सच बोलना जितना मुश्किल है , सच को स्वीकारना उस से भी ज्यादा मुश्किल है . लेकिन सच ही शाश्वत है और रहेगा मुझे अपने सच पर उतना ही अभिमान है जितना किसी को अपने झूठ से होने वाले फायदे पर होता हैं
मेरे ब्लॉग के किसी भी लेख को कहीं भी इस्तमाल करने से पहले मुझ से पूछना जरुरी हैं
November 04, 2009
जब इनको कुछ कहना था तब सब ताली बजा रहे थे
लिंक १ जब इनको कुछ कहना था तब सब ताली बजा रहे थे
लिंक २ जब इनको कुछ कहना चाहिए था तब भी सब मुस्कुरा रहे थे
October 31, 2009
अब वर्धा विश्विद्यालय के सर पर काठ की हांडी फूट रही हैं ।
ये सूचना एक ब्लॉग पर आज देखी
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ये सूचना दूसरे ब्लॉग पर २७ सितम्बर से उपलब्ध हैं
अब वर्धा विश्विद्यालय के सर पर काठ की हांडी फूट रही हैं । लगता हैं वर्धा विश्विद्यालय मे कोई ब्लोगिंग पर रिसर्च कर रहा होगा तभी तो किस ब्लॉगर को बुलाना हैं वो जानता होगा । पता नहीं सीधे से ये कहने मे क्या नुक्सान हैं की जिसको हम चाहते थे बुला लिया ।
October 27, 2009
आज कल बहुत से ब्लॉग पर कहा जा रहा हैं " बिना लाग लपेट के जो हो वही ब्लोगिंग हैं "
आज कल बहुत से ब्लॉग पर कहा जा रहा हैं " बिना लाग लपेट के जो हो वही ब्लोगिंग हैं "
इलाहाबाद मे सरकारी पैसे हुआ ब्लॉगर मेल मिलाप !!!
और कल अखबार मे पढा की इंडियन एयर लाइंस पर इतना बैंक ओवर ड्राफ्ट हैं की एक दिन का बैंक इंटरेस्ट ४ करोड़ होता हैं , जो एयर इंडिया चुका नहीं रही । अब आप ख़ुद ही जोड़ लो कर्ज़े पर कितना सूद का कर्जा बढ़ रहा हैं ।
क्यूँ डूब रही हैं सरकारी कंपनियां ?
क्यूँ लोग नहीं समझते की सरकारी कम्पनियों मे जो कर्चा होता हैं उसका भुगतान एक आम आदमी यानी टैक्स पेयर करता हैं ।
सरकारी पासे और समय का दुरूपयोग सबसे ज्यादा शायद हमारे देश मे ही होता हैं
October 23, 2009
आज फिर नज़र डाली तो एक सक्रियता क्रम पर नज़र गयी
कल की पोस्ट पर आया कमेन्ट केवल एक स्मित की रेखा छोड़ गया । लोग नैतिकता पर बहस करना चाहते हैं क्युकी नैतिकता पर सिर्फ़ बहस ही होनी चाहिये कोई कार्यवाही नहीं ।
जागो इंडिया जागो वाला विज्ञापन बहुत सटीक लगता हैं यहाँ ।
आज फिर नज़र डाली तो एक सक्रियता क्रम पर नज़र गयी और उसी को यहाँ दिया हैं । अब देखने की बात ये हैं की इन मे से कितने सरकारी संस्थानों मे हैं और उनके ब्लॉग पर कमाई के साधन यानी एड हैं ।
1. उड़न तश्तरी ....
2. मानसिक हलचल
3. फुरसतिया
4. ताऊ डॉट इन
5. हिन्द-युग्म
6. मोहल्ला
7. सारथी
8. छींटें और बौछारें
9. दीपक भारतदीप की शब्द- पत्रिका
10. दीपक भारतदीप की शब्दलेख-पत्रिका
11. भड़ास blog
12. चिठ्ठा चर्चा
13. दीपक भारतदीप का चिंतन
14. अज़दक
15. शब्दों का सफर
16. Hindi Blog Tips
17. रचनाकार
18. शिवकुमार मिश्र और ज्ञानदत्त पाण्डेय का ब्लॉग
19. कस्बा qasba
20. निर्मल-आनन्द
21. आलोक पुराणिक की अगड़म बगड़म
22. घुघूतीबासूती
23. अनवरत
24. तीसरा खंबा
25. महाजाल पर सुरेश चिपलूनकर (Suresh Chiplunkar)
26. दीपक भारतदीप की शब्दयोग-पत्रिका
27. अमीर धरती गरीब लोग
28. लो क सं घ र्ष !
29. कबाड़खाना
30. एकोऽहम्
31. आवाज़
32. उन्मुक्त
33. नारी
34. दिल की बात
35. Vyom ke Paar...व्योम के पार
36. समाजवादी जनपरिषद
37. कुछ मेरी कलम से kuch meri kalam se **
38. क्वचिदन्यतोअपि..........!
39. सच्चा शरणम्
40. साहित्य शिल्पी
October 21, 2009
क्या कभी आप की नज़र इस डाटा पर गयी हैं ।
क्या कभी आप की नज़र इस डाटा पर गयी हैं । क्या इस डाटा मे जो चिट्ठाकार हैं क्या आप ने कभी उनका प्रोफाइल देखा हैं और क्या आप ने गौर किया हैं उनमे से कितने सरकारी संस्थानों मे कार्य कर रहे हैं ।
आगे आने वाली पोस्ट आप को ये बतायेगी की कितने फक्र से लोग अपने सरकारी संसथान का नाम अपने प्रोफाइल पर देते हैं बिना ये सोचे की जो वो कर रहे हैं उस से उनके संसथान की भी बदनामी तोही रही हैं । इनकेप्रोफाइल पर उपलब्ध जानकारी से इनकी कम्पनी का नाम और उसके वेतन मान आप को बताये जायेगे ।
Suman (75)
Randhir Singh Rana (72)
दीपक भारतदीप (66)
Dr SUKHPAL"SAWANT KHERA" (63)
संजय शर्मा (62)
khaskhabar (57)
MEDIA WATCH GROUP (51)
GWALIOR TIMES (44)
Rajesh (42)
admin (40)
kahani (36)
RAJNITI SAMACHAR (36)
ललित शर्मा (35)
समदिया (33)
Rajsamand ke samachar (33)
AlbelaKhatri.com (30)
बी एस पाबला (28)
जी.के. अवधिया (28)
cityking hindi largest newspaper (27)
Md Mudassir Alam (27)
नवीन प्रकाश (26)
veerubhai (25)
manmohit grover (25)
ताऊ रामपुरिया (24)
NEW OBSERVER POST (24)
Raviratlami (23)
लोकेश Lokesh (22)
Campus Hulchul (22)
सैनी संवाद (22)
साहित्य-शिल्पी (21)
Defence Review (20)
editor (20)
नियंत्रक । Admin (20)
Arun Yadav (20)
Rakesh Shekhawat (19)
नारदमुनि (18)
who i am (18)
शिवम् मिश्रा (18)
राजकुमार ग्वालानी (18)
Geetsangeet (18)
khabarkhand (18)
October 20, 2009
बिना लाग लपेट के जो कहा जाए सच वही हैं ।
