मेरे ब्लॉग के किसी भी लेख को कहीं भी इस्तमाल करने से पहले मुझ से पूछना जरुरी हैं

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July 05, 2011

पेड़ पर अपने पडोसी के कॉपी राईट का दावा मुझे बड़ा बढ़िया लगा ।

हमारे एक पडोसी एक दिन बड़े ही उखड़े मूड में सुबह सुबह आगये । मै चाय बना रही थी । अब सुबह ८.१५ तक सब काम हो जाए तो अपने ऑफिस के काम सुचारू रूप से शुरू करवा पाती हूँ।
पडोसी को चाय दे कर पूछ लिया

क्या हुआ इतना क्यूँ मूड उखडा हैं

बोले मेरा लगाया पेड़ काट लिया मेरे बगल में रहने वाले मेरे दोस्त ने ।

मैने कहा आप का पेड़ कोई और कैसे काट सकता हैं । आप के घर में कोई कैसे घुस सकता हैं ।

पडोसी बोले नहीं मैने पेड़ अपने दोस्त के यहाँ लगाया था ।

मैने कहा वो कैसे ,

कहने लगे

मै रोज अपने घर में इकट्ठा कचरा उनके बगीचे में फ़ेंक आता था । उस कचरे में तमाम बीज भी होते थे । वही बीज वहाँ बड़े होने लगे । जब तब उस पेड़ में उसमे घर का गन्दा पानी भी डाल देता था । अब बीज मेरा , पानी मेरा तो पेड़ भी मेरा ही हुआ ना । दोस्त ने कटवा कर बेच दिया ।


पेड़ पर अपने पडोसी के कॉपी राईट का दावा मुझे बड़ा बढ़िया लगा


लेकिन उनकी बात ख़तम नहीं हुई थी । कहने लगे इस पेड़ के कटने में आप का भी हाथ हैं । आप के मकान की boundary wall और मेरे दोस्त के मकान की boundary wall common जो हैं ।

मैने कहा ये कम्प्लेंट तो आप पिछले साल भी लाये थे अब काठ की हांड़ी को कितनी बार चढायेगे



disclaimer
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और किसी भी पेड़ का इस पोस्ट से कोई लेना देना नहीं हैं ना ही मेरा ऐसा कोई पडोसी हैं ।
ये सच्ची घटना पर आधरित हैं जरुर हैं लेकिन किसी भी जीवित या मृत कॉपी राईट के होल्डर का इस से कोई लेना देना नहीं हैं । अगर कोई इस में अपने को खोजता हैं तो जड़ हैं { पेड़ की !!!!}

9 comments:

  1. हा-हा-हा
    प्रतीकात्मक पोस्ट से जवाब
    आपका स्टाईल अच्छा है।


    प्रणाम

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  2. sunder .....


    jai baba banaras.......

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  3. बहुत रोचक पोस्ट...इस रोचकता का कापी राईट करवा लीजिये...:-)

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  4. हा हा हा…………बढिया है।

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  5. अच्छा हुआ डिस्क्लेमर लगा दिया..

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  6. मुझसे केवल सीधी सपाट और साफ साफ शब्दों में कही गई बातों को समझने में ही अक्सर गलतफहमी होती है.समझ गया आपका इशारा.

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  7. धोखे में भी किया गया एहसान भूले नहीं भूलता है।

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