जा सकता हैं . लेकिन हिंदी ब्लोगिंग तो महज सोशल नेटवर्क हैं इन सब के लिये .

मै कभी किसी पर वार नहीं करती . मै वार का जवाब आंसू बहा कर नहीं रुला कर देती हूँ क्युकी अन्याय सहने वाला , अन्याय करने वाले से ज्यादा दोषी हैं . अब अनूप इस के लिये मुझे खतरा ब्लोग्गर कहले मुझे कोई आपत्ति नहीं हैं .
नारी ब्लॉग पर मेरी अंतिम पोस्ट आ चुकी हैं चर्चा मंच पर ये मेरा आखरी कमेन्ट हैं
सभी को सादर सप्रेम नमस्ते आशा हैं आप सब वो कर सकेगे जो करना चाहते हैं ।


अपडेट सारी चर्चा पुराने लिंक पर पहुच गयी कमेन्ट के साथ

July 02, 2011

हिंदी ब्लोगिंग के काल

हिंदी ब्लोगिंग के काल

नारद काल
ब्लॉगवाणी काल
चिट्ठाजगत काल

नारद काल की पहचान
ब्लॉग की हेअडिंग में किसी ना किसी ब्लोग्गर का नाम होता था
अपनी असहमति दिखाने के लिये पोस्ट लिखी और जिस से असहमति थी उसका नाम पोस्ट की हेअडिंग में इसके बाद दूसरो का उस पोस्ट पर आना लाजमी था

ब्लॉगवाणी काल की पहचान
ब्लॉगवाणी संकलक पर आप को कितनो ने पसंद किया उसका एच टी ऍम एल कोड ब्लॉग पर लगाना जरुरी था और उससे ही पता चलता था ब्लोगर का सोशल नेट वर्क कितना तगड़ा हैं

चिट्ठाजगत काल की पहचान
आप का सक्रियता क्रम क्या हैं चिट्ठाजगत पर इस का एच टी ऍम एल कोड लगाना जरुरी था ब्लॉग पर ताकि पता चल सके आप कितना लिखते हैं और कितने ब्लोग्गर ने आप को लिंक किया हैं यानी आप कितना पोपुलर हैं


अभी एक पोस्ट आनी हैं हिंदी ब्लोगिंग के "काल " पर भी इंतज़ार करे फिर आते हैं

July 01, 2011

मेरे पसंदीदा के बाद ट्रेंड सेटर

रंजन और आदित्य
एक मात्र ऐसा ब्लॉग जिसका जिक्र bloggar buzz में गूगल ने खुद किया और उसके बाद ना जाने कितने बच्चो के ब्लॉग बने
Linkलेकिन आदित्य पहला ब्लॉग- बच्चा था हम सब का

बिना मठ के मठाधीश मेरे पसंदीदा

बिना मठ के मठाधीश मेरे पसंदीदा

सुरेश चिपलूनकर
नीरज गोस्वामी
गौतम राजरिशी
कंचन चौहान
पंकज सुबीर
अजीत वाडनेकर
हरकीरत हकीर
मीनाक्षी धन्वन्तरी
ममता टी वी
विचार शून्य
हिमांशु पाण्डेय


मेरे पसंदीदा ब्लोगर जो अपने मन की लिखते हैं
सुरेश चिपलूनकर - गर्व से कहो हम हिन्दू हैं ब्लॉग जगत का सच्चा सिपाही
नीरज गोस्वाई - कविता उनकी जान हैं शब्दों के कारीगर
गौतम राजरिशी - मेरा सैनिक भाई , सदा सलामत रहो तुम
कंचन चौहान - हाँ तुम वैसी हो जैसा मैने सोचा था
पंकज सुबीर - ग़ज़ल गुरु के पद पर आसीन
अजीत वाडनेकर - शब्दों के शहंशाह
हरकीरत हकीर - कविता की मालकिन
मीनाक्षी धन्वन्तरी - प्रेम प्यासी गगरी की धरोहरण
ममता टी वी - संस्मरण यात्रा पर हमेशा
विचार शून्य - अगड़म बगड़म मे बहुत हैं दम
हिमांशु पाण्डेय - तुमको अपने घर की सब किताबे दे देने का करता रहा मन



दिस्क्लैमेर
पसंद की कोई सीढ़ी या पायदान नहीं होता हैं

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