हिंदी लिखने और उसको आगे ले जाने के लिये क्या आप कोई भी ऐसा कार्य करगे जो गैर कानूनी हैं जो आपके देश की संपदा को नष्ट कर रहा हैं ।
ज़रा ध्यान से देखे इस हिंदी ब्लॉग जगत मे जो हिंदी प्रेमी विदेश मे बस गए हैं वो कब और कितनी पोस्ट पब्लिश करते हैं । वो कब टिपण्णी देते हैं । क्या वो अपने दफ्तर के संसाधन का प्रयोग करते हैं हिंदी को आगे बढ़ने के लिये । वो जिस देश मे रहते हैं उस देश की तरक्की के लिये काम करते हैं और उस देश के कानून को मानते हैं ।
इस वर्ष के नोबल प्राइज़ विजेता वेंकटरमण रामकृष्णन का कहना हैं की उनको इतनी ईमेल भारत से आयी हैं की उनका ईमेल बॉक्स बंद होगया और काम की बहुत सी मेल वो नहीं देख पाये ।
ये शायद केवल हमारे देश मे ही होता हैं की हम अपने ज़मीर को नहीं दूसरो के ज़मीर को जगाते हैं । अपने घर मे नहीं दूसरो के घरो मे झांकते हैं । सही का साथ ना देकर "बहुमत" का साथ देते हैं ।
इस ब्लॉग का नाम बदल गया हैं क्युकी और कुछ नहीं बदल सकता हैं पर ब्लॉग का नाम बदलना तो अपने हाथ मे हैं । सच हमेशा सच ही होता हैं और सच को कोई अनावृत नहीं कर सकता क्युकी सच को किसी भी आवरण की जरुरत नहीं होती ।
और बिना लाग लपेट के जो कहा जाए सच वही हैं ।
October 19, 2009
सरकारी कर्मचारी , ब्लॉग , विज्ञापन और कमाई
जी हाँ अगर आप सरकारी कर्मचारी हैं , यूनिवर्सिटी के अध्यापक हैं या किसी भी ऐसी संस्था मे काम करते हैं जहाँ आप को नौकरी देते समय "appointment letter " दिया गया हैं तो आप उस पत्र की सभी शर्तो को मानने के लिये बाध्य हैं ।
प्राइवेट नौकरी मे बहुधा थ्रू प्रोपर चैनल की बात नहीं होती हैं पर सरकारी और सरकारी कानूनों के आधीन सभी संस्थानों मे ये रुल हैं की आप कोई भी कार्य करने से पहले अपने बॉस या सुपीरियर से लिख कर आज्ञा लेगे ।
और अगर आप ऐसा नहीं करते हैं तो आप पर कार्यवाही की जा सकती हैं ।
इस पोस्ट से पहले की दो पोस्ट जरुर पढे ताकि सन्दर्भ पता हो
दिल्ली विश्विद्यालय मे भी ये कानून हैं और वहा तो आप अगर ट्यूशन भी करते हैं तो गैर कानूनी हैं अगर उस ट्यूशन के लिये आप कोई फीस लेते हैं ।
जो लोग ऑफिस के समय मे ब्लोगिंग कर रहे हैं और जिनके ब्लॉग पर adsense हैं अगर आप ध्यान से उनके ब्लॉग देखेगे तो सब मे पोस्टिंग का टाइम रात का ही सेट किया हुआ मिलेगा !!!!!! और बहुत से ऐसे भी हैं जो पोस्ट पब्लिश का समय दिखाते ही नहीं है
पर क्युकी बहुत से ब्लॉग अग्रीगाटर पर हैं तो सही टाइम वहां से मिलता हैं । इस लिये जरुरी हैं की स्नेप शोट अग्रीगाटर से लिया जाये न की ब्लॉग का ।
ये कहना बिल्कुल निराधार होगा की हमने पोस्ट schedule कर रखी थी क्युई आप ब्लॉग्गिंग ऑफिस से इतर भी कर सकते हैं लेकिन कोई भी विज्ञापन आप के ब्लॉग पर नहीं होना चाहिये ।
पैसा कैसे इंसान की नियत बदल सकता हैं हिन्दी ब्लॉग जगत के ब्लॉग ये बताते हैं । ५०% से ज्यादा हिन्दी ब्लॉगर सरकारी संस्थानों मे आज भी ऊँचे पदों पर हैं पर लालच हैं एक्स्ट्रा इन्काम का , हिन्दी के अलावा उनके इंग्लिश के ब्लॉग भी हैं । लेकिन वो दिन दूर नहीं हैं जब ये लालच महंगा पड़ जायेगा ।
आज इतने न्यूज़ चैनेल हैं , मीडिया कहानियों को / बेईमानियों को उजागर कर रहा हैं न जाने कब ख़बर आजाए फला फला संसथान मे सरकारी पैसे का दुरूपयोग हो रहा हैं और सरकारी अफसर / बाबू ब्लॉग लिख कर विज्ञापन लगा रहे हैं और पैसा कमा रहे हैं ।
पैसा मिले ना मिले इस विज्ञापन से / ब्लोगिंग से हाँ नौकरी की सीआर जरुर बिगड़ सकती हैं । या नहीं ???
नियम और कानून मानने के लिये ही बने होते हैं
और हाँ अगर ध्यान से समझे तो आप ये जान सकेगे की ऑफिस के समय मे अगर आप कहीं भी कोई भी पोस्ट पढ़ कर उस पर कमेन्ट करते हैं तो वो कमेन्ट भी "as proof " आप के खिलाफ इस्तेमाल किया जा सकता हैं
October 18, 2009
क्या आपने अपने सुपीरियर को ये जानकारी दी हैं कि आप ब्लोगिंग करते हैं और आप के हर ब्लॉग पर विज्ञापन हैं जिनसे आप को आय होने की सम्भावना हैं ?
क्या सरकारी कर्मचारी को ये अधिकार हैं की वो गूगल एड सेंस से बिना अपनी कम्पनी को बताये कमाई कर सके ?
क्या हिन्दी ब्लॉगर जो सरकारी क्षेत्रो मे कार्य रत हैं और जिनके यहाँ " थ्रू प्रोपर चैनल " को प्रक्रिया लागू होती हैं वो इस प्रकार से एड दिखा कर नौकरी से सम्बंधित किसी कानून को तो नहीं तोड़ रहे हैं ।
प्रश्न ये नहीं हैं की आप की कोई कमायी इस प्रकार से गूगल एड सेंस या किसी भी प्रकार से ब्लॉग से हो रही हैं या नहीं ,
प्रश्न ये हैं की क्या अन्य जगह से पैसा कमाने के लिये आप कोशिश कर रहे हैं , इस बात के लिये आप ने " थ्रू प्रोपर चैनल " आज्ञा ली भी हैं या नहीं ।
क्या आपने अपने सुपीरियर को ये जानकारी दी हैं की आप ब्लोगिंग करते हैं और आप के हर ब्लॉग पर विज्ञापन हैं जिनसे आप को आय होने की सम्भावना हैं ? अगर नहीं दी हैं तो क्या आप सर्विस रूल बुक मे दिये गए नियम का उलंघन तो नहीं कर रहे हैं ??
क्या आप ने अनुमति ली हैं अपनी आय बढ़ने के लिये ???
राइट टू इन्फोर्मेशन एक्ट
आज कल सरकारी संस्थानों मे काम कर रहे अफसर इन्टरनेट की सुविधा मिलने से काम के समय मे सरकारी पैसे से ब्लोगिंग करते नज़र आते हैं । हिन्दी ब्लॉग जगत मे भी ऐसे बहुत से लोग हैं जो उस समय ब्लोगिंग करते हैं जब ऑफिस मे होते हैं । सरकारी खजाने का दुरूपयोग ऐसे ही होता हैं और हम सब आँख बंद कर के देखते हैं ।
राइट टू इन्फोर्मेशन एक्ट का प्रावधान अब सब कंपनियों मे लागू हो गया हैं । हम मे से कोई भी किसी भी कंपनी से ये पूछ सकता हैं की इन्टरनेट का इस्तमाल उस कंपनी मे कौन कितना कर रहा हैं और किस काम के लिये । दुरपयोग केवल इन्टरनेट का नहीं हैं दुरूपयोग हैं इन्टरनेट पर ब्लोगिंग के लिये नष्ट किये जा रहे समय का जिसको ऑफिस के काम के लिये उपयोग मे लाना चाहिये था ।
हर कंपनी की वेबसाइट पर ये प्रावधान दिया हुआ हैं । मैने ये प्रावधान स्टील अथॉरिटी ऑफ़ इंडिया की साईट पर देखा हैं । इसका उपयोग करना और जानकारी प्राप्त करना बहुत ही आसन हैं और इसके बहुत दूरगामी लाभ भी हैं ।
पहले की दो पोस्ट
October 17, 2009
कुछ लिंक्स
अगर किसी को भी अपने ब्लॉग या उससे सम्बंधित कोई भी लिंक किसी ऐसी साईट पर मिलता हैंi जहा आप उसको नहीं चाहते हैं तो आप इस लिंक पर जा कर उस साईट को गूगल पर प्रषित कर सकते हैं
अगर आप की निजी जानकारी , फ़ोन नंबर किसी लिंक पर हैं तो उसको हटाने के लिये इस लिंक पर जाये
कॉपी राइट उलंघन के लिये लिंक हैं
इसके अलावा अगर आप की साईट , प्रोफाइल , कमेंट्स या ब्लॉग की rss feed किसी ने बिना आप की इजाज़त के रीपब्लिश की हैं तो आप रिपोर्ट कर सकते हैं
गूगल की नीति के तहत । मुझ से वो लिंक खो गया हैं मिलते ही पोस्ट अपडेट कर दूंगी और किसी के पास हो कमेन्ट मे बता दे
October 16, 2009
ब्लॉग वाणी टीम के लिये कुछ सुझाव
- एक दिस्क्लैमेर ये बताते हुए की ब्लोगवाणी टीम को किसी भी कानूनी लड़ाई मे पार्टी नहीं बनाया जा सकता जो किसी भी ब्लॉग पर आ रही पोस्ट या ब्लॉगर मे हो ।
- ब्लोगवाणी टीम का ईमेल आईडी बडे अक्षरो मे दर्ज हो जो आसानी से देखा जा सके
- अब्यूज सेक्शन जहाँ किसी ब्लॉग की शिकायत दर्ज की जा सके
- ब्लॉग पोस्ट के नीचे आई पी के तीन डिजिट उपलब्ध हो और चौथा डिजिट अब्यूज सेक्शन मे की गयी शिकायत सही पाये जाने पर उसी पोस्ट मे उपलब्ध कराया जाए । ये सुविधा पोस्ट डर पोस्ट आधारित हो
- जिन ब्लोग्स को डिलीट किया जाए उनकी जानकारी कही जरुर उपलब्ध रहे
- और जो लोग सदस्यता शुल्क देना चाहे उनसे डोनेशन की जगह शुल्क की राशि ली जाए
October 10, 2009
पढिये
आज कल बड़ा हल्ला हैं की ब्लॉग को प्रतिबंधित कराओ ब्लोग्वानी और चिट्ठाजगत से । सबसे बढ़िया बात ये हैं की जो लोग इस बात को उठाते हैं किस एक पोस्ट को लेकर उनके ब्लॉग पर ही उस पोस्ट के लिंक , उनकी पोस्ट या उसके कमेन्ट मे मिल जाते हैं ।
ब्लोग्वानी और चिट्ठाजगत से पोस्ट कई बार तुरत हटा दी जाती हैं पर उनके लिंक अगर एक ब्लॉग से दूसरे ब्लॉग तक आप अपनी पोस्ट से पहुचाते रहेगे तो उनका परिश्रम व्यर्थ जाता हैं
जिन ब्लोग्स पर nav bar नहीं हैं उन ब्लोग्स को गूगल को रिपोर्ट किया जा सकता हैं
एक लिंक जो तकनीक के जानकारों के बहुत काम आ सकता है
October 05, 2009
October 03, 2009
हिन्दी ब्लॉगर जो हिन्दी को नेट पर आगे ले जा रहे उनमे से बहुत से ब्लॉगर ऐसे हैं जिन का हिन्दी से सम्बन्ध बहुत पुराना हैं ।
ब्लॉगर प्रोफाइल मे केवल और केवल सिमित जानकारी उपलब्ध हैं इसलिये ये पता नहीं चल रहा की कितने ब्लॉगर ने हिन्दी कि फॅमिली बेकग्राउंड होते हुए भी इंग्लिश मीडियम स्कूल से पढाई की हैं और कितनो ने हिन्दी मीडियम स्कूल से ।
हिन्दी प्रेम होने के बावजूद भी हिन्दी भाषा मे स्नातकोतर या उससे ऊपर की पढाई और हिन्दी को पढ़ा कर अपनी जीविका का साधन बहुत ही सिमित संख्या के ब्लॉगर कर रहे हैं
ऐसे क्या कारण हैं कि हिन्दी कि फॅमिली बेकग्राउंड होते हुआ भी हिन्दी विषय मे कोई डिग्री नहीं हैं बहुतो से ब्लॉगर के पास ?? क्यूँ ??
पोस्ट लिखने का मकसद केवल और केवल हिन्दी के प्रति स्नेह होते हुए भी उसको जीविका का साधन क्यूँ नहीं बनाया जाता हैं ??
October 02, 2009
हिन्दी लेखक / हिन्दी ब्लॉगर
अगर चिटठा जगत का सक्रियता क्रम देखे तो पहले ४० चिट्ठो के मालिक सब इतने समर्थ जरुर हैं की १०० रुपए प्रतिमाह दे सके एक अग्रीगेटर की सुविधा उठाने के लिये ।
हिन्दी मे ब्लॉग लिखना महज एक शौक हैं उन लोगो के लिये जो अपने अपने कार्य क्षेत्र मे जीविका के लिये कमा रहे हैं । ब्लॉग लिखना एक व्यसन भी हैं क्युकी इस मे आप के पास इन्टरनेट का खर्चा उठाने की सामर्थ्य भी होनी चाहिये । बहुत से घरो मे आज भी इन्टरनेट नहीं हैं क्युकी उसकी कोई जरुरत नहीं हैं और उसके लिये १००० रुपए माह खर्च नहीं किया जा सकता हैं । आज भी मध्यवर्गी परिवार मे रोटी कपड़ा और मकान ही बेसिक जरुरत हैं ।
जितनी चादर हो पैर उतने ही पसारने चाहिये । अगर आय कम हैं तो या तो कम आय मे रहना आना चाहिये या आय बढ़नी चाहिये ।
हिन्दी ब्लॉगर और हिन्दी लेखक मे फरक हैं मेरी नज़र मे , मेरी नज़र और मेरी सोच ही हैं इस ब्लॉग पर । लोग डायरी को सार्वजनिक करने से डरते हैं क्युकी उसमे व्यक्तिगत एह्साह होते हैं जो हम बाटना चाहते हैं ताकि और क्या सोचते हैं उस विषय मे वो पता चले । और कमेन्ट डिलीट भी करती हूँ जो नहीं पसदं होते क्युकी अपनी डायरी हैं सो पन्ने फाड़े भी जासकते हैं ।
आशा हैं सागर नाहर अब नाराज नहीं रहेगे ।
आज कल बहुत से लोग दुसरो की डायरी सार्वजनिक कर रहे हैं हम तो अपनी ही कर रहे हैं । और भईया हम १०० रुपए प्रति माह ही दे सकते हैं अग्रीगेटर पर ब्लॉग दिखाना के लिये इस से ज्यादा होगा तो केवल ब्लॉग लिखेगे , अग्रीगेटर पर सदस्यता नहीं लेगे । हम हिन्दी मे अपने लेखन को प्रमोट करने के लिये इतना खर्चा जरुर करेगे । दो ब्लॉग २०० रुपए । पर किसी को डोनेशन नहीं देना पसंद करेगे ।
October 01, 2009
पसंद का चटका लगाने के परमुटेशन कॉम्बिनेशन
आप के पास जितने ब्राउज़र हैं एक साथ खोल ले और इस प्रकार से खोले की आप को डेस्कटॉप पर सब एक साथ दिखे।
हर ब्राउज़र मे ब्लॉगवाणी खोल ले
जिस पोस्ट को पसंद करना हैं उसको सब ब्राउज़र मे ऊपर कर ले
अब सब पर पसंद का चटका लगाए पर चटका लगाने की स्पीड बहुत तेज होनी चाहिये ।
सब ब्राउजर बंद कर दे
दुबारा ब्लोग्वानी को किसी भी ब्राउज़र मे खोले अगर ४ ब्राउज़र हैं तो कम से कम पसंद तो आप को दिखी ही जायेगी
ट्रिक ये हैं की इससे पहले की ब्लोगवाणी का सर्वर आपकी पसंद रजिस्टर करे सारे चटके लग चुके हो !!! वो जो चटका लगाने पर गोल गोल घूमता हैं वो घूमना बंद होने से पहले जितने चटकाए उतनी पसंद !!!
नेट बंद कर दे
दुबारा नेट चालू करे
ब्लोग्वानी खोले
जिस पोस्ट पर पसंद चटकानी हैं उसको पसंद कर ले
अब जिस पोस्ट को पसंद किया हैं उसके ऊपर या तो आप को ब्लोग्वानी मे उस ब्लॉगर की तस्वीर , ब्लॉग की तस्वीर या खाली स्थान दीखेगा वहाँ क्लिक करे
एक नया पेज खुल जायेगा जिसमे आप को उस ब्लॉगर की सब पोस्ट दीखेगी
वहाँ आप जिस पोस्ट पर भी चाहे पसंद चटकाते रहे
नेट बंद करे , फिर खोले
अगर आप को अपनी पोस्ट पसदं करनी हैं अपनी पोस्ट खोले
दूसरे ब्राउज़र मे ब्लोग्वानी खोले और ऊपर बाते तरीके से अपनी पुरानी पोस्ट खोले
तीनो जगह एक साथ पसंद का चटका लगाये ३ पसंद यानी आपका ब्लॉग साइड पट्टी पर आगया जहाँ आज की ज्यादा पसंद दिखती हैं
एक बार कोशिश करके देख ले वहाँ भी पसंद का चटका लग सकता हैं
बात सिर्फ़ परमुटेशन कॉम्बिनेशन की हो रही हैं ब्लोगवाणी टीम की सक्षमता या असक्षमता की नहीं ।
ये ब्लॉग प्रयास कैसा हैं ?
September 30, 2009
ब्लोगवाणी - सदस्यता शुल्क और रंजना की टिप्पणी कल की पोस्ट पर
- रंजना said...
-
आपके प्रस्ताव का मैं पूर्ण समर्थन करती हूँ......आपने मेरे ही मन की बात कह दी.
ब्लोग्वानी या इसी तरह के और भी एग्रीगेटर के रूप में जो इतना बड़ा प्लेटफोर्म उपलब्ध है हिंदी पाठकों को इसकी कीमत अधिकांश लोग बिलकुल ही नहीं समझ नहीं पा रहे...मुझे बड़ा ही अफ़सोस होता है यह देखकर..यदि यह माध्यम उपलब्ध न हो तो लेखक पाठक वर्ग कहाँ से तलाशेंगे...?????????
टीम ने निशुल्क इस सेवा के लिए अपने जेब से जो खर्च किया है या जो समय और श्रम खर्च कर रहे हैं,उसकी क्या कोई कीमत नहीं होनी चाहिए ????
मेरा तो सुझाव है कि टीम कुछ और सुविधाएँ अपने अग्रीगेटर में जोड़ दे और उसके लिए निश्चित शुल्क ले....
ब्लोग्वानी टीम को मैं बहुत बहुत धन्यवाद देना चाहूंगी कि उन्होंने सेवा फिर से बहाल कर दी... - September 30, 2009 12:11 AM
क्या हिन्दी को नेट पर आगे ले जाने की जिम्मेदारी केवल अग्रीगेटर की हैं ?? और ये तर्क हम कब तक देते रहेगे की "हिन्दी का गरीब लेखक क्या करे ?"
हिन्दी के लेखक कब तक गरीब रहेगे या हिन्दी कब तक गरीबो की भाषा रहेगी या हम केवल दयनीयता का दिखावा करके अपना दामन छुडाते रहते हैं ।
आज ब्लोगवाणी टीम ने एक दिन के लिये अपनी फ्री सेवा अनुपलब्ध कर दी और "त्राहि माम " की गूंज होगई । कल अगर किसी वज़ह से ब्लोगवाणी टीम इस से उकता जाए या इसको ना चला सके तो क्या होगा हिन्दी ब्लोगिंग का ?
क्या इसके लिये जरुरी नहीं हैं की हम स्वाबलंबी बने और एक ऐसा मंच तैयार हो जहाँ हिन्दी ब्लॉगर हिन्दी प्रमोशन के लिये पैसा देकर एक संचालक की सेवाये ले ।
रही बात जो समर्थ हैं तो क्यूँ हम असमर्थ रहना चाहते हैं । क्यूँ हम दूसरो पर निर्भर रहना चाहते हैं । क्यूँ बात डोनेशन की होती हैं और फिर कहा जाता हैं की जो ज्यादा देता हैं उसकी सुनी जाती हैं ।
समय रहते चेत जाये तो बेहतर हैं , १२०० रुपए सालाना प्रति ब्लॉग देकर { या कोई भी निश्चित राशि } अगर हम किसी की सेवाए नहीं उसकी योग्यता से अपने लिखे को आगे बढाए तो इसमे क्या हिन्दी आगे नहीं जायेगी ।
एक दूसरे की पोस्ट पसंद ना पसंद करके हम केवल ग्रुप को ही बढ़ावा देते हैं
अगर आप को ग्रुप को ही बढवा देना हैं तो आप अपनी पसदं का सिंपल और आसन फीड एग्रेगेटर ख़ुद ही बना सकते है और ये सुविधा ब्लॉग स्पॉट पर बहुत पहले से हैं
मेरे लिये पाठक की राय बहुमूल्य हैं , मुझे मुद्दे पर बहस से कोई उज्र नहीं हैं । ब्लोगिंग शगल हैं मुझ जैसो के लिये जो अपने मन की लिखते है और पाठक की राय की प्रतीक्षा करते हैं ।
September 29, 2009
ब्लॉगवाणी पर १२०० रुपए प्रति साल का सदस्यता शुल्क शुरू हो
अगर हम ब्रॉड बैंड के लिये ३०० - १००० रुपए महिना खर्च कर सकते हैं तो १२०० साल कि सदस्यता ब्लोग्वानी कि ले कर अपने लिखे को पढ़वा भी सकते हैं । जो सदस्यता ना ले वो पढ़ तो सकते हैं पर उनका लिखा ब्लॉगवाणी पर आयेगा नहीं । हिन्दी को आगे ले जाने के लिये हम इतना तो कर ही सकते हैं । और ये सदस्यता शुल्क प्रति ब्लॉग होना चाहिये । हिन्दी का प्रचार प्रसार करने के लिये ये राशि कुछ भी नहीं हैं क्युकी ये केवल १०० रुपए प्रति माह होती हैं ।
पसंद ना पसंद इत्यादि जब सदस्यों के बीचे मे होगी तो किसी को भी आपत्ति नहीं होगी ।
कल मैने एक लिंक देखा हैं जिस जो ये हैं चिठ्ठाजगत । अगर ये जानकारी सही हैं तो क्या वाकई ये सुविधा बिना किसी मकसद के उपलब्ध कराई गयी हैं । अगर नहीं तो ये भ्रांती क्यूँ हैं ।
कोई भी सुविधा अगर दी जाती हैं तो उस पर प्रश्न चिन्ह लगते ही हैं क्युकी आज कल जागरूकता बहुत हैं और जागरूक रहने के साधन भी हैं ।
पारदर्शिता बहुत जरुरी हैं । और पारदर्शिता तभी सम्भव हैं जब हम सब उसके लिये उस के लिये जिम्मेदार हो ।
हिन्दी के प्रचार प्रसार कि बात सब करते हैं पर चिंता सबको केवल और केवल अपने ब्लॉग कि ही होती हैं । हमारा लिखा पढा गया या नहीं यही सब के लिये जरुरी हैं
ब्लोग्वानी के बंद होने से कुछ पोस्ट पर ये भी पढा कि हम विरोध मे पोस्ट नहीं कर रहे , ये कैसा विरोध हैं , ये तो एक प्रकार कि अहम् हैं कि हम इतना अच्छा लिखते हैं कि हम नहीं लिखेगे तो पाठक अच्छा पदने से महरूम हो जाएगा
पसंद पर एक क्लिक मेरी हैं अपना लिखा पसंद ना किया तो क्या किया !!!!
August 30, 2009
कुछ कहता हैं ब्लॉगर क्या कहता है
ब्लॉग २
कुछ कहता हैं ब्लॉगर क्या कहता है
वाह क्या क्या समानता हैं !!!!!!!!!!!!!!!!
दोनों लिंक मे
फिर भी प्रोफाइल पर परदा हैं !!!!!
August 29, 2009
कमीने एक लाजवाब मूवी ।
लिंक पढ़ ले और समझ सके तो समझे । लोग तंग आ चुके हैं
लिंक पढ़ ले और समझ सके तो समझे । लोग तंग आ चुके हैं ।
August 28, 2009
...........
ओढा दुप्पटा ... चाँद चमक गया .... उसके चहरे मे ...
उसकी आंखे ..... झिलमिलाती .... बिल्कुल जुगुनू ... अँधेरी रात .... उफ़ भयानक अँधेरा ... दो जुगनू ... पीले ..... नहीं .... ना ना ...... सुनहेरे .... बिल्कुल उसके कंगन जैसे ........
कंगन .... गोल ... दुनिया गोल ... अजनबी .... फैली भी ... सिमटी भी .... बिल्कुल सकुचाई ... उसकी तरह ....
वो ... एक बच्ची ....... मासूम ...... नादान सिमिटी .... नहीं सिमटी नहीं ... फैली ..... जैसे पीली सरसों का खेत ...
दूर तक ........एक पीलापन ..... थका थका ..... कहीं पीलिया .....
क्या पीलिया ..... किसने पिलाया ... साकी ने ..... नहीं नहीं जाम ने
जाम ........ कौन सा ..... नहीं जाम नहीं आम .......
आम लड़की .... उसका आम सा दुपट्टा .... छेद से भरा .... सितारे नहीं ...... चाँद नहीं ......
बस एक चिथडा ... मासूमियत से लिपटा .... भीगने से बचाता
August 27, 2009
August 26, 2009
August 25, 2009
August 24, 2009
जयजय जी गणराज विद्या सुखदाता धन्य तुम्हारो दर्शन मेरा मन रमता, जय देव जय देव
ये चित्र १९९५ मे खुजराहो मे खीचा था । गणेश जी विघ्न हरता हैं सबके विघ्न दूर करेगे । दुनिया से लेकर देश , देश से लेकर घर तक सब जगह खुशहाली लाये गणु बाबा यही कामना हैं
आरती गणपतीची
दोंदिल लाल विराजो सुत गौरीहर को
हाथ लिये गुललड्डू साई सुरवर को
महिमा कहे न जाये लागत हू पद को
जयजय जी गणराज विद्या सुखदाता
धन्य तुम्हारो दर्शन मेरा मन रमता, जय देव जय देव
अष्टौ सिद्धी दासी संकट को बैरी
विघ्नविनाशन मंगल मुरत अधिकारी
कोटी सुरज प्रकाश ऐसी छ्बी तेरी
गंडस्तलमदमस्तक झूले शशी बिहारी, जय देव जय देव
भावभगत से कोई शरणागत आवे
संतत संपत सबही भरपूर पावे
ऐसे तुम महाराज मोको अति भावे
गोसावीनंदन निशिदिन गुण गावे, जय देव जय देव
August 23, 2009
August 22, 2009
ऑन लाइन एल्बम लिंक चाहिये
August 20, 2009
स्वप्नलोक मे बंटता ब्लॉगर
स्वप्नलोक मे ब्लॉगर
एक प्रकार रह गया
चमचा ब्लॉगर
जो जैसे ही
ब्लॉग जगत मे आता हैं
पुराने ब्लॉगर के ब्लॉग
की चर्चा कर जाता हैं
और फिर चर्चा
के मंच पर
ब्लॉग चर्चा करता हैं
अरे वही
जो अपने को
चमचा नहीं शिष्य
कहता हैं
August 18, 2009
इस पोस्ट पर एक सवाल हैं । लिंक क्लिक करे और जवाब दे
August 17, 2009
किस को किस की कमी अखरती हैं पढे
10 comments:
- M VERMA said...
-
बहुत अच्छा प्रयास है आपका. पर आपने तो उस ब्लोगर का नाम नही बताया जिसकी कमी आपको अखरती है.
मुझे एक ब्लोगर 'विनोद कुमार पारासर' की कमी खलती है. जिनका URL है
http://www.nayagharblogspotcom.blogspot.com/ - August 16, 2009 11:27 AM
- yunus said...
-
सर्वज्ञ यानी शिरीष पंडिज्जी, उन्मुक्त, पंगेबाज़ ।
- August 16, 2009 11:47 AM
- Suresh Chiplunkar said...
-
यूनुस भाई से सहमत (तीनो नाम मेरे भी दिमाग में आये हैं), इसमें सागर नाहर का नाम भी जोड़ लें… ये भाई आते तो रहते हैं लेकिन बहुत-बहुत लम्बे अन्तराल के बाद्…
- August 16, 2009 12:52 PM
- mehek said...
-
mamta tv wali mamta ji bahut dino se nahi dikhi,phir apni dubaiwali meenakshi ji bhi.
- August 16, 2009 8:24 PM
- अविनाश वाचस्पति said...
-
पंगेबाज जी ने ब्लॉगिंग छोड़ दी है
चौखट वाले पवन चंदन
कम नजर आ रहे हैं। - August 16, 2009 8:35 PM
- Pt.डी.के.शर्मा"वत्स" said...
-
"एकोहम" ब्लाग वाले श्री विष्णु बैरागी जी!!
इनके ब्लाग के नियमित पाठक होने के नाते हमें तो इनकी कमी बहुत अखरती है। - August 16, 2009 9:58 PM
- विनीत कुमार said...
-
बेदखल की डायरीः मनीषा पांडे
- August 17, 2009 12:23 AM
- डा. अमर कुमार said...
-
अभी तो अतुल अरोड़ा,मनीषा,पल्लवी,रख़्शँदा,सतीश सक्सेना,प्रज्ञा राठौड़ ही याद आ रहे हैं !
मीनाक्षी अपने बेटे के आपरेशन के बाद न जाने कहाँ व्यस्त हो गयीं ?
ममता नियमित लिखती थी, उसके पापा की बीमारी के बाद जाने क्या हुआ ?
जब भी दुकानों में सजी ज़लेबी दिखती है, ममता की पोस्ट ज़रूर याद आती है !
August 16, 2009
आप को भी किसी ऐसे ब्लॉगर / ब्लॉग की कमी अखरती हैं क्या ? चलिये उस ब्लॉग का नाम दीजिये ।
दो साल से यहाँ हूँ और अब कमी महसूस हो रही कुछ ब्लॉगर की जो पहले निरंतर लिखते थे । आज महीनो हो गए हैं उनके ब्लॉग पर एक भी पोस्ट आये ।
आप को भी किसी ऐसे ब्लॉगर / ब्लॉग की कमी अखरती हैं क्या ? चलिये उस ब्लॉग का नाम दीजिये ।
एक लिस्ट बनाते हैं और फिर दूसरी पोस्ट मे वो सारे नाम दे कर कुछ कारण पता करने की कोशिश तो कर ही सकते हैं
August 15, 2009
दे दी हमे आजादी बिना खडग बिना ढाल साबरमती के संत तूने कर दिया कमाल
दे दी हमे आजादी बिना खडग बिना ढाल
साबरमती के संत तूने कर दिया कमाल
सभी को शुभकामनाये
August 13, 2009
तुम ही भविष्य हो मेरे भारत विशाल के ,, इस देश को रखना मेरे बच्चो संभाल के
तुम ही भविष्य हो मेरे भारत विशाल के
इस देश को रखना मेरे बच्चो संभाल के
हर चित्र के नीचे एक लिंक हैं जरुर देखे क्युकी ये ही हमारे देश का भविष्य हैं और चिंता मुक्त रहे इनके हाथो मे हमारा देश , हमारी संस्कृति सुरक्षित हैं ।
पासे सभी उलट गए दुश्मन की चाल के
अक्षर सभी पलट गए भारत के भाल के
मंज़िल पे आया मुल्क हर बला को टाल के
सदियों के बाद फिर उड़े बादल गुलाल के
हम लाए हैं तूफ़ान से कश्ती निकाल के
इस देश को रखना मेरे बच्चों सम्भाल के
तुम ही भविष्य हो मेरे भारत विशाल के
इस देश को रखना मेरे बच्चों सम्भाल के
१) देखो कहीं बरबाद ना होए ये बगीचा
इसको हृदय के खून से बापू ने है सींचा
रक्खा है ये चिराग़ शहीदों ने बाल के, इस देश को...
२) दुनिया के दांव पेंच से रखना ना वास्ता
मंज़िल तुम्हारी दूर है लम्बा है रास्ता
भटका ना दे कोई तुम्हें धोखे में डाल के, इस देश को...
३) ऐटम बमों के जोर पे ऐंठी है ये दुनिया
बारूद के इक ढेर पे बैठी है ये दुनिया
तुम हर कदम उठाना ज़रा देख भाल के, इस देश को...
४) आराम की तुम भूल भुलय्या में ना भूलो
सपनों के हिंडोलों पे मगन होके ना झूलो
अब वक़्त आ गया है मेरे हँसते हुए फूलों
उठो छलाँग मार के आकाश को छू लो
तुम गाड़ दो गगन पे तिरंगा उछाल के, इस देश को..
August 09, 2009
भारतीये नक्शे मे गलती को गूगल ने माना .
पर गूगल मैप को ग़लत बताया था और बहुत से ब्लॉगर ने इस पर अपनी आपति तुंरत दर्ज कराई थी { मैने भी !} आज हिन्दी के पेपर राष्ट्रिये सहारा मे और इंग्लिश के टाइम्स ऑफ़ इंडिया मे गूगल का गलती मानना पढ़ कर अच्छा लगा ।
आपति दर्ज करना जरुरी होता हैं । कुछ हिन्दी ब्लॉगर आपत्ति दर्ज कराने वालो को "आपत्तिजनक " मानते हैं कोई बात नहीं कुछ और समय बाद वो ख़ुद समझ जायेगे की ब्लोगिंग का सही अर्थ हैं ग़लत के खिलाफ अपनी आवाज को दूसरो तक पहुचना ।
ब्लोगिंग एक ऐसा मंच हैं जहाँ आप जो ग़लत लगे उसको लिख कर अपने साथ खडे हो सकने वाले लोगो का साथ ढूंड सकते हैं । और कोई साथ खड़ा हो ना हो "संजय " की तरह अपना विरोध दर्ज कराने मे कोई उज्र नहीं होना चाहिये । जो ग़लत हैं उसका विरोध होना ही चाहिये ।
हर विरोध अपने अन्दर एक आग लिये होता हैं और अमूनन विरोध करने वाले बहुत भावुक होते हैं ।
ब्लोगिंग केवल साहित्य रचने का या हँसी मखोल का ही साधन नहीं नहीं हैं { वो करते रहे जिन्हे करना हैं कोई आपत्ति नहीं हैं !!!!! }
संजय की पोस्ट पर जा कर निरंतर आपत्ति दर्ज कराते रहे । सिलसिला रुकने ना दे ।
संजय बेंगाणी के द्वारा प्रविष्ट
August 07, 2009
ब्लॉग पर चुहल करने वाले पढ़ ले क्या पता कब वकील की जरुरत पड़ जाए
तब तक ही भली
जब तक दूसरे ने सह ली
ना सही तो २०० करोड़ की
हँसी ठिठोली करने वाले को पडी
ईमेल क्यूँ भेजे ,? ब्लॉग पर संवाद क्यूँ नहीं ?
जिन से व्यक्तिगत संपर्क हैं उनको ईमेल भेज सकना सही लगता हैं पर सबको नहीं ॥
August 05, 2009
इस पोस्ट को पढ़ कर मुझे लगा की यहाँ कई ब्लोग्गर्स की निजता को भंग किया गया हैं
इस पोस्ट को पढ़ कर मुझे लगा की यहाँ कई ब्लोग्गर्स की निजता को भंग किया गया हैं और उनके निज के संबंधो की जानकारी को ब्लॉग पोस्ट बना कर उन संबंधो की मर्यादा को भंग किया गया हैं । आप भी पढे और देखे शायद आप मेरे विचार से सहमत हो , शायद नहीं भी हो लेकिन एक बार सोचे जरुर की अगर आप की निज की जिन्दगी को भी इसी प्रकार से पोस्ट बना कर ब्लॉग पर डाला जाए तो आप को कैसा महसूस होगा
इस ब्लॉग पोस्ट पर कमेन्ट की सुविधा नहीं हैं आप अपना कमेन्ट सब जगह यही रिश्ते रिसते पर ही दे
July 28, 2009
इस पोस्ट का समीर या खमीर से कुछ लेना देना नहीं हैं
नारी कानो से कमजोर हैं
अगल बगल वाली जब आयी
मिसेज़ शर्मा से मिल ना पायी
अपनी जोरू को शर्मा जी ने
घर मे छुपाया
और उसको कपूर की पुडिया बताया
हवा लगते ही उड़ जायेगी
पर दूसरे की जोरू
यानी निबरै की चुहिया
सबकी भाभी ,
हँसी ठिठोली
उससे शर्मा जी करते रहे
अपनी बीवी को बहरा बताते रहे
तभी शर्माइन दरवाजे पर दीखी
नारी सशक्तिकरण का डंडा
बेलन हाथ मे लिये
बोली बहिनी तुम जाओ
हम को पता हैं सशक्तिकरण
बातो से नहीं हाथो और लातो से आता हैं
शादी का हर फेरा यही समझाता हैं
तुम अपना समय देश की उन्नति मे लगाओ
शर्मा जी से मै उंचा इसलिये बुलवाती हूँ
ताकि लोग ये ना कहे
उसका पति गूंगा हैं
शर्मा जी हसियाए और खिसीयाए
बोले हम सन्यासी
मूढ़ विवेकहीन , जोरू के गुलाम
अब ना तुमको बहरा बतायेगे
और
सब नारियों के घर जाकर
हम दरवाजे पर टिप्पणी छोड़ आयेगे
पर
अपने घर का दरवाजे पर
नारी ना आए लिख आयेगे
दिस्क्लैमेर
इस पोस्ट का समीर या खमीर से कुछ लेना देना नहीं हैं और जापान मे नेट चलता हैं
July 24, 2009
एक ब्लॉग जिस को पढ़ कर अच्छा लगा
दादा जी का ब्लॉग
ब्लॉग लेखक का नाम अद्वैत राघव और अपने दादा जी की कृतियों और रचनाओ को जिस प्रकार से वो नेट पर सुरक्षित और प्रचारित कर रहे हैं वो निसंदेह प्रशंसा के पात्र हैं ।July 23, 2009
उसने कहा था
तेरी कुडमाई होगई
पंखे ने कहा धत॒
मेकैनिक ने पूछा पंखे से
तेरी कुडमाई होगई
पंखे ने कहा हां होगई
देखते नहीं ये जला हुआ कैपेसिटर
दिस्क्लैमेर
चंद्रधर शर्मा गुलेरी से क्षमा मांगते हुए एक विवेकहीन साहित्यिक ब्लॉग कृति जिसकी चर्चा नहीं होगी
July 21, 2009
चाह नहीं मै सुर बाला के गहनों मे गुथा जाऊं चाह हैं बस इतनी साहित्यकार कहलाऊं
चाह हैं बस इतनी साहित्यकार कहलाऊं
सोचा था मेरा लिखा ब्लॉग पर जब छप जाएगा
हर कूड़ा करकट जहां साहित्य कहलाएगा
मै भी नाम दर्ज कराउंगा
और साहित्यकार बन जाऊँगा
पर
साहित्यकार बस मै ही कहलाऊं
इतनी थी ब्लोगरिया इच्छा मेरी
सो
मेरे मामा साहित्यकार ब्लॉगर एक ने बताया
मेरे पिता साहित्यकार ब्लॉगर दो ने गिनवाया
मेरी माँ साहित्यकार ब्लॉगर तीन ने समझाया
क्या हैं साहित्य और कौन हैं साहित्यकार
पूछे जो वो ब्लॉगर हैं
क्युकी साहित्य तो हेरिदिटी मे
सिर्फ़ कुछ ब्लॉगर को मिला हैं
और बार बार उनका ही
लहू खोलता हैं
सो भईया हम तो ब्लॉगर भले
मुद्दे पे लिखे , विवादों मे घिरे
मन बीती कहे जग बीती सहे
पर अपने लिखे को कभी
साहित्य ना कहे
कालजयी होगा तो रह जायेगा
साहित्य तब ख़ुद बन जायेगा
वरना गूगल के साथ ही
विलोम हो जाएगा
साहित्य रचा नहीं जाता
साहित्य रच जाता हैं
रचियता ख़ुद अपनी रचना को
साहित्य साहित्य नहीं चिल्लाता हैं
July 19, 2009
सावन की अन्ताक्षरी बोलीवुड स्टाइल मे
यानी हर कमेन्ट मे लास्ट अक्षर से शुरू हो कर एक गाना जिसमे सावन शब्द हो
"लगी आज सावन की फिर वो झडी हैं "
पहला कमेन्ट" हैं " से या "हा" से
July 15, 2009
हिन्दी ब्लोगिंग की परिभाषा
परिभाषित होगी
हिन्दी ब्लोगिंग
तो चहुँ और
होगा शोर
मसखरों का
कुश्ती दंगल और अखाड़ा
कुकुरमुत्ते ब्लॉगर साहित्यकार
बडे बडे पेडो के नीचे
पनप सकते हैं
बस कुकुकुरमुत्ते
जिनका जीवन काल
होता हैं कुछ पलो का
और फिर वो मर जाते हैं
वही उसी पेड के नीचे
खाद बन कर सड जाते हैं
और बड़ा पेड मुस्कुराता हैं
कि देखो हंसते हंसते
एक और को मै खा गया
यहाँ साहित्यकार बनने आया था
मैने ब्लॉगर भी ना रहने दिया
July 11, 2009
क्रिकेट और सुनील गावस्कर , one and the same thing
१०/७/०९ को सुनील गावस्कर का जन्म दिन था पर हम बधाई देना ही भूल गए । सो आज दे रहे हैं । इनके बारे मे कुछ लिखना बेकार हैं क्युकी क्रिकेट और सुनील गावस्कर , one and the same thing
July 10, 2009
एक लिंक जो शायद कभी काम आजाये । देखे ।
July 09, 2009
ईमेल एड्रेस भी एक घर के पते की तरह होता हैं
क्या आप को अपनी पर्सनल ईमेल भेजने का अधिकार हैं । पर्सनल ईमेल यानी जिसको आप अपने मित्रो को भेजते हैं ।
किसी की ईमेल उसका "पर्सनल" एड्रेस होता हैं । पब्लिक डोमेन मे होने का मे मतलब ये नहीं होता की वो सबके लिये कुछ भी भेजने के लिये खुला हैं ।
क्या आप किसी के भी घर का पता पाकर उसको चिट्ठी भेज सकते हैं या उसके घर जा सकते हैं ।
ईमेल एड्रेस भी एक घर के पते की तरह होता हैं उस पर कौन क्या भेज सकता हैं ये घर के मालिक पर निर्भर करता हैं ।
July 08, 2009
जरुरी नहीं हैं की हर कोई आप से अन्तरंग होना चाहे और ये भी जरुरी हैं की आप की हर ग़लत हरकत को नज़र अंदाज किया जाये ।
किसी के पास आप के जोक्स को समझने का सेंस ऑफ़ ह्यूमर ना हो पर आपके पास तो सेंस भी नहीं होता वरना इस प्रकार का कार्य करने से पहले आप सोचते । और अगर आप सोच समझ कर कर रहे हैं तो आप जान कर दूसरे की संवेदनाओं को हर्ट कर रहे हैं ।
जरुरी नहीं हैं की हर कोई आप से अन्तरंग होना चाहे और ये भी जरुरी हैं की आप की हर ग़लत हरकत को नज़र अंदाज किया जाये ।
सन्दर्भ
कल आयी एक मेल जिसमे मेरा और एक और महिला ब्लॉगर का नाम एक ब्लॉगर ने अपने इष्ट मित्रो के नाम के साथ सीसी किया । दूसरी महिला ब्लॉगर का तो मुझे पता नहीं पर अपना कह सकती हूँ की मेरी उनसे कोई ऐसी नजदीकी नहीं हैं की इस प्रकार की मेल आती ।
July 07, 2009
ब्लॉगर ब्लॉगर संवाद
ब्लॉगर १ कहो कैसी हो और क्या चल रहा हैं
ब्लॉगर २ बस ठीक हूँ तुम बताओ कोई नई ख़बर
ब्लोगेर १ तुम्हे नहीं पता
ब्लॉगर २ ना कुछ ख़ास
ब्लॉगर १ जानती हो पाखण्ड को ख़तम करने के लिये व्यभिचार जरुरी हैं
ब्लॉगर २ क्या कह रहे हो
ब्लॉगर १ बिल्कुल सही कह रहा हूँ
ब्लॉगर २ कहा देखा
ब्लॉगर १ तेरी समझ भी ना !! क्या कहू हिन्दी ब्लॉग ध्यान से पढा कर समझ ठीक हो जाएगी
चुटकियाँ
शालीनता का मुलम्मा ओढ़ कर
वो भूल जाते हैं
की पाँच उँगलियों की छाप
हर मुलम्मे को उतार देती हैं
और रह जाता हैं नंगा शरीर
और उससे भी ज्यादा नंगा मन
कपडे बस तन ढकते हैं
कपड़ो मे मन ढकने की ताकत नहीं होती
सभ्यता अगर कपड़ो से आती
तो हर सफेदपोश सभ्य ही होता
July 04, 2009
लिंक पसंद आए हो तो जरुर बताये और मसोदा भी कैसा हैं इस पर भी विचार दे ।
आप ने कमेन्ट किया और उसमे अपना फ़ोन नम्बर भी दिया , की मेरी बात समझनी हो तो इस नम्बर पर बात कर ले।
आप ने पोस्ट लिखी । किसी को नहीं पसंद आयी । उसने कमेन्ट किया ।
आप ने तुंरत प्रति कमेन्ट किया और उसमे अपना फ़ोन नम्बर दिया और कहा आप को अगर मेरी पोस्ट के बारे मे बात करनी हो तो इस नम्बर पर बात करले ।
ब्लॉग पर अपना फ़ोन नम्बर इस प्रकार से देना एक निमन्त्रण की तरह होता हैं लेकिन क्या आप को अधिकार हैं अपना फ़ोन नम्बर किसी के ब्लॉग पोस्ट या कमेन्ट पर छोड़ने का ??
आप को हँसी मजाक पसंद हैं , आप की जिन्दगी का मकसद हैं हँसना , हँसाना वाह , इससे अच्छा कुछ हो ही नहीं सकता ।
किसी ने पोस्ट लिखी आप ने उस पोस्ट पर अपना हँसता खिलखिलाता कमेन्ट डाला जिसका पोस्ट से तो कोई लेना देना ही नहीं था बस आप का मन था की वहाँ लोग पोस्ट से भटक कर आप के आए कमेन्ट की बात करे । यानी आप एक व्यवधान बना रहे थे हँसी मे , जान कर , उस पोस्ट लेखक के लिये । आप को माना किया गया तो आप ने तुंरत कहा हमारे लिये ब्लोगिंग ही नहीं जिन्दगी भी हँसी मजाक हैं । आप का कमेन्ट मोदेराते किया गया तो भी आप कमेन्ट देते रहे क्युकी आप को पता हैं की आप का कमेन्ट ईमेल से ब्लॉग मालिक के पास जाता हैं । सोचिये क्या सच मे आप की हँसी मजाक की आदत हैं या आप की कुंठा हैं की आप बार बार अपनी भडास एक ही पोस्ट पर डालते जा रहे हैं
The Blogger’s Guide to Comment Etiquette ऐसे लोगो को जरुर पढ़ना चाहिये जो ब्लॉग पर निरंतर कमेन्ट करना अपना अधिकार समझते ।
और
Blog etiquette भी देखे जरुर ।
लिंक पसंद आए हो तो जरुर बताये और मसोदा भी कैसा हैं इस पर भी विचार दे ।
July 03, 2009
होमोसेक्सुँलिटी पर आज एक बहुत अच्छा लेख हिंदुस्तान टाइम्स मे आया हैं ।
होमोसेक्सुँलिटी पर आज एक बहुत अच्छा लेख हिंदुस्तान टाइम्स मे आया हैं । ई पेपर पर ये आप को पेज ९ पर मिलेगा । पढ़ने के इच्छुक पाठक वहाँ पढ़ सकते हैं । कोई साइंटिस्ट या डॉक्टर इस विषय पर विस्तृत ब्लॉग पोस्ट देता तो बहुत से लोगो का ज्ञान वर्धन होता ।
June 30, 2009
बहुत से लोग "पकड़ लिया पकड़ लिया" चिल्ला रहे हैं पर ये वैसा ही हैं जैसे " शेर आया शेर आया " !!!!!!!!!!!!
बहुत से लोग "पकड़ लिया पकड़ लिया" चिल्ला रहे हैं पर ये वैसा ही हैं जैसे " शेर आया शेर आया " !!!!!!!!!!!!
हम सब को जो ब्लागस्पाट पर हैं जरुरत हैं की एक ऐसा विडजेट खोजे या बनाए जो एडिट हटमल मे कमेन्ट एक साथ समनव्यय कर जाए यानी ट्रैकर कमेन्ट मे लगे । एक बार मैने और सागर नाहर ने इस विषय मे काफी बात की थी पर इसके लिये तकनीक का जान कर चाहिये । किसी को कुछ पता हो तो लिखे ।
June 29, 2009
एक id , दो व्यक्ति और दो आई पी या एक व्यक्ति , एक id , दो आई पी
आई पी एड्रेस को लेकर आप किसी भी नेट वर्क टूल्स की साईट पर जा कर पेस्ट करे और उसके बाद जहां trace लिखा हैं उसको click करे । नीचे देखे आप को पूरी जानकारी मिल जायेगी की आप के पास किस किस जगह से घूम कर ये आई पी आया हैं .
अब अगर आप trace की जगह net work look up को क्लिक करते हैं , आप को पूरी डिटेल मिल जायेगी उस कंपनी की जिसका इन्टरनेट कनेक्शन हैं और अंत मे आप को वो ईमेल एड्रेस भी मिलेगा जिस पर आप abuse की शिकायत दर्ज कर सकते हैं । पिछली पोस्ट मे लोगो ने कहा था abuse की शिकायत करना और उसको prove करना और आई पी बंद करवाना इतना आसन नहीं होता । कौन सी लड़ाई आसन होती हैं पर नामुमकिन कुछ नहीं हैं अगर कोई एक बार हिम्मत कर ले तो सम्भव सो सब कुछ होता हैं और मै ब्लॉग के जरिये केवल जानकारी बाँट रही हूँ , आप्शन बता रही हूँ ।
इसी तरह अगर आप नेटवर्क टूल्स मे whois का बटन क्लिक करेगे तो आप को उस कंपनी का एड्रेस भी मिल जाएगा जहाँ से इन्टरनेट कनेक्शन लिया गया था ।
इस सब मे कुछ बाते ध्यान मे रखने की हैं
कभी कभी सर्वर बाहर होता हैं पर कंपनी दिल्ली मे होती हैं जैसे अमेरिकन एक्सप्रेस बैंक गुरगावं से अगर कोई आप की साईट पर आता हैं और आप उसका आई पी ट्रैक करते हैं तो वो आप को ऑस्ट्रेलिया का मिलेगा ।
इसके अलावा प्रॉक्सी सर्वर की भी सुविधा हैं ।
और सब से बड़ी बात अगर दो लोगो अपना ईमेल id और पासवर्ड आपस मे शयेर करते हैं तो वो अलग अलग जगह से एक ही समय मे आप के ब्लॉग पर पोस्ट कर सकते हैं , यानी एक id , दो व्यक्ति और दो आई पी
उसी तरह से अगर एक व्यक्ति के पास अपना एक आई पी हैं और उसके आस पास उन्सेकुरेड वाईफ्याई हैं तो वो दोनों का इस्तमाल करके आप की साईट पर कमेन्ट कर सकता । यानी एक व्यक्ति , एक id , दो आई पी ।
अनाम कमेन्ट जब तक किसी के लिये अपशब्द नहीं हैं तब तक उनसे कोई फरक नहीं पड़ता । लेकिन ये याद रखे की कमेन्ट मोदेरेशन आप का अधिकार हैं और आप के ब्लॉग पर वही कमेन्ट कर सकता हैं जिसको आप चाहे । हां अगर आप का कमेन्ट कोई बार बार moderate करता हैं तो क्या जरुरी हैं उस ब्लोग्पर जाना और कमेन्ट करना । आप लिंक दे कर भी अपने ब्लोग्पर चर्चा कर सकते
आप जब नेट वर्क टूल्स की साईट खोलते हैं तो आप को अपना आई पी दिखेगा । पहले अपने आई पी की trace करे और फिर वहाँ कोई दूसरा आई पी पेस्ट करे ।
